शिमला टाइम
कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के बावजूद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय छात्रों से मोटी फीस ऐंठ रहा है। इस तरह से प्रशासन छात्रों पर तो आर्थिक बोझ डाल ही रहा है साथ ही सरकार के आदेशों को भी ठेंगा दिखा रहा है। ऐसे में जब प्रशासन मात्र ट्यूशन फीस वसूलने की बजाय उसमें वृद्धि कर छात्रों से वसूलने के फरमान जारी कर रहा है। जिसके खिलाफ अब छात्र संगठन ABVP और SFI विरोध में उतर गए हैं। मंगलवार को छात्र संगठनों ने UIIT के छात्रों से वसूली जा रही भारी भरकम फीस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जिलाधीश कार्यालय के बाहर कोरोना काल में ली जा रही अतिरिक्त फीस के विरोध में धरना प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई के इकाई अध्यक्ष विशाल वर्मा ने कहा कि वर्तमान में पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में है ऐसे समय मे जब देश मे तीन चरणों मे तालाबन्दी रही तो ऐसे समय में समाज का हर वर्ग प्रभावित हुआ है शिक्षा क्षेत्र में सबसे ज्यादा हानि हुई है ऐसे समय में प्रदेश सरकार एक ओर दावा कर रही है कि निजी विश्वविद्यालय व महाविद्यालय में अतिरिक्त फीस वसूली जा रही है लेकिन सरकार द्वारा केबल ट्यूशन फीस लेने की अधिसूचना जारी की गई है लेकिन UIIT और UILS प्रशासन द्वारा इस अधिसूचना की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है।UIIT में पिछले पूरे शैक्षणिक सत्र में भी ऑनलाइन क्लासेज चली थी उस समय भी छात्रों से विवि प्रशासन ने पूरी 60000 फीस वसूली थी जिसमे कल्चरल और स्पोर्ट्स फण्ड भी सम्मिलित थी जबकि पूरे सत्र में न तो फिजिकल क्लासेस लगी न ही स्पोर्ट्स की और न ही कल्चरल की कोई गतिविधि कोरोना के कारण हो पाई। और एक बार फिर UIIT प्रशासन ने एक बार पुनः नए सत्र हेतु छात्रों से पूरी फीस लेने की अधिसूचना जारी कर दी है जो किसी भी छात्रों के लिए तर्कसंगत नहीं है। विशाल ने कहा कि अतिरिक्त फीस कम की जाए केवल ऑनलाइन चल रही क्लासेज की ट्यूशन फीस ही ली जाए।विशाल वर्मा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार जनता व छात्रों के समक्ष ट्यूशन फीस का हवाला दे रही लेकिन वहीं अगर धरातल पर शिक्षण संस्थानों में जा के देखें तो सरकार की अधिसूचना की अवहेलना होती नजर आती है जो सरकार के दोहरे रवैये को दर्शाती है, सरकार का दोहरा चरित्र केवल यहीं नज़र नहीं आता पिछले कल की अगर बात करें तो सरकार ने बिजली बोर्ड महकमे में निजी कम्पनी को दिए गए निर्धारित समय पर कार्य पूरा न करने पर उनके ऊपर लगे अतिरिक्त शुल्क को माफ कर दिया लेकिन वहीं सरकार छात्रों की अतिरिक्त फीस को कम करने में असमर्थ नज़र आ रही है जबकि वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षा क्षेत्र में भी खासा नुकसान हुआ है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन ने मांग की है कि महामारी के इस दौर में UIIT और UILS में पढ़ाई कर रहे छात्रों की अतिरिक्त फीस को कम कर केवल ट्यूशन फीस ली जाए। अन्यथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इस आंदोलन में UIIT के आम छात्रों ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ धरना प्रदर्शन में 10 छात्रों संग सहभागिता देते हुए UIIT के छात्र ऋत्विक ने कहा कि विश्वविद्यालय 31 अगस्त तक छात्रों से वसूली अतिरिक्त फीस को वापिस कर केवल ट्यूशन फीस ली जाए।
विशाल वर्मा ने कहा कि यदि शासन प्रशासन अतिरिक्त फीस को कम नहीं करता है तो विद्यार्थी परिषद आने वाले समय में और भी उग्र आंदोलन करेगी।
उधर, एस.एफ आई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने University institute of technology में फ़ीस वृद्धि के खिलाफ विश्वविद्यालय में धरना प्रदर्शन किया। एस एफ आई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई का मानना है आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है और पिछले काफी लंबे समय से सभी शिक्षण संस्थान बन्द हैं और जिस कारण छात्र पढ़ाई से काफी महीने से वंचित हैं और इस विपरीत संकट में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा university institute of technology में फ़ीस को बढ़ाना छात्रों के साथ अन्याय है क्योंकि छात्र पहले से ही विश्वविद्यालय में परीक्षा न होने के कारण मानसिक रूप से प्रताड़ित हैं।
एस एफ का कहना है कि अभी UIIT. में छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएँ हो रही हैं वहां पर प्रशासन और निदेशक की मिलीभगत के द्वारा छात्रों पर अतिरिक्त misllaneous charges लगाकर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। University institute of technology के छात्रों का कहना है कि जो पिछले समेस्टर में छात्रों से अलग-अलग फंड लिया गया था वह कहीं भी खर्च नही किया गया है।
उच्चतम न्यालय ने दिशा निर्देश दिये है की इस महामारी के समय शिक्षण शुलक को छोड़कर किसी भी प्रकार का कोई भी अतिरिक्त शुलक ना लिया जाये। परन्तु विश्वविद्यालय प्रशासन ने उच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लघन किया है।
एस एफ आई ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी है कि जल्द से जल्द अगर प्रशासन इस पर कार्यवाही नहीं करता है तो
एस एफ आई विश्वविद्यालय में आंदोलन का आगाज करेगी जिसका खामियाजा विश्वविद्यालय प्रशासन को भुगतना पड़ेगा।