स्कूलों के खाते एचडीएफसी बैंक में ही क्यों?… हो जांच

शिमला टाइम

हिमाचल प्रदेश के सभी स्कूलों के खाते निजी बैंक में खुलवाने को लेकर कई शिक्षक संघ बिफर गए हैं और इस फैसले का विरोध हो रहा है। राजकीय अध्यापक संघ के बाद अब स्कूल प्रवक्ता संघ ने भी अवाज़ उठाई है। 
राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत सभी स्कूलों के बैंक खाते एचडीएफसी बैंक में खुलवाने के आदेश एक तुग़लकी फरमान है जिसका हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ कड़ा विरोध करता है। उन्होंने इस निर्णय को तुरंत वापिस लेने की मांग की है। ऐसे में जब राज्य के अपने बैंक पहले से काम कर रहे है। राज्य सरकार के इन बैंकों का दरकिनार कर निजी बैंक को तरजीह देना इससे एक बड़े भ्रष्टाचार की बू आ रही है। मांग उठ रही है कि जांच हो कि आखिर एक निजी बैंक को इतना महत्व किस लिए, जिसकी शाखाएं भी प्रदेश में गिनी चुनी है।

 उन्होंने कहा कि पहले तो सरकार सर्वे करवाए कि एचडीएफसी बैंक की कितनी शाखाएं हिमाचल में है और उनमें से ग्रामीण इलाकों व स्कूलों के नज़दीक कितनी। हिमाचल जैसे कठिन भोगौलिक क्षेत्र में स्कूलों को सरकार के मनचाहे बैंक में खाते खुलवाने के निर्देश सरासर गलत है। ऐसे में जब इस निजी बैंक की शाखाएं भी स्कूलों के नजदीक नहीं है। कई स्कूलों के शिक्षकों को बैंक तक पहुंचने और काम करवाने में ही दो दिन लग जाएंगे जिसके आने जाने का खर्च भी राजकोषीय खाते पर पड़ेगा और आम जनता के पैसे की कहीं न कहीं बर्बादी ही होगी। संघ ने मांग की है कि निजी बैंक में खाते खुलवाने के निर्णय को तुरंत वापिस लिया जाए।


स्कूल प्रवक्ता संघ जिला बिलासपुर के अध्यक्ष नरेश ठाकुर ने कहा कि उनका संघ भी सरकार के फैसले का विरोध करता है। निजी बैंक जिनकी शाखाएं ही स्कूलों से कई -कई किलोमीटर दूर है, ऐसे बैंकों में स्कूलों के खाते रखना उचित नहीं है। जिस तक पहुंचने में ही घन्टों लग जाएं। जबकि सरकार के अपने बैंक अधिकांश जगह पर है तो ऐसे में उनमें ही स्कूलों के लिए सुविधाएं जारी रखी जाए। निजी बैंक को फायदा देने की बजाय सरकार अपने बैंको को बढ़ावा दें।  


गौर हो कि सितम्बर महीने में एचडीएफसी बैंक में खाते खुलवाने को सभी स्कूलों को समग्र शिक्षा अभियान हिमाचल की ओर से केंद्र की स्पॉन्सर स्कीम्स व उनके लिए मिलने वाले फंड के उपयोग की मॉनिटरिंग का हवाला देते हुए यह फरमान जारी किए गए हैं। जिसके बाद से बैंक कर्मचारी भी स्कूलों के चक्कर काटने लगे है। मगर सवाल यह है कि अभी जो खाते खुलवाने मीलो दूर स्थित स्कूल पहुंच भी रहे है जब पैसा लेन देन करने की बारी आएगी तो स्कूल कैसे घण्टों सफर कर बैंक के चक्कर काटेगा। जबकि स्कूलों के नजदीक पहले से सरकार के अपने कोई न कोई राज्य व राष्ट्रीयकृत बैंक नजदीक पड़ते हैं। ये फरमान प्राथमिक हो या माध्यमिक व उच्च या फिर वरिष्ठ माध्यमिक प्रदेश के सभी स्कूलों के लिए जारी किए गए हैं। जिसका शिक्षकों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। 

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