शिमला टाइम, धर्मशाला
राजस्व महकमा प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की आर्थिकी मजबूत करने में अहम भूमिका अदा करता है, लेकिन हाल ही में नए वेतन आयोग में इस विभाग के कर्मचारियों की अनदेखी सरकार को महंगी पड़ सकती है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में नए वेतन आयोग की सिफारिशों को पटवार एवं कानूनगो महासंघ ने दरकिनार कर दिया है । पटवार एवं कानूनगो महासंघ की राज्य कार्यकारिणी के मुख्य सलाहकार प्यारे लाल शर्मा ने पटवारी एवं कानूनगो वर्ग को पंजाब की तर्ज पर पहली जनवरी 2016 से 15% बढ़ोतरी के फार्मूले को लागू करने की मांग की है।
उनका कहना है कि नए वेतन नियमों की समीक्षा करने से पाया गया कि इससे राजस्व विभाग के कर्मचारियों को काफी नुकसान हो रहा है। हालांकि इस संबंध में कर्मचारियों द्वारा वर्ष 2008-09 में अपने वेतनमान को तर्कसंगत बनाने के लिए संघर्ष किया था, जिसके उपरांत वर्ष 2012 में इसे ठीक करवाया था, उसे सरकार ने रद्द कर दिया है । इससे प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है। महासंघ शीघ्र ही वेतन निर्धारण में होने वाले नुकसान को तर्कसंगत बनाने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा ताकि इस वर्ग के साथ न्याय हो सके। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग के कर्मचारी ही ऐसे कर्मचारी हैं जो सरकार की नीतियों को आम जनता तक पहुंचाने का काम करते हैं और आज इसी विभाग के कर्मचारियों द्वारा प्रदेश के विकास के लिए दिन- रात एकजुट होकर काम किया जा रहा है, फिर भी इस वर्ग की अनदेखी की जा रही है।
हालांकि इस संबंध में प्रदेश पटवार एवं कानूनगों महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष हेमराज शर्मा ने भी हाल ही में मीटिंग कर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से चर्चा के बाद ही नए वेतनमान को लेकर अपना विकल्प देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि बात चाहे कोविड काल की हो या अन्य किसी आपदा की, राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने कभी भी अपनी पीठ नहीं दिखाई है। लेकिन जब सुविधा मिलने की बारी आती है तो इस वर्ग के साथ अन्याय ही होता है। पटवार एवं कानूनगो महासंघ ने वेतन विसंगतियों को दूर करके राहत देने की पुरजोर मांग की है अन्यथा संघ को संघर्ष का रास्ता अख्तियार करना पडेगा।
