शिमला टाइम
विधानसभा बजट सत्र के पांचवें दिन नियम 130 के अंतर्गत शिमला स्मार्ट सिटी के विकास कार्यों को लेकर प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिमला का इतिहास 200 साल पुराना है। 1966 तक शिमला पंजाब राज्य में आता था। आम लोग तो मालरोड पर आ नहीं आ पाते थे। शिमला 35 हजार की आबादी के लिए बनाया गया था। उस समय गाड़ियां नहीं बल्कि रिक्शा के लिए मार्ग बनाए गए थे। 1966 के बाद जब शिमला हिमाचल में मिला तो इसका विस्तारीकरण शुरू हुआ। देश का 18वां राज्य बनते ही शिमला हिमाचल की राजधानी बन गई।
जिसके बाद शिमला बसना शुरू हो गया। इतना बस गया कि जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो गया। पानी की सप्लाई भी पूरी नहीं हो पाती थी। आखिरकार इस सरकार ने 1200 करोड़ रुपये पानी के लिए स्वीकृत कर दिया है, जिसमें सतलुज से शिमला शहर के लिए पानी आएगा। 2050 तक ये परियोजना लोगों की पेयजल की जरूरत को आसानी से पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि माकपा समर्थित नगर निगम ने जेएनयूआरएम के तहत काम नहीं किया। जो शहर का दुर्भाग्य है अन्यथा शहर कबका स्मार्ट हो जाता। समर सिटी प्रोजेक्ट की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने कहा कि शिमला से पहले धर्मशाला को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला था। जिसके के बाद शिमला को इस प्रोजेक्ट में शामिल करने के लिए के केंद्रीय मंत्री से मांग की गई। जिसके बाद अम्रुत परियोजना के तहत शिमला को लिया गया और नालों के चेनलाजेशन के लिये पैसा मिला। उसके बाद भी शिमला को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लाने को प्रयास जारी रहे और शिमला शहर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आया। उन्होंने बताया कि शिमला एक मात्र ऐसा शहर है इस प्रोजेक्ट के तहत जहां कोई कंसल्टेंट अपॉइंट नहीं किया है। सारे काम सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा किया जा रहा है। 48 करोड से सुरंग बनाने की योजना है, संजौली ढली सुरंग के समान्तर ये सुरंग बनेगी। उन्होंने बताया कि विधानसभा व रेलवे स्टेशन के बीच जिस सड़क मार्ग पर जाम लगता है उससे निजात दिलाने के लिए फ्लाई ओवर का प्रोपोजल भेजा है। यदि रेलवे की जमीन मिल गई और अप्रूवल मिल गई तो जाम से निजात मिलेगी। जाखू में एस्केलेटर की मंजूरी मिल गई है। पुराने बस स्टैंड से लिफ्ट लगेगी। विकासनगर में पार्किंग, लिफ्ट व ओवर ब्रिज लगेगा जो सीधा ब्रॉकहोस्ट पहुंचेंगी। नालों की चनेलाजेशन 10 करोड़ से होगी। उन्होंने कहा कि पुराने काम को नया करना मुश्किल होता है। जबकि कोई भी नया काम करना आसान होता है। स्मार्ट सिटी के तहत अभी तो 15 प्रतिशत काम हुए है। मार्च तक बदली हुई तस्वीर नज़र आएगी। प्रोजेक्ट की टेंडरिंग ऑनलाइन हुई है। रेट आजकल से कम है। सारे काम पारदर्शिता से हो रहे है। अनियमितताओं का सवाल ही नहीं उठता। यदि कहीं कोई गड़बड़ी हुई तो इन्क्वायरी होगी और कार्रवाई होगी। नियम 130 के अंतर्गत शिमला स्मार्ट सिटी के विकास कार्यों को लेकर प्रस्ताव विधायक विक्रमादित्य सिंह, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, इन्द्रदत्त लखनपाल व जगत सिंह नेगी ने लाया था। जिसमें इनके अलावा विधायक राकेश सिंघा, बलवीर वर्मा ने चर्चा में भाग लिया।
प्रस्तावना ही बदल दी, मांगी थी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में धांधलियों को लेकर चर्चा
नियम 130 के अंर्तगत चर्चा से पूर्व विधायक जगत नेगी ने पॉइंट ऑफ ऑर्डर के तहत मामला उठाया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हो रहे घोटालों को लेकर चर्चा मांगी थी। मगर प्रस्ताव को बदल कर विकास कार्य कर दिया गया। उन्होंने कहा कि वही प्रस्ताव चलने दिया जाए। सरकार की मंशा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि ये तो वही बात हो गई कि हमने गरीबी रेखा की बात की थी लेकिन इसको रेखा की गरीबी कर दिया गया। नेता विपक्ष ने कहा कि प्रस्ताव की भावना ही चेंज हो जाएगी तो कैसे चलेगा। पता लगाया जाए कि कौन बदल रहा है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को कहा कि हमें आपका सरंक्षण चाहिए।
विक्रमादित्य ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। शब्द के पीछे सरकार ने नकारात्मकता को छिपाने का प्रयास किया है। विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने कहा कि इस प्रस्ताव को चलने दिया जाए विकास कार्यों के साथ जो कमियां है वो चर्चा में आ जायेगी। सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलुओं को सदस्य रख सकते हैं।