शिमला टाइम
चलती रेल में बाबा भलखू स्मृति कालका शिमला रेल साहित्य संवाद-2 के सफल आयोजन के बाद अब 25 से ज्यादा लेखकों ने न केवल उनके गाँव झाझा(चायल) की साहित्यिक यात्रा की बल्कि उनके पुशतैनी मकान में रह रहे उनकी छठी पीढ़ी के परिजनों से मुलाकात के बाद गांव में ही लोगों के मध्य सुशील ठाकुर के घर साहित्य सम्वाद और गोश्ठी का आयोजन किया गया। लेखकों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें प्रदेश व केंद्र सरकार से मांग की गई कि कालका शिमला विश्व धरोहर के सर्वेक्षण करने वाले अनपढ़ इंजिनीयर भलकु के गांव चायल झाझा तक रेल लाइन बिछाई जाए।

चायल वैसे भी विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपने प्राकृतिक सौंदर्य, विश्व में सबसे ऊंचे क्रिकेट मैदान और चायल पैलेस के लिए अंकित है। यह भी मांग की गई कि शिमला में स्थापित भलकु संग्रहालय को उनके गांव बदला जाए तथा शिमला रेलवे का नाम बाबा भलकु कालका शिमला धरोहर रेल किया जाए। साथ ही चायल में स्थापित भलकु पार्क का नवीनीकरण भी हो। भलकु के डेढ़ सौ वर्ष पुराने घर को धरोहर का दर्जा उनके परिवार के साथ विचार विमर्श कर दिया जाए। यह जानकारी इस यात्रा के संयोजक, लेखक व हिमालय मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट ने दी।
हरनोट ने बताया कि शिमला और सोलन से इस यात्रा में तकरीबन 25 लेखक शामिल हुए जिनका भलकु परिवार के परिजनों दुर्गा दत्त, गगन दीप, सुशील कुमार के साथ बाबा भलकु जन विकास समिति के अध्यक्ष बी आर मेहता, चायल होटल एसोसिएशन के प्रधान देवेंद्र वर्मा और रूप सिंह ठाकुर, साहित्य कला परिषद चायल के साथ ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया। इस मौके पर रेलवे विभाग की टीम भी उपस्थित रही जिसमें
आदित्य शर्मा, संयुक्त निदेशक, कालका शिमला रेल, मंडलीय यांत्रिक अभियंता, आशीष शर्मा, वरिष्ठ खंड अभियंता, कालका, सचिन शर्मा, वरिष्ठ खंड अभियंता, कृष्ण कुमार, प्रबन्धक बाबा भलकु रेल संग्रहालय शिमला शामिल थे।
लेखकों ने सर्वप्रथम चायल पैलेस का भ्रमण किया जो अब हिमाचल पर्यटन विकास निगम का हेरिटेज होटल है और उसके बाद भलकु पार्क का अवलोक करते हुए उसकी पुअर मेंटेनेन्स पर गहरी चिंता व्यक्त की।
इस यात्रा का मुख्य आकर्षण भलकु परिवार में साहित्य गोष्ठी रही जिसे बड़े चाव से स्थानीय लोगों का साथ मिला। गोष्ठी में शामिल रहे गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, सतीश रत्न, आत्मा रंजन, आनंद प्रकाश शर्मा, डॉ.विद्यानिधि, दीप्ति सारस्वत, डॉ० हेमराज कौशिक, डॉ. रोशन लाल जिंटा, डॉ. विकास सिंह, डॉ. नरेश देयोग, शांति स्वरूप शर्मा, एस.आर.हरनोट, सुमन धनंजय, स्नेह नेगी, अभिषेक तिवारी, कौशल मुंगटा, देविना अक्षयवर, चंद्रेश कुमार, नीता अग्रवाल, जगमोहन शर्मा और सोलन से लेखक व पत्रकार मदन हिमाचली के साथ साहित्य परिषद चायल के सदस्य प्रेम कश्यप, संजय और हरदेव शामिल रहे। झाझा गांव की दो नन्हीं कवियित्रियों अंशिका और काव्या ने भी कविताएं पढ़ीं ।
इस साहित्य गोश्ठी का सफल संचालन मदन हिमाचली ने किया।