शिमला टाइम
इस बार सेब सीज़न जुलाई के पहले सप्ताह और गत वर्षो के मुकाबलें 15 दिन पहले शुरू हो गया हैं लेक़िन हिम्फेड़ और एचपीएमसी के गोदामों में अभी भी कार्टन, ट्रे सहित पैकेजिंग सामग्री उपलब्ध नही हैं। यह बात जुब्बल नावर कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर ने प्रेस में जारी एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार हिम्फेड व एचपीएमसी के माध्यम से कार्टन पर 6% जीएसटी घटाने की बात कह रही हैं जो मात्र शिगूफा साबित होगी। रोहित ठाकुर ने कहा कि गत वर्ष का आंकड़ा देखा जाए तो हिम्फेड़ व एचपीएमसी के पास मात्र 2 लाख कार्टन पेटियां उपलब्ध थी जबकि इस वर्ष भी औसतन 3.5 से 4 करोड़ पेटी के उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया हैं । उन्होंने कहा कि सेब के औसत उत्पादन के मुकाबलें हिम्फेड़ और एचपीएमसी के पास एक प्रतिशत से भी कम कार्टन उपलब्ध होता हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार 6% जीएसटी दर घटाकर हिम्फेड़ व एचपीएमसी के माध्यम से कार्टन उपलब्ध करवाने की बात कर रही हैं जबकि अभी तक टेंडर भी फ़ाइनल/आबंटित नही हुआ हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि गत दो वर्षो से लगातार सेब पैकिंग सामग्री में 40 से 50% प्रतिशत की वृद्धि हो गई हैं। पिछले वर्ष के मुकाबलें इस बार कार्टन में भी कम से कम 5 से 10 रुपए जबकि प्रति बंडल ट्रे में ₹200 रूपए की अप्रत्याशित वृद्धि हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार समय रहते जीएसटी काउंसिल की बैठक में पैकिंग सामग्री पर जीएसटी दर कटौती के मुद्दें को मज़बूती से पक्ष नहीं रख पाई हालांकि इस मुद्दें पर पिछले माह ही महामहिम राज्यपाल महोदय को ज्ञापन सौंपा गया था। रोहित ठाकुर ने कहा कि निजी कंपनियां पैंकिग सामग्री के दाम बढ़ने का कारण केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी दर में 12% से 18% वृद्धि को बताकर पल्ला झाड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को खुले बाज़ार में सेब पैंकिग सामग्री पर जीएसटी दर को घटाना चाहिए क्योंकि 99% बाग़वान निजी विक्रेताओं से सेब पैंकिग सामग्री खरीदते हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि केंद्र व प्रदेश भाजपा सरकार की ग़लत नीतियों के चलते ₹5000 करोड़ की आर्थिकी पैदा करने वाला सेब उद्योग कठिन दौर से गुज़र रहा हैं।
