सरकार केवल चाटुकारों को खुश करने में लगी, मुद्दे हुए गौण, चुनाव के माध्यम से हो JCC का गठन, शिक्षकों को भी करें शामिल: वीरेंद्र

शिमला टाइम

जेसीसी का गठन चुनाव के माध्यम से होना चाहिए इसमें सभी कर्मचारियों को शामिल किया जाए और जिसमें शिक्षक भी शामिल हो। अन्यथा शिक्षकों के लिए अलग से जेसीसी बनाई जाएं
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कई कर्मचारी नेता केवल सरकार का गुणगान गाने में लगे हैं और सरकार भी चाटुकारों को खुश करने में लगी है। इन सब में असल मुद्दे गौण हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाना और शिक्षकों के हित में आवाज़ उठाने का नतीजा है कि 10 कारण बताओ नोटिस जारी हुए है और उन्हें चार्ज शीट किया गया है।

वीरेंद्र चौहान ने कहा कि सरकार अपने आप को कर्मचारी हितैषी होने का दावा तो करती है लेकिन व्यवहारिकता तो यह है कि सरकार के 4 साल का कार्यकाल पूरा होने को जा रहा है और अभी तक सरकार ने शिक्षकों एवं कर्मचारियों के किसी भी मुद्दे को हल नहीं किया है या यूं कहें की सरकार ने अपने 4 साल के कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का कोई भी लाभ नहीं दिया है, यहां तक की सरकार 4 साल में हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के लिए जीसीसी जैसी कोई बैठक तक नहीं कर पाई हैl

संघ ने सरकार पर शिक्षकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हिमाचल में 90 हजार के आसपास शिक्षक कार्यरत है लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को सुनने के लिए जीसीसी जैसा कोई भी उचित प्लेटफार्म नहीं बनाया है जिससे शिक्षकों एवं शिक्षार्थी हित में मांगों पर चर्चा उपरांत उसका निराकरण किया जा सके।
संघ ने यहां तक आरोप लगाया कि जेसीसी की बैठक का प्रारूप अपने आप में एक बेईमानी है क्योंकि इसमें शिक्षकों का इतना बड़ा वर्ग समायोजित नहीं किया गया है एनजीओ को मान्यता के स्थान पर लोकतांत्रिक तरीके से सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को चुनाव के माध्यम से जेसीसी के गठन करने की संघ लंबे समय से मांग कर रहा है जिससे सभी कर्मचारियों के हितों का एक उचित व तार्किक प्लेटफॉर्म के माध्यम से निराकरण संभव है l इस संदर्भ में संघ ने कई मर्तबा मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को ज्ञापन देकर शिक्षकों के लिए जेसीसी बैठक की मांग उठाई जिसको सरकार नजरअंदाज कर रही है।


चौहान ने कहा कि शिक्षा सचिव व शिक्षा निदेशक ने अभी तक संघ के साथ एक भी एजेंडा बैठक नही की है जिससे शिक्षको के मुद्दे हल हो सकते ,केवल मात्र शिक्षको को डराने का काम की इन लोगो के द्वारा किया जा रहा है l

संघ ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहां के सरकार कुछ एक चाटुकार शिक्षक व कर्मचारी नेताओं को खुश करने में लगी है और कर्मचारियों एवं शिक्षकों के मुद्दों के ऊपर मौन है जिसे कर्मचारी वर्ग लंबे समय से आस लगाए बैठे हैं इसी वजह से कर्मचारियों में एक भारी रोष है और सरकार के प्रति कर्मचारियों की नाराजगी का अंदाजा इस चुनाव से लगाया जा सकता है।

