सरकार ने की HPMC व हिमफ़ेड के माध्यम से 74000 मीट्रिक टन ‘सी’ ग्रेड सेब की खरीद, बागवानों को अब तक कोई भुगतान नहीं, किसान संघर्ष समिति ने दी आंदोलन की चेतावनी

शिमला टाइम
किसान संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस वर्ष सेब बागवानों से एचपीएमसी व हिमफेड द्वारा मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के तहत लिये गए ‘सी’ ग्रेड के सेब का भुगतान तुरन्त करे। सरकार ने उपचुनाव के दौरान घोषणा की थी कि सरकार ने निर्णय लिया है कि इस वर्ष बागवानों से मण्डी मध्यस्थता योजना के तहत लिये गए सेब का भुगतान इसी वर्ष कर दिया जाएगा और इसके लिए राशी का प्रावधान कर दिया है। परन्तु सरकार ने अभी तक इस भुगतान के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए हैं और अपने निर्णय के लिए लागू नहीं कर रही है।

किसान संघर्ष समिति के संयोजक संजय चौहान ने कहा कि इस वर्ष मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के तहत सरकार ने एचपीएमसी व हिमफ़ेड के माध्यम से रिकॉर्ड 74000 मीट्रिक टन के लगभग ‘सी’ ग्रेड सेब की खरीद की है। जिसकी कीमत करीब 72 करोड़ रुपए बनती है। इस वर्ष प्रदेश में भारी ओलावृष्टि व वर्षा के चलते प्रदेश में सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। प्रदेश में करीब 50 प्रतिशत फसल इसकी चपेट में आई थी और यह नुकसान करीब 1500 करोड़ रुपए के लगभग हुआ है। इसके साथ ही मण्डियों में बागवानों को उचित दाम न मिलने व पैकेजिंग सामग्री की बड़ी हुई कीमतों से भी बागवानो को मण्डी मध्यस्थता योजना के तहत सेब एच पी एम सी व हिमफ़ेड के माध्यम से बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। बहुत से ऐसे बागवान है जिनकी सेब की फसल को ओलावृष्टि से बहुत अधिक नुकसान हुआ था और इन्होंने अपनी सारी फसल ही मण्डी मध्यस्थता योजना के तहत दी है।

सरकार ने न तो इस नुकसान की भरपाई के लिए बागवानों को आज तक कोई भी राहत प्रदान नहीं की है और इसका समय पर भुगतान न होने के कारण इनको आज रोजमर्रा के खर्च वहन करना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे हालात में बड़ी संख्या में बागवान विशेष रूप से छोटा और गरीब बागवान तो अपने लिए राशन का प्रबंध भी नहीं कर पा रहा है। यदि समय रहते सरकार इनका भुगतान नहीं करती है तो इनका रोज़ी रोटी का संकट और अधिक गहरा होगा। इसके अतिरिक्त आज बागवानों को बैंक से लिये गए कर्ज व अन्य लागत वस्तुओं का भी भुगतान करना होता है। आज यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि सरकार के पास बागवानों का लम्बित सेब का बकाया भुगतान तुरन्त किया जाए।
देश व प्रदेश में कृषि संकट के चलते किसानों व बागवानों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। एक ओर सरकार की नीतियों के कारण कृषि में लागत वस्तुएं महंगी होने से लागत कीमत में वृद्धि हो रही है। वहीं दूसरी ओर मण्डियों में किसानों व बागवानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है। एक ओर मण्डियों में ए पी एम सी कानून, 2005 की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है और आढ़ती व खरीददार बागवानों की सेब का भुगतान समय पर नहीं कर रहें हैं और सरकार भी बागवानों से मण्डी मध्यस्थता योजना के तहत खरीदे सेब का बकाया भुगतान वर्षों तक नहीं करती है। इसके साथ बागवानों को नकद भुगतान के बजाए एच पी एम सी अनावश्यक सामान खरीदने के लिए मजबूर करती है। सरकार का समय पर बागवानों का भुगतान न करना सरासर गैरकानूनी है और सरकार का किसान बागवान विरोधी रवय्या दर्शाता है। यदि सरकार बागवानों का बकाया भुगतान तुरन्त नहीं करती है तो किसान संघर्ष समिति किसानों बागवानों को लामबन्द कर सरकार से अपने इस बकाया भुगतान करवाने के लिए आंदोलन करेगी।



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