शिमला टाइम, शिमला
पिछले कई महीने से प्रदेश के विभिन्न वृतों में तैनात वाटर गार्डों को वेतन नहीं मिल रहा है। 2 से 3 महीनें बीतने के बाद भी वाटर गार्ड अपनी मेहनत की कमाई देखने को तरस रहे है। हर महीने 3 हजार रुपये पगार लेने वाले इन जल रक्षकों की अधिकारियों द्वारा अनदेखी हो रही है। नतीजतन वाटर गार्डों में नाराज़गी है।
हिमाचल प्रदेश सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रो में तैनात जल रक्षकों को कई वृतों में मासिक वेतन न मिलने पर रोष प्रकट किया है। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष एलड़ी चौहान, महासचिव सुनील ठाकुर व कोषाध्यक्ष श्याम लाल वर्मा ने कहा कि कई वृतों के वाटर गार्डों को मासिक वेतन नहीं मिला है जो कि इस महंगाई के दौर में अत्यंत दुःखद है।
महासंघ के अध्यक्ष एलडी चौहान ने बताया कि जब छानबीन की तो पाया कि मंडल स्तर के अधिकारी व कनिष्ठ अभियंताओं की सुस्त प्रणाली की वजह से ये समस्या उत्पन हो रही है। क्योंकि ठेकेदारों के बिलों को पास करने में जैसी दिलचस्पी इनके द्वारा दिखाई जाती है वैसी दिलचस्पी जल रक्षकों की ड्यूटी वेरिफिकेशन व वेतन बिल पास करने में नही दिखाई जाती । प्रमुख अभियंता सदैव उचित समय पर जलरक्षको के वेतन हेतु बजट वितरित करते आये है, उनके कार्यालय से 21नवंबर 2019 को 3 करोड़ 59 लाख 40 हजार वाटर गार्डों के वेतन हेतु मंडलवार वितरित किया जा चुका है, लेकिन फिर भी कई अधिशाषी अभियंताओं द्वारा जल रक्षकों का वेतन न देना कही न कही सरकार के प्रति कर्मचारियों को भड़काने की भूमिका निभाने का काम कर रहा है ।
प्रमुख अभियंता कार्यालय की तरफ से जनवरी व फरवरी के वेतन हेतु पुनः 4 करोड़ 62 लाख 60 हजार का बजट वितरण हेतु तैयार है। सरकार व विभागाध्यक्ष द्वारा जब समय पर जलरक्षको के वेतन हेतु बजट दिया जा रहा है तो फील्ड में आखिर क्यों वेतन देने में जानबूझकर विलंब किया जा रहा है, जबकि ठेकेदारों के बिल रातों रात भी तैयार किये जाते है। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने मांग की है कि जिन भी मंडलों में 2 माह से जलरक्षको को वेतन नहीं दिया गया है उन्हें तुरंत वेतन दिया जाए, यदि फिर भी वेतन देने में आनाकानी की गई तो महासंघ 5140 जलरक्षको व 850 पंप अटेंडेंटों के साथ मिलकर सम्बंधित अधिशासी अभियंता के कार्यालय का घेराव करेगा तथा मंत्री सिंचाई विभाग व प्रमुख अभियंता के समक्ष सख्त कार्रवाई की मांग करेगा ।