शिमला टाइम
नियम 130 के अंतर्गत शिमला स्मार्ट सिटी के विकास कार्यों को लेकर प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए किन्नौर के विधायक जगत नेगी ने कहा कि सरकार कोई नई सोच के साथ शिमला को स्मार्ट नहीं बना रही है। सन 1957 की सोच लेकर सरकार चली है। सरकार का विज़न एडवांस होना चाहिए आज के दौर में जहां सरकार को शहर में टनल निर्माण करने चाहिए थे। वहीं वर्तमान में सड़कें चौड़ी करने में भी पिक एन्ड चूज काम हो रहा है। कई जगह तो सड़कें चौड़ी हुई है और कई जगह रेलवे स्टेशन व विधानसभा के बीच वाले मार्ग की तरह सड़कें इतनी संकरी है कि सुबह शाम घंटों जाम लगता है। जगत नेगी ने आरोप लगाया कि ठेकेदारों की मौज करवा कर रखी है। शौचालय भी ठेकेदारों के प्रॉफिट को देखते हुए बनाये जा रहे हैं। कहीं एक भी नहीं कहीं अनेक, रिज मैदान पर धंसे एक डंगा लगाने में 6 महीने नहीं लग गए। उन्होंने कहा कि पर्यटक शिमला की सड़कों पर पैदल चलना चाहते है। पैदल घूम कर यहां की वादियों को निहारना चाहते है। मगर शिमला की सड़कों की हालत ऐसी है जैसे फ़टे हुए कपड़ों पर टाली लगाकर होती है। राजधानी की सड़कें शीशे की तरह चकाचक होनी चाहिए। उन्होंने सत्ता पक्ष की तरफ इशारा कर तंज कसते हुए कहा कि खैर अब तो सरकार में हमने आना है, हम ही शिमला को स्मार्ट बनाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के तहत जो भी काम हो उसमें मेंशन किया जाए। वर्तमान में ये पता नहीं कि कौन सा काम शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हो रहा है। जरूरी नहीं कि कोई बड़ा बोर्ड लगे छोटा ही सही पर लिखा जरूर हो। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऐसे हालात है कि न तो सिटी स्मार्ट है न मंत्री, केवल नाम ही स्मार्ट है।