कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच नहीं देंगे परीक्षा, SFI ने की छात्रों को प्रमोट करने की मांग

शिमला टाइम

सभी विद्यार्थियों को पिछले अकादमिक रिकॉर्ड्स के आधार पर प्रोमोट करने की मांग को लेकर SFI ने सोमवार को प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ समरहिल चौक पर धरना प्रदर्शन किया।मार्च में भारत मे बढ़ रहे कोरोना मामलों के ध्यान में  रखते हुए केंद्र सरकार ने सम्पूर्ण लॉकडाउन किया गया जिसके चलते सभी शैक्षणिक संस्थानों को भी बंद किया गया है और संस्थानों ने ऑनलाइन माध्यमों से नाम मात्र की ही कक्षाएं संचालित की गई। लेकिन चार महीनों के लॉकडाउन के बाद भी आज कोरोना संक्रमण की संख्या में कमी के बजाय भारी वृद्धि देखी जा रही है हर रोज जहां कोरोना के साठ हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे है वही विश्वविद्यालय प्रशासन दावे कर रहा है कि हम यूजी फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाएं 17 अगस्त से करने जा रहे है और हमने सभी तैयारियां भी पूरी कर ली है। लेकिन सोचने की बात ये है कि जहां आजकल कम्युनिटी स्प्रेड के केसेस आ रहे है तो इस समय मे परीक्षाएं करवाना कहाँ तक सही है। छात्रों को क्वारंटाइन भी किया गया है उन्हें भी परीक्षा केंद्रों में ही परीक्षाएं देनी होंगी ये उच्च शिक्षा निदेशालय के आदेश है यह छात्रों को संक्रमित होने के लिए बुलावा देने के बराबर है। इस फैसले से केवल छात्रों पर होगा बल्कि उनके परिवार टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ के साथ साथ गांववालों के भी संक्रमित होने का खतरा हो सकता है यह दर्शाता है कि प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन कोरोना संक्रमण को लेकर संजीदा नही है।एसएफआई पिछले लंबे समय से ऑनलाइन ज्ञापनों, ऑफलाइन ज्ञापनों और प्रदर्शनों के माध्यम से लगातार यही मांग कर रही है कि कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सभी छात्रों को पिछले अकादमिक रिकॉर्ड्स के आधार पर प्रोमोट किया जाए ताकि छात्रों को संक्रमण से बचाया जा सके लेकिन हर जगह से सिवाय आश्वासन के कुछ हासिल नही हुआ यह दर्शाता है कि प्रशासन और सरकार को छात्रों की कोई परवाह ही नहीं है। विश्वविद्यालय प्रशासन पीजी कक्षाओं की भी सिंतबर में परीक्षाएं करवाने जा रहा है जबकि इन कक्षाओं के अभी तो 40 प्रतिशत सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है जोकि छात्र समुदाय के साथ एक बहुत बड़ा धोखा है इसे एसएफआई बर्दाश्त नहीं करेगी।एसएफआई ने मांग की है कि सभी छात्रों को पिछले अकादमिक रिकार्ड्स के आधार पर प्रमोट किया जाए अन्यथा आने वाले समय मे इस आंदोलन को प्रदेश व्यापी आंदोलन बनाते हुए उग्र आंदोलन के अंदर जाएगी जिसका जिम्मेवार प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन होगा।

     

        

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