तत्कालीन वित्त सचिव श्रीकांत बाल्दी की चली थी मनमानी, कर्मचारियों के वित्तीय लाभ पर चलाई थी कैंची, नतीजा-आज ढाई लाख कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा है खामियाजा: चौहान

शिमला टाइम

छठे वेतन आयोग की अधिसूचना जो वित्त विभाग द्वारा भारत के संविधान के आर्टिकल 348 के तहत संख्या fin-(PR) B (7)-1/2021 3 जनवरी 2022 को जारी की है उसके संदर्भ में जो भी त्रुटियां एवम् नुक्सान छठे वेतन आयोग को लागू करने से हिमाचल प्रदेश के तमाम शिक्षकों एवं कर्मचारियों को हो रहे है या यूं कहें जिस तरह से छठे वेतन आयोग में जो कि 16 साल बाद हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को दिया जा रहा है ठगने का प्रयास हिमाचल सरकार कर रही है उसको लेकर आज हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने तथ्यों सहित प्रेस वार्ता के माध्यम से सरकार और वित्त विभाग के कारनामों को उजागर किया है ।

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि हिमाचल में इससे पहले 2006 का पे कमीशन 2009 में लागू किया गया था। जिसमें रूल 2009 के तहत जो प्रावधान 2009 में पांचवे वेतन आयोग में किए गए थे। बाद में 1-10 -2012 को कुछ खामियों के कारण उस वेतन आयोग में कुछ संशोधन किए गए थे। जिससे बहुत से कर्मचारियों और शिक्षकों का ग्रेड पे बढ़ गया था लेकिन उसी संशोधन में हिमाचल सरकार ने पंजाब सरकार के संशोधन को पीछे छोड़कर एक अपना नया पैरामीटर तय किया था। उस वक्त के वित्त सचिव श्रीकांत बाल्दी ने हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों की कमर तोड़ने के लिए उस समय जो जो कटौती या यूँ कहे जहां जहां कैंची चला सकते थे। उन्होंने पूरी मनमानी करते हुए कर्मचारियों के बहुत से लाभ छीनने का काम किया। जिसमें पंजाब से हटकर हिमाचल में 1- 10 -2012 को ग्रेड पे के संशोधन में कर्मचारी व शिक्षकों को इनिशियल स्टार्ट बंद कर दिया। साथ में नए वेतनमान को लागू करने के लिए नई नियुक्तियों एवं पदोन्नति पर 2 साल की बेवजह शर्त थोप दी और दिनांक 7-7- 2014 को 4-9-14 टाइम स्केल के रूल 2009 के तहत निर्धारित किए गए टाइम स्केल को भी तहस-नहस कर दिया

जिसका खामियाजा छठे वेतन आयोग में आज हिमाचल प्रदेश के ढाई लाख कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा है। हालांकि हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने उसी वक्त इन दोनों चीजों का कड़ा विरोध किया था और कई बार इसको लेकर आंदोलन भी किया और समय-समय पर पिछली दोनों सरकारों से लगातार आग्रह भी करते रहे की दिनांक 26-2- 2013 और दिनांक 7-7-2014 की इन दोनों अधिसूचनाओ को हिमाचल सरकार निरस्त करें हालांकि 2014 में हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ इन दोनों अधिसूचना को निरस्त करने के लिए न्यायालय की शरण में भी गया जिसका निर्णय अभी भी न्यायालय से नहीं हुआ है इसके अलावा हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ हिमाचल प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को समय-समय पर छठे वेतन आयोग के लागू होने से होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराता आया है।

हिमाचल पहला ऐसा राज्य बन गया है जो अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को सबसे कम वेतनमान दे रहा है….

वीरेंद्र ने कहा कि आज बड़े दुख के साथ कह रहा हूं कि हिमाचल प्रदेश देश के अंदर पहला ऐसा राज्य बन गया है जो अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को सबसे कम वेतनमान दे रहा है। 2016 से छठे वेतन मान के अनुसार हिमाचल में प्रवक्ताओं को इनिशियल वेतनमान ₹43000 है टीजीटी को 38100 , सी एंड वी को 35600 जेबीटी को 33400 रखा गया है। जबकि पंजाब में 47000,41600,40100, 37600 तथा केंद्र में यदि केंद्रीय विद्यालय की बात करें। तो प्रवक्ताओं को 47 600 टीजीटी को 44 900 जेबीटी को 35400 इसी आधार पर हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी यही वेतनमान लागू है।
यदि केंद्र सरकार के वेतनमान की बात की जाए तो वहां पर केंद्रीय विद्यालय के शिक्षकों को इस वेतनमान पर 24% एचआरए, 31% डीए और अन्य भत्ते भी दिए जा रहे हैं इसी तरह पंजाब में भी 10% से 24% एचआरए और 31% डीए सहित अन्य भत्ते भी कर्मचारियों और शिक्षकों को दिए जा रहे हैं लेकिन अगर मैं हिमाचल की बात करूं तो हिमाचल में अभी मात्र छठा वेतन आयोग लागू किया गया है और साथ में किसी तरह के भते नहीं बढ़ाए गए हैं जोकि 400 और ₹200 के रूप में एचआरए और सीसीए हिमाचल में दो ही भते दिए जाते हैं । मैं आज इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बताना चाह रहा हूं कि किस तरह से सभी वर्गों के शिक्षकों में एक बहुत बड़ी वेतन विसंगति खड़ी हो गई है। कुछ कैलकुलेशन के साथ यह भी बताना चाहता हूं कि किस तरह से कुछ मिलने के बजाए कर्मचारियों और शिक्षकों में उल्टी रिकवरी की स्थिति पैदा हो गई है ।

