लिपिक किसी भी विभाग की मजबूत रीढ़, एलडी चौहान बोले- इसलिए सरकार को भारी पड़ेगी अनदेखी

शिमला टाइम
हिमाचल प्रदेश समस्त विभाग लिपिक वर्ग कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश सरकार से छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत लिपिक वर्ग को हो रहे सीधे-सीधे नुकसान व परेशानियों को देखते हुए जल्द इस वर्ग के वेतन निर्धारण बारे संशोधन की मांग की है। संगठन के राज्याध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा व महासचिव एल ड़ी चौहान ने संयुक्त ब्यान में कहा कि सचिवालय , न्यायालय सहित हर विभाग की लिपिक वो श्रेणी है जो एक प्रशासनिक अधिकारी, नेता, शिक्षक से लेकर हर छोटी- बड़ी सभी श्रेणियों का रिकॉर्ड, स्थापना सहित लेखा-जोखा रखती है। लेकिन पिछले वेतन आयोगों की सिफारिशों से लेकर वर्तमान तक इस श्रेणी को वेतन लाभ के मामले में चतुर्थ श्रेणी से भी नीचे लाया जा रहा है जो कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बात है, बात चाहे न्यायालय के केस रिप्लाई की हो, कैबिनेट के लिए एजेंडा तैयारी की हो, किसी भी श्रेणी की भर्ती या पदोन्नति की हो, विधानसभा सत्रों की हो या मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्री की विशेष स्पीच की तैयारी की हो एक लिपिक वर्ग ही पूरी फ़ाइल तैयार करके पटल तक पहुंचाता है लेकिन अफसोस पूर्व से इससे सम्बंधित संगठनों के कर्मचारी नेताओं की लापरवाही व सुस्त कार्यप्रणाली की वजह से आज ये श्रेणी बैकफुट पर है। जबकि दूसरी श्रेणियों के कर्मचारी संगठनों ने अपनी एकता के दम पर पूर्व में सरकारों को वोटबैंक के दबाव में लेकर अपने वेतनों में लिपिक वर्ग से कही ऊपर की बढ़ौत्तरी करवाई जबकि उनके कार्यों की समीक्षा लिपिक के मुकाबले 50 प्रतिशत भी नहीं बनती थी।

एल ड़ी चौहान ने कहा कि 2 वर्ष पूर्व इस श्रेणी के उत्थान हेतु संगठन का गठन किया गया था तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी इस संगठन को तवज्जो दी थी और इस संगठन द्वारा रखी गयी मांग लिपिक से वरिष्ठ सहायक पदोन्नति हेतु कार्यकाल 10 से 7 साल करने को पूरा लिया था। वर्तमान में लिपिक वर्ग के प्रोबेशन पीरियड सहित अन्य मसलों पर वेतन आयोग की सिफारिशों से हो रहे नुकसान बारे संगठन द्वारा मांग पत्र माननीय मुख्यमंत्री व अतिरिक्त मुख्यसचिव वित्त को दिया जा चुका है और आवश्यक संशोधन बारे आश्वस्त किया गया है। चौहान ने कहा कि उनसे सम्बंधित हर संगठन सदैव सरकार के साथ खड़ा रहा है, दूसरे संगठनों की छोटी-छोटी बातों पर विरोध की बात नही करता है। प्रदेश सरकार जल्द वेतन आयोग में लिपिक वर्ग को हो रहे घाटे पर आवश्यक संशोधन कर अधिसूचित करें, यदि सरकार फिर भी हर विभाग की इस महत्वपूर्ण श्रेणी को अनदेखा करती है तो मजबूरन संगठन को हजारों लिपिकों के साथ सड़कों पर उतरकर विरोध करना पड़ेगा, जिसकी जिमेवार सरकार व प्रशासनिक अमला होगा।

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