शिक्षा निदेशक उच्च की तानाशाही का अंदाज़ा 17.4.2011 को जारी अधिसूचना के द्वारा शिक्षक संघो की अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीनने का प्रयास से लगा सकते है। जिसमे लिखा गया है कि कोई भी शिक्षक नेता सरकार व विभाग के निर्णय के खिलाफ मीडिया या किसी भी माध्यम से विरोध स्वरूप अपनी आवाज उठाएगा तो उसके खिलाफ सीसीएस रूल 1964 के दायरे में अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।जिसकी आड़ में मेरे सहित संघ के तीन पदाधिकारियों पर कार्यवाही की गयी।संघ द्वारा मामला मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के ध्यान में लाने पर भी आज तक इस तुगलकी फरमान को निरस्त नही किया गया है जो सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है।
चौहान ने कहा कि उनकी आवाज़ रोकने के लिए उन पर दो – दो झूठी चार्जशीट बनाई गई है और कम से कम 10 शो कॉज नोटिस अभी तक दिए जा चुके है ।
प्रदेश का छठा वेतन आयोग जो 1.1. 2016 से देय है को 5 वर्ष की अवधि बीत जाने पर भी सरकार द्वारा अभी तक इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया गया है संघ ने सरकार से बार-बार आग्रह किया है कि जब हम सेवा नियमों पर केंद्र का अनुसरण करते हैं तो वित नियमो पर भी हिमाचल को केंद्रीय वित्त आयोग का अनुसरण करना चाहिए। अब तो पंजाब सरकार ने भी छठा वेतन आयोग लागू कर दिया है इसलिए हिमाचल में इससे लागू करने के लिए सरकार को किसी जेसीसी जैसी बैठक का इंतजार करने का कोइ औचित्य नहीं है इससे तुरंत प्रभाव से हिमाचल में लागू करने की आवश्यकता है , जिसकी संघ पुरजोर मांग करता है।
संघ सरकार से मांग करता है कि प्रदेश के कर्मचारियों एवं शिक्षकों के भत्ते का भुगतान केंद्रीय कर्मचारियों की तर्ज पर किया जाए। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ सरकार से मांग करता है कि प्रदेश के कर्मचारियों के लंबित 5% डीए का भुगतान तत्काल प्रभाव से बहाल किया जाए क्योंकि केंद्र सरकार बहुत पहले इसे जारी कर चुकी है और पंजाब ने भी एक मुश्त 11% डीए की किस्त जारी कर दी है इसलिए हिमाचल के कर्मचारियों को डीए कि किस्त देने के लिए किसी औपचारिक बैठक का इंतजार करना प्रदेश के कर्मचारियों के साथ बेईमानी है।
पार्टी के अपने चुनावी घोषणा पत्र स्वर्णिम हिमाचल दृष्टि पत्र मे 4-9-14 टाइम स्केल के लाभ जारी रखने तथा संशोधित ग्रेड पे की विसंगतियों को दूर करने के लिए एक कमेटी गठित करने का कर्मचारियों से वादा किया गया था लेकिन ये एक चुनावी वादे तक ही सीमित रह गया। संघ सरकार से मांग करता है कि 4-9-14 की मूल विशेषताओं अथवा प्रकृति को समाप्त करने वाली 26.2.2013, 7.7. 2014 व 9.9 .2014 की अधिसूचनाओं को तुरंत वापस लेकर इसे कर्मचारी हितेषी बनाया जाए ताकि प्रदेश के सभी कर्मचारी जो आज इस लाभ से वंचित हो गये है उन्हें इसका लाभ मिल सके। वीरेंद्र चौहान ने संघ सरकार मांग की है कि अपने दृष्टि पत्र के अनुरूप मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करे जिससे 15.5. 2003 के उपरांत नियुक्त कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत लाया जा सके। साथ ही केंद्र सरकार के एनपीएस में हुए 2009 के संशोधन को, जिसमें अपंगता एवं अकस्मात मृत्यु की स्थिति में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत लाने के प्रावधान को हिमाचल में भी लागू किया जा सके।
संघ ने सरकार पर आरोप लगाया के कर्मचारियों के वेतन विसंगतियों एवं अन्य मांगों के निराकरण के लिए सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी तो गठित कर ली लेकिन वह एक कर्मचारियों के साथ छलावा मात्र ही साबित हुआ क्योंकि इस संदर्भ में ना तो अभी तक कर्मचारियों के साथ मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कोई बैठक हो पाई और ना ही किसी भी शिक्षकों के मुद्दे का हल हो पाया। इसलिए संघ मांग करता है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संघ की बैठक शीघ्र निर्धारित की जाए जिससे शिक्षकों के लंबित मुद्दों पर चर्चा की जा सके।