ऐसे दिया वीरेंद्र चौहान ने उदाहरण…..

वीरेंद्र ने कहा कि पहला एग्जांपल हिमाचल में कार्यरत लिपिक ,स्टेनो ,फॉरेस्ट गार्ड और पुलिस कॉन्स्टेबल इन सबके लिए निर्धारित वेतनमान पर लेता हूं मान लीजिए कि इनमें से कोई भी कर्मचारी 1-9 -2013 को पंजाब और हिमाचल में सेवारत हुआ है तो दिनांक 1-9- 2015 को दो साल बाद पंजाब वाला साथी 14430 और हिमाचल वाला साथी 13500 की बेसिक पर होगा इस तरह से दिनांक 1 -1- 2016 को उसकी बेसिक पंजाब में 33300 होगी और हिमाचल में 30500 यदि डिफरेंस की बात की जाए पंजाब वाला साथी 1-1-2016 को 32 468 और हिमाचल वाला 30 375 रुपए ले चुका है यदि दोनों का अंतर निकाला जाए तो पंजाब में 832 और हिमाचल में 125 रुपए की बढ़ोतरी हुई है लेकिन हिमाचल में 1-1 -2016 से आईआर दिया गया है इस तरह से अगर 1-1-2016 से 1-1 -2022 तक पंजाब और हिमाचल की कैलकुलेशन की जाए तो दोनों में मूल वेतन में 3400 का अंतर आ जाता है जब हमने 1-1- 2016 से 31-12- 2021 तक पूरी सैलरी की कैलकुलेशन की तो इन कर्मचारियों को हिमाचल मे 114016 रुपए की रिकवरी लगनी निश्चित हुई है ।
इसी तरह जब हमने हिमाचल और पंजाब में एक साथ नियुक्त जेबीटी 30-9 -2013 की तिथि की गणना की तो 1-1 -2016 को पंजाब में जेबीटी शिक्षक का मूल वेतन ₹ 42500 और हिमाचल में ₹33400 निर्धारित हुआ जबकि यह शिक्षक 1-1 -2016 की तिथि में पंजाब में 38903 और हिमाचल में 32625 रुपए का वेतन ले चुके हैं तो अंतर के रूप में बढ़ोतरी पंजाब में 35 97 रुपए और हिमाचल में 775 रुपए की रह जाती है। इस तरह से पंजाब और हिमाचल में एक तिथि में नियुक्त जेबीटी को 1-1- 2016 में 9100 रुपए का मूल वेतन में अंतर सामने आ रहा है। आई आर के रूप मे पहले जो राशि ली गयी है उस हिसाब से JBT वर्ग को भी पचास से एक लाख के आस पास रिकवरी लग रही है
अगर यहीं गणना हम टीजीटी की करते हैं यदि पंजाब और हिमाचल में मान लिया जाए 1-10- 2013 की तिथि से एक साथ टीजीटी नियुक्त होते हैं तो 1-1 -2016 को पंजाब में मूल वेतन 48200 तथा हिमाचल में 40400 रुपए निर्धारित हो रहा है जबकि 1-1- 2016 को यह लोग पहले ही पंजाब में 44078 हिमाचल में 35393 रुपए का वेतन ले चुके हैं तो दोनों की बढ़ोतरी वेतन में 1-1- 2016 को पंजाब में 4122 और हिमाचल में 5007 रुपए बनती है जबकि 1-1-2016 को दोनों व्यक्तियों के मूल वेतन में 7800 रुपए का अंतर आ रहा है

