शोकोदगार से शुरू हुआ विधानसभा सदन, रिखी राम कौंडल को किया याद

शिमला टाइम

एक सप्ताह के अंतराल के बाद सोमवार को विधानसभा बजट सत्र की शुरुआत शोकोदगार के साथ हुई। सीएम जयराम ठाकुर द्वारा शोकोदगार प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय रिखी राम कौंडल के साथ वर्षों तक काम किया है। हंसमुख स्वभाव के रिखी राम कौंडल का जिस दिन देहांत हुआ उस दिन नाश्ता इकट्ठा किया था। उन्होंने आग्रह किया था कि कार्यसमिति की बैठक खत्म होने के बाद मिलना चाहते है। सीएम ने कहा कि किसी कारणवश नहीं मिल पाया। सुबह 6 बजे फोन आया और पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक हो गया। नेता प्रतिपक्ष अग्निहोत्री ने कहा कि रिखीराम कौंडल के अचानक चले जाने पर बहुत दुःख है। विपक्ष भी इस शोकोदगार में सम्मिलित है।5 बार विधायक रहे कौंडल का राजनीति में नाम रहा है। उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर काम किया है। पिछली बार जब एमएलए बने थे तो उन्होंने कहा था कि अपना क्वार्टर मुझे देना, लेकिन उन्होंने चुनाव ही लड़ा। रिखी राम कौंडल युवा कांग्रेस में रहे, कांग्रेस से चुनाव लड़ने के बाद वह बीजेपी में गए। विधायक व भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने भी शोकोदगार में भाग लिया। उन्होंने कहा कि उनका सभी जगह अच्छा तालमेल रहा। विधानसभा उपाध्यक्ष, मंत्री के नाते उनका बड़ा योगदान रहा है। अच्छे समाज सेवक की भूमिका में रहे। उनके पुत्र का चले जाना उनके लिए कष्टदायक था। शोकोदगार में मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, झंडूता के विधायक जेआर कटवाल, नैना देवी के विधायक रामलाल ने भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि

रिखी राम कौंडल ने पहला चुनाव कांग्रेस से लड़ा। चुनाव नहीं जीते, 1978 तक युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहें। 18 नवंबर 1978 को जेल भरो आंदोलन में साथ मे जेल गए थे। अपनो व परायों की प्रताड़ना सहने के बाद भी अच्छे से काम किया। उनके बर्ताव से कभी नहीं लगता था कि वह कांग्रेस से है या बीजेपी से, वह सभी के साथ मिल जुलकर रहते थे। उन्होंने हिमाचल भवन का जिक्र भी किया कि तीन दिन वहां रहे, रोज सुबह चाय एक साथ पी लेकिन कभी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी छोड़कर चले जायेंगे।रिखी राम कौंडल ने जिस ढंग से कोड़धार के लोगों के लिए काम किया कभी नहीं भुलाया जा सकता। घुमारवीं के विधायक राजेन्द्र गर्ग, पौंटा साहिब के विधायक सुखराम ठाकुर ने भी शोकोदगार में भाग लिया। विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज भी शोकोदगार में शामिल हुए। विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने भी खुद को शोकोदगार में शामिल किया और सदन में सदस्यों द्वारा 2 मिनट का मौन रखा गया।

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