चिड़गांव की 23 वर्षीय अनुपा की भी बिना चीर-फाड़ के हुई ट्रांस जुग्लर लिवर बायोप्सी
डॉ. शिखा ने एम्स नई दिल्ली से गेस्ट्रोइंटरस्टाइनल रेडियोलॉजी में की है फैलोशिप
शिमला टाइम
(डेमोक्रेसी हिमाचल) गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए डॉक्टर्स भगवान से कम नहीं होते, जो ऐसे गंभीर मरीजों को ऐसी स्थिति से बाहर निकाल कर उन्हें नया जीवन प्रदान करते हैं। आईजीएमसी शिमला में ऐसा ही एक ऑपरेशन कर डॉ. शिखा सूद ने मरीज को नई जिंदगी दी है।
आपको बता दें कि कई दिनों से आईजीएमसी में गंभीर बीमारी के कारण दाखिल महिला का आॅपरेशन जब डॉ. शिखा सूद ने किया तो आॅपरेशन के बाद मरीज स्वयं चलकर अपने वार्ड गया। मतलब जैसे की कि उसकी बीमारी छूमंतर हो गई है।
आईजीएