स्कूली बच्चों की बिगड़ती लिखावट बन गई विकराल समस्या, पढ़ें एक शिक्षक का PM मोदी को लिखा पत्र

शिमला टाइम

प्रतिष्ठा में,
माननीय प्रधानमंत्री महोदय,
सादर प्रणाम।

मान्यवर, सर्प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए मैं अनेक अनेक धन्यवाद प्रेषित करता हूँ। इस पुनीत कार्य के लिए आपको एक शिक्षक की ओर से बहुत बहुत बधाई। महोदय मैं हिमाचल के अंतर्गत शिमला ज़िला के एक छोटे से गाँव धरोगड़ा का शिक्षक हूँ और अपने मन की बात आपसे साँझा करने के उद्देश्य से इस पत्र को माध्यम बना रहा हूँ। शिक्षा जगत में शिक्षक की भूमिका निभाते हुए मुझे इक्कीस वर्ष हो गए हैं। इन इक्कीस वर्षों को मैंने ज़िंदादिली से जिया है। सत्रह वर्षों तक प्राथमिक शिक्षक रहते हुए जो अनुभव और बच्चों का प्यार मुझे प्राप्त हुआ, वो मेरे जीवन की बहुमूल्य धरोहर है। जीवन के हर पहलू में होने वाले बदलावों के साथ साथ शिक्षा में बदलाव लाना बहुत आवश्यक हो गया था। नई शिक्षा नीति लाकर आपने देश और देशवासियों का उद्धार किया है, आप बधाई के पात्र हैं।
   मान्यवर, शिक्षा नीति बनने से पूर्व जब इस संदर्भ में जनमानस के विचार आमंत्रित किए गए, तब मैंने भी बच्चों बिगड़ती लिखावट की समस्या के समाधान के लिए अपने विचार प्रस्तुत किए थे। मेरे विचार को नीति में स्थान मिलना मेरे लिए गर्व का विषय है।
महोदय, स्कूली बच्चों की बिगड़ती लिखावट हिमाचल प्रदेश के साथ साथ समस्त राष्ट्र की विकराल समस्या बनती जा रही है। यदि समय रहते इसका निदान न किया गया तो वर्तमान पीढ़ी को निकट भविष्य में बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
हमारे देश में लगभग 90 प्रतिशत परीक्षाएँ हस्तलेखन पर आधारित हैं। बहुत अधिक जानकारी होने पर भी जब बच्चा उसकी लिखित अभिव्यक्ति में निपुण नही होता तो वह पिछड़ता जाता है। मनोवैज्ञानिक रीति से देखें तो हस्तलेखन का बहुत महत्व है। लिखते समय बच्चे की सभी ज्ञानेंद्रियां क्रियाशील होती हैं। जिस विषयवस्तु को बच्चा लिखता है उसका 80 प्रतिशत उसके मानसपटल पर लंबे समय के लिए अंकित हो जाता है। वह जब चाहे उसे स्मरण कर सकता है। इसके विपरीत जिस विषयवस्तु को बच्चा कीबोर्ड की सहायता से लिखता है उसका मात्र 20 प्रतिशत ही याद रहता है। पाठशालाओं में गृहकार्य भी इसी उद्देश्य पूर्ति के लिए दिया जाता है, ऐसा मेरा मानना है।


मान्यवर, हिमाचल प्रदेश में इस समस्या को प्रतिदिन बढ़ता देख मैंने अपने स्तर पर एक मुहिम शुरू की है जिसके वांछित परिणाम भी प्राप्त हुए हैं। मात्र 2 सप्ताह में अपनी पाठशाला के बच्चों की लिखावट में सुधारने से मेरा मनोबल दृढ़ हुआ तो मैंने हितधारकों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। महामहिम राज्यपाल हिमाचल प्रदेश,आचार्य देवव्रत जी के निर्देशन से प्रदेश स्तर पर दो लिखावट प्रदर्शनियां आयोजित की। शिमला स्थित स्कूलों के लगभग 1000 शिक्षार्थीयों एवम शिक्षकों को प्रोत्साहन मिला। विभन्न स्तरों पर प्रदेश के लगभग 4000 शिक्षकों को सोशल मीडिया के माध्यम से लिखावट सुधार तकनीकों से अवगत कराया। लेकिन, मेरे ये प्रयास इस समस्या पर पार पाने के लिए बहुत कम हैं। मेरा आपसे निवेदन है कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत बच्चों की लिखावट को आकर्षक बनाने के लिए पाठशाला स्तर पर गहन संज्ञान लेने की अपील की जाए। आपके मुख से निकल हुआ एक एक शब्द बच्चों के लिए आशीर्वाद तथा जनमानस के लिए दिल से की जाने वाली अनुपालन बन जाता है। अतः ‘मन की बात’ जैसे श्रेष्ठ कार्यक्रमों के माध्यम से आप देशभर के बच्चों, शिक्षकों तथा अभिभावकों को इस नेक विचार से अवश्य अनुगृहीत करें, बस इतना सा निवेदन है।

निवेदक
वीरेन्द्र कुमार,
शिक्षक, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय
धरोगड़ा, तहसील सुन्नी, ज़िला शिमला
हिमाचल प्रदेश।
ई-मेल- viren7730@gmail.com
मोo नo – 7018803325

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