शिमला टाइम
विश्व स्वास्थ्य संगठन के शब्दों में एलोपैथी के बाद होम्योपैथी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा-प्रणाली है। आज होम्योपैथी जहाँ अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों के साथ ही विश्व स्तर पर प्रचलित है, वहीं भारत भी इसमें अग्रणी देश बना हुआ है। भारत में होम्योपैथी पर विश्वास करने वाले वर्ग की तादाद में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
2005 में भारत में “राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन” शुरू किया गया। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए आधुनिक चिकित्सा-प्रणाली (एलोपैथी) के साथ ही वैकल्पिक चिकित्सा-प्रणालियों को भी शामिल किया गया। इन चिकित्सा-प्रणालियों को आयुष ( AYUSH ) का नाम दिया गया था। “A – आयुर्वेद , Y – योग , U – यूनानी , S – सिद्धा, H – होम्योपैथी।” हिमाचल में होम्योपैथी के प्रसार के मुद्दे को प्रदेशाध्यक्ष एवं शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप ने संसद में उठाया है । सांसद ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में AYUSH चिकित्सा-प्रणालियों को मुख्य-धारा से जोड़ने पर बल दिया गया और सभी प्राथमिक, सामुदायिक एवं ज़िला अस्पतालों में इन प्रणालियों के चिकित्सकों को एक ही छत के नीचे बैठाने का प्रावधान है, ताकि मरीज़ को हर तरह की स्वास्थ्य सुविधा मिल सके और देश में सभी स्वास्थ्य संसाधनों को अधिक सुदृढ़ किया जा सके।
प्रदेश में 650 पंजीकृत चिकित्सक, होम्योपैथिक स्वास्थ्य केंद्र मात्र 14
हिमाचल प्रदेश में 2158 हैल्थ उप-केन्द्र, 540 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 76 उप ज़िला अस्पताल, 15 ज़िला अस्पताल एलोपैथी के हैं। जहाँ तक AYUSH चिकित्सा-प्रणाली केंद्रों की बात है, हिमाचल में 2 क्षेत्रीय अस्पताल , 30 आयुर्वेदिक अस्पताल, 1150 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र, 1 प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, 3 यूनानी चिकित्सा केंद्र 19 क्षार सूत्र केंद्र, 17 पंचकर्मा केंद्र हैं, परंतु इतने वर्षों में होम्योपैथी के केवल और केवल 14 होम्योपैथिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। हिमाचल में इस समय लगभग 650 पंजीकृत चिकित्सक है। प्रदेश में एक होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज निजी क्षेत्र में चल रहा है जो कि सरकार से मान्यता प्राप्त है। इस कॉलेज से हर वर्ष लगभग 50 बच्चे होम्योपैथिक डॉक्टर बन कर निकलते हैं। हिमाचल प्रदेश में एलोपैथी एवं आयुर्वेद की तुलना में होम्योपैथी का प्रचार-प्रसार ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर भी नहीं है। देखा जाए तो पिछले 25 वर्षों में प्रदेश में होम्योपैथी के एक भी केंद्र का उद्घाटन नहीं किया गया।
संघ ने सांसद का जताया आभार, उठाई ये मांग….
हिमाचल होम्योपैथिक चिकित्सक संघ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप का आभार जताया है । संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. विनय मसंद ने संसद में हिमाचल के होम्योपैथिक चिकित्स्कों के हक़ में आवाज़ उठाने के लिए हिमाचल के समस्त होम्योपैथिक चिकित्स्कों की तरफ से सांसद का धन्यवाद किया। संघ के महासचिव डॉ. अवनीश कुमार ने कहा कि हमें प्रदेश सरकार से उम्मीद है कि केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत हिमाचल में भी होम्योपैथी के प्रसार के लिए कदम उठाये जायेंगे। हिमाचल में अभी होम्योपैथी के चिकित्सा केंद्र केवल जिला स्तर तक ही सीमित हैं। संघ के पदाधिकारियों डॉ. विनोद नेगी, डॉ. सुनील सहोत्रा, डॉ. विवेक परमार एवं डॉ. रजनीश कौशल ने सरकार से मांग की है कि हिमाचल में अब CHC एवं PHC स्तर पर होम्योपैथी के केंद्र खोले जाएँ और वहां पर होम्योपैथिक चिकित्सकों को नियुक्तियां दी जाएँ ताकि हिमाचल की जनता इस अद्वितीय चिकित्सा प्रणाली का लाभ ले सके।