संघ ने स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा इस वर्ष से संचालित टर्म 1 व टर्म 2 के आधार पर वार्षिक परीक्षाओं का शिक्षार्थी हित में विरोध किया था। जिसे बोर्ड द्वारा मनमाने तरीके से लागू करने का निर्णय लिया गया है संघ का आरोप है कि इससे नवंबर व दिसंबर माह जोकि बच्चों के लिए पढ़ाई की दृष्टि से अनुकूल एवं महत्वपूर्ण है, में पढ़ाई पूरी तरह से बाधित हो रही है शिक्षक अपना सिलेबस आगे बढ़ाने में असमर्थ है क्योंकि बच्चे टर्म 1 की परीक्षाओं की तैयारियों में लग गए हैं और आधे से ज्यादा सिलेबस अभी पढ़ाना बाकी है शीतकालीन स्कूलों में इसका सबसे ज्यादा कुप्रभाव पड़ेगा क्योंकि दिसंबर के बाद 15 फरवरी के बाद ही स्कूल खुलेंगे उस स्थिति में टर्म 2 का सिलेबस करवाना शिक्षकों के लिए टेडी खीर होगा l संघ ने आरोप लगाया कि बोर्ड ने बिना किसी तैयारी से इस टर्म सिस्टम को मनमाने तरीके से लागू किया है जिससे बच्चों का बहुत नुकसान होगा l यहाँ तक कि बोर्ड ने सिलेब्स को सही से दो भागों में बाटने काम भी खुद से नही किया। संघ ने सरकार के ध्यान में भी इस बात को लाया था जिस पर सरकार ने कोई भी पहल नहीं की इस बात का संघ को अफसोस है lइस फैसले से सभी अभिभावकों , बच्चों एवं शिक्षको में रोष है l
टीजीटी व पदोन्नत प्रवक्ता से मुख्याध्यापक की पदोन्नति जिसकी डीपीसी डेढ़ माह पूर्व हो चुकी है उसकी पदोन्नति सूची विभाग द्वारा अभी तक जानबूझकर जारी नहीं की गई है जिससे शिक्षकों में भारी असंतोष है l संघ सरकार से इस संदर्भ में हस्तक्षेप कर पदोन्नति सूची को अविलंब जारी करने की मांग करता है l
संघ सरकार से आग्रह करता है कि जिस तरह 2016 तक के प्रधानाचार्य को नियमित किया गया है उसी तरह 2017 के उपरांत प्रधानाचार्य की पदोन्नतियों को भी शीघ्र नियमित किया जाए, ताकि उन्हें वित्तीय लाभ मिल सके।
संघ सरकार से माँग करता है कि कर्मचारियों के अनुबंध सेवा काल को अपने दृष्टि पत्र के अनुरूप 3 वर्ष से घटाकर 2 वर्ष करें।
टीजीटी से प्रवक्ता स्कूल न्यू की पदोन्नति हेतु सेवा शर्त को 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष किया जाए तथा प्रवक्ता आईपी पर पदोन्नति के लिए 5 वर्ष के कंप्यूटर शिक्षक के अनुभव को समाप्त किया जाए।
राज्य सरकार के सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को बीमारी की स्थिति में कैशलैस हेल्थ सर्विस का प्रावधान किया जाए।
भाषा व संस्कृत अध्यापकों को टीजीटी पदनाम जो लंबे समय से सरकार के विचाराधीन है, उसे जल्द दिया जाए जिससे हजारों शिक्षकों को फायदा होगा।
सभी वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में प्रवक्ता शारीरिक शिक्षा का पद सृजित किया जाए । शिक्षकों की पदोन्नति पर संशोधित ग्रेड पे लागू होने के लिए 2 वर्ष की शर्त को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए l
अध्यापकों के नियमित होने पर इनिशियल स्टार्ट की बहाली व सभी लाभ प्रथम नियुक्ति की तिथि से दिए जाए । अध्यापकों को सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष की जाए।
सभी मुख्याअध्यापकों को डीडीओ की शक्तियां देकर इस कैडर में चल रही विसंगतियों को दूर किया जाए तथा भविष्य में प्रवक्ताओं एवं मुख्य अध्यापकों से प्रधानाचार्य के 50 : 50 कोटे में कोई बदलाव ना लाया जाए।
26.4. 2010 की अधिसूचना को वापस लिया जाए। सभी उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों का सृजन किया जाए। शिक्षा विभाग में कार्यरत कंप्यूटर अध्यापकों सहित अन्य आउट सोर्स अध्यापकों के लिए पॉलिसी बनाकर उन्हें नियमित किया जाए। केंद्र की तर्ज पर महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान किया जाए। सभी कर्मचारियों के 300 प्लस अर्जित अवकाश को उनके खाते में जमा किया जाए।
एक ही पद पर 15 वर्ष की सेवा पूरी होने पर सभी शिक्षकों को 2 अतिरिक्त विशेष वेतन वृद्धियों का प्रावधान किया जाए।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत सभी स्कूलों के बैंक खाते एच डी फ़ सी बैंक में खुलवाने के आदेश एक तुग़लकी फरमान है जिसका संघ कड़ा विरोध किया हैं और इस निर्णय को तुरंत वापिस लेने की मांग करता है।
संघ शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक एवं शिक्षा बोर्ड चैयरमैन के अध्यापक संगठनों के प्रति उदासीन रवैये से भी खफा है संघ ने आरोप लगाया है कि उक्त अधिकारी सरकार की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और उक्त अधिकारी सरकार व कर्मचारियों के बीच की कड़ी को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं जिससे शिक्षकों में सरकार के प्रति निराशा एवं असंतोष बढ़ रहा है इस संदर्भ में संघ मुख्यमंत्री के ध्यान में लाते हुए इस दिशा में हस्तक्षेप करने का आग्रह करता है और शिक्षकों के साथ समय रहते एक उचित बैठक करने की मांग भी संघ मुख्यमंत्री से करता है जिससे शिक्षकों का मनोबल ऊंचा बना रहे और सड़कों पर धरना प्रदर्शन करने के बजाए समाज निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान शिक्षकों के द्वारा हमेशा की तरह दिया जाता रहे ।

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