इसी तरह प्रवक्ताओं की नियुक्ति की बात की जाए तो 30- 9- 2013 को नियुक्त हिमाचल और पंजाब के प्रवक्ता 1-1- 2016 को 52900 और 45600 रुपए मूल वेतन पर निर्धारित हो गए इनके द्वारा 1-1-2016 तक दिया गया वेतनमान पंजाब में 48465 हिमाचल में 37328 रुपए है इस तरह 1-1 -2016 को वेतनमान में बढ़ोतरी पंजाब में 4435 रुपए हिमाचल में 8272 बनती है लेकिन यदि 1-1- 2016 को इन दोनों के मूल वेतनमान में अंतर निकाला जाए तो वह 7300 रुपए निकल रहा है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की हिमाचल और पंजाब में एक साथ लगे साथी 1-1-2016 को छठे वेतन आयोग के लागू होने से पंजाब से कितने पीछे हो रहे हैं जबकि हिमाचल सरकार पूरी तरह से पंजाब के पे कमिशन को लागू करने के लिए बाध्य है । हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिमाचल सरकार से मांग करता है कि आप हूवहू पंजाब के वेतन आयोग को लागू करें और जिस तरह से पंजाब में इनिशियल स्टार्ट के द्वारा सभी केटेगरी का 1-1-2016 में मूल वेतनमान निर्धारण किया है उसी आधार पर हिमाचल को भी उसी फार्मूले के तहत वेतनमान निर्धारण करना होगा और साथ ही 4-9-14 टाइम स्केल जिसको हिमाचल सरकार 3 जनवरी 2022 को बंद करने की अधिसूचना जारी कर चुकी है 1-1- 2021 तक की कैलकुलेशन में हिमाचल सरकार 4-9-14 टाइम स्केल की कैलकुलेशन को लेने से नहीं रोक सकती है। जिस वर्ष जिस कर्मचारी का 4 या 9 या 14 वर्ष का बेनिफिट टाइम स्केल के तहत उसको मिलना है वहां उसकी कैलकुलेशन 1-1- 2021 तक की कैलकुलेशन में आ जानी चाहिए। जो कर्मचारी 2.59 का फेक्टर पुरानी ग्रेड पे पर ले रहे हैं उनका 1-10-2012 के वेतनमान संशोधन के कारण जो एक लाभ खत्म हो गया था वह दोबारा से स्टैंड हो गया है और उसकी गणना 1-1-2021 से पहले वेतन निर्धारण में अवश्य ही हो जानी चाहिए क्योंकि वेतन आयोग की 3 जनवरी 2022 की इस अधिसूचना के हिसाब से अपने आप ही टाइम स्केल का ये लाभ कर्मचारियों को मिलेगा जिसका दायित्व संबंधित डी डी ओ का है कि वह किसी भी शिक्षक व कर्मचारी को इससे वंचित ना रखें और साथ ही संघ मांग करता है कि इस संदर्भ में वित्त विभाग द्वारा एक और अधिसूचना जारी की जाए जिससे ये बात स्पष्ट हो सके।
आज इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जो कैलकुलेशंस की गई है उसमें सभी कर्मचारियों की पंजाब में 15% वेतन वृद्धि वाले तीसरे फार्मूले से सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है जो पंजाब में ज्यादातर कर्मचारियों और शिक्षकों द्वारा लिया गया है इसलिए हिमाचल भी 15% वृद्धि वाले विकल्प को हिमाचल में जारी करें जिसको बंद करने का कोई मतलब नहीं बनता है। छठे वेतन आयोग को लेकर पंजाब में भी लगातार कर्मचारी संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि वह इससे खुश नहीं है । इसको लेकर पंजाब सरकार ने 15% वृद्धि वाले विकल्प में डीए की कैलकुलेशन 113% से 119% करने तथा एरियर को ना देने के स्थान पर अब इस विकल्प को चुनने वाले कर्मचारियों के लिए 2.25 वाले फार्मूले से एरियर कैलकुलेट करने की बात भी मान ली है साथ ही कर्मचारी पंजाब में सभी को 1-10 -2011 के संशोधित वेतनमान के ऊपर 2.5 9 और 2.72 फैक्टर लगाने की मांग कर रहे हैं क्योंकि पंजाब में भी कर्मचारियों को और शिक्षकों को कोई ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा है इसलिए हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ सरकार से मांग करता है कि कम से कम उसी संदर्भ में जिस सन्दर्भ में अभी तक पंजाब ने लाभ दिये हैं उन्हें हिमाचल में भी लागू किया जाए और साथ में या तो केंद्र सरकार या फिर पंजाब द्वारा दिए गए सभी भत्ते भी शीघ्र अधिसूचित किए जाए।

संघ मांगों को लेकर सरकार को सौंपेगा ज्ञापन…..
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ का शिष्टमंडल उपरोक्त सभी मांगों को लेकर शीघ्र ही हिमाचल सरकार के मुख्यमंत्री एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त को अपना ज्ञापन सौपेगा।
संघ ने हिमाचल प्रदेश के सभी कर्मचारियों से अपील की है कि जब तक हिमाचल में पंजाब के वेतन आयोग को उसी रूप में लागू नहीं किया जाता है तब तक कोई भी कर्मचारी व शिक्षक अपनी ऑप्शन ना दे और सरकार के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा करने के लिए सभी कर्मचारी और शिक्षक वर्ग और उनके संगठन एक संयुक्त मोर्चा के बैनर तले इकट्ठे हो जाएं और मिलकर इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़े।

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