ग्रामीण विकास विभाग के स्वयं सहायता समूहों ने बनाए 32,000 मास्क

शिमला टाइम

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के कुशल नेतृत्व में राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को देश का वायरस मुक्त राज्य बनाने की दिशा में सफलतापूर्वक प्रयास कर रही है। कोविड-19 के दृष्टिगत, फेस मास्क एक आवश्यकता है। जिसके कारण इसकी मांग में वृद्धि हुई है और इस मांग को पूरा करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग के प्रशिक्षित 46 स्वयं सहायता समूह मास्क बनाने में जुटे हुए हैं।

सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को कोविड-19 आपदा के दृष्टिगत मास्क बनाने के लिए 50,000 रूपए स्वीकृत किए है। इन स्वयं सहायता समूहों ने पिछले एक सप्ताह में कपड़े के लगभग 32,000 तीन लेयर वाले मास्क तैयार किए हैं, जिन्हें अधिकांश जिलों में ग्रामीण स्थानीय निकायों, पुलिस विभाग, आईपीएच विभाग और अन्य विभागों को बेचा गया हैं। ये समूह रिवाॅल्विंग फंड व सामुदायिक राशि को मास्क बनाने के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इस मिशन के तहत विभाग ने जिला सिरमौर की तहसील पच्छाद में लगभग 500 महिलाओं को आरक्षित बल के रूप में प्रशिक्षित किया है।

मास्क के अलावा विभाग पीपीई किट तैयार करने के भी प्रयास कर रहा है जिसके लिए तीन स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित किया गया है। यह स्वयं सहायता समूहों में जिला शिमला के श्रद्धा समूह सराहन, बालाजी समूह सराहन, पूजा समूह सराहन शामिल हैं। इन समूहों द्वारा एक दिन में लगभग 100 किट तैयार किए जाएंगे, जिन पर प्रत्येक का खर्च लगभग 700रुपये होगा। विभाग ने अकाल स्वयं सहायता समूह की मदद से बडू साहिब में सेेनेटाइजर भी तैयार किया है जो बाजार में 100 रुपये प्रति 250 मिली लीटर उपलब्ध है।

विभाग मास्क बनाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की खरीद में समूह के सदस्यों का सहयोग कर रहा है। मास्क बनाते समय समूह के सदस्य सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का सख्ती से पालन कर रहे है, अपना चेहरा ढंक कर रखते हैं, अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करते हैं और स्वच्छता बनाए रखने के लिए उपकरणों को सेनेटाईज करना भी सुनिश्चित किया गया है।

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