जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा व सड़क सुधार पर अधिक ध्यान देने की जरूरत: राज्यपाल

शिमला टाइम, शिमला
राजभवन में आयोजित जनजातीय विकास विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यहां राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि इन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र राज्य के 42.49 प्रतिशत भू-भाग में फैले हैं और कुल जनसंख्या का 5.71 प्रतिशत जनजातीय लोगों का है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कुल बजट का 9 प्रतिशत जनजातीय क्षेत्रों पर व्यय कर रही है और इस वित्त वर्ष में जन-जातीय उप योजना के अन्तर्गत 639 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के सभी 38537 घरों में बिजली और पीने के पानी की व्यवस्था है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि जनजातीय क्षेत्रों मेें प्रति व्यक्ति आय सामान्यतः गैर जनजातीय क्षेत्रों से अधिक है। वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 160711 की अपेक्षा किन्नौर में 208137 और लाहौल-स्पिति में 217160 है। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में लिंग अनुपात 1018 है, जो प्रदेश के 972 के लिंग अनुपात की तुलना में बेहतर है।
दत्तात्रेय ने जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत स्कूलों में स्टाफ, लड़के और लड़कियों की संख्या और परिणाम की प्रतिशत प्रति स्कूल उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। इसी प्रकार, स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ, विशेषज्ञ सेवाओं और अस्पतालों में बिस्तरों की क्षमता पर भी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। उन्होंने विभाग से प्राकृतिक कृषि अपना रहे किसानों की संख्या और छोटे स्तर पर प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने वाले स्थानीय लोगों की रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में टेलीमेडिसन को और विस्तार देने की आवश्यकता है। उन्होंने विभाग से प्रधानमंत्री सड़क योजना के अन्तर्गत शेष बचे गांवों की जानकारी और जिन सड़कों की स्थिति ठीक नहीं है, उस बारे अवगत करवाने के भी निर्देश दिए।
राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में कौशल विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और व्यावसायिक संस्थानों को आई.टी.आई. और उद्योगों से संबद्ध कर रोजगार की समस्या को दूर किया जा सकता है। उन्होंने आदर्श स्कूलों की संख्या बढ़ाने और ड्राॅप आऊट विद्यार्थियों के लिए विशेष कक्षाएं लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
इस अवसर पर, जनजातीय विकास के प्रधान सचिव ओंकार शर्मा ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में वर्ष 1974-75 में 262 के मुकाबले वर्ष 2019 में कुल 573 प्राथमिक शिक्षा संस्थान, 44 के मुकाबले 99 माध्यमिक और 21 के मुकाबले 44  उच्च शिक्षा संस्थान और 4 डिग्री कालेज तथा 6 आई.टी.आई. कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि यहां स्वास्थ्य संस्थानों की भी स्थिति बेहतर है और वर्तमान में 6 नागरिक अस्पताल, 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 45 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 105 उप स्वास्थ्य केंद्र कार्यशील हैं। यहां करीब 118 वेटनरी डिस्पेंसरी भी कार्यशील हैं। उन्होंने कहा कि केलंग, काज़ा, भरमौर और किलाड़ में टेली मेडिसन सुविधा आरम्भ कर दी गई है। इस के अतिरिक्त, सर्दियों में मरीजों को लाने ले जाने के लिए हेलिकाॅप्टर सेवा भी उपलब्ध है।
जनजातीय विकास के अतिरिक्त आयुक्त सी.पी. वर्मा ने इस अवसर पर जनजातीय विकास से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए। विभाग के अन्य अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *