क्यारकोटी के लिए बसों की असुविधा से विद्यार्थियों और आमजनों को हुई भारी दिक्कत

शिमला टाइम

राजधानी शिमला से क्यारकोटी के लिए चलने वाली बसों में लगातार पेश आ रही दिक्कतों के कारण लोगों को भारी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को क्यारकोटी से शिमला चलने वाली एचआरटीसी एचपी 63, 6814 खटारा बस 2 किलोमीटर के बाद ही हांफ गई जिससे सुबह स्कूली बच्चों, नौकरीपेशा के साथ ही आम लोगों को पैदल लगभग 20 किलोमीटर जाना पड़ा। इतना ही नहीं क्यारकोटी से शिमला सुबह 9 बजे वाली बस भी दो घंटा देरी से आयी जिससे लोग स्कूली बच्चे पैदल चलते देखे गये। कुछ बच्चों के पेपर होने के कारण उनको टैक्सियां हायर करके जाना पड़ा।

ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण यहां पर लोग बसों पर यातायात के लिए निर्भर है जोकि अभी भी प्रारम्भिक दौर में ही है। लोग टकटकी लगाये बसों का इंतजार करते रहते हैं। यहां के सैंकड़ों लोगों का रोजगार राजधानी पहुंचने के बाद ही शुरू होता है ऐसे में गरीब लोगों को बेहद मुश्किलें आ रही हैं। उनकी दिहाड़ी बसों पर निर्भर रहती है जबकि बरसात और बर्फ के कारण बसें बंद भी रहती है। एक्सीलैंस कॉलेज की छात्रा निकिता बताती है कि 15 किलोमीटर तक पैदल चलना बेहद कठिन काम है लेकिन अब बस को लेकर समस्या बहुत आम हो गयी है।

क्या बोलते हैं लोग

गौरव का कहना है कि यदि बहुत बड़ी फीस देकर एक निजी सैंटर से वह कोचिंग के लिए जाते हैं लेकिन जब बस नहीं आती तो इससे उनको कैरियर में पिछड़ने का भय सताता है। ग्राम पंचायत चैड़ी के पूर्व प्रधान एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद शर्मा का कहना है कि क्यारकोटी के समीपवर्ती गांवों में रहने वाले लोगों की संख्या अधिक है जबकि बसों की संख्या सीमित है ऐसे में निजी विकल्पों के अभाव में लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो जाता है। उनका मानना है कि सुबह 7 बजे चलने क्यारकोटी से शिमला बस ही अगर 9 बजे वापिस आ जाये तो समस्या समाप्त हो जायेगी। लेकिन प्रशासन की ओर से ऐसा अब तक नहीं किया गया है। गीताराम ने बताया कि उसका निजी व्यवसाय है ऐसे में समय पर न पहुंचना उनकी कार्यक्षमता पर सवाल खड़ा करता है। वहीं, प्रवीण का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा सही नहीं है बसों के संचालन पर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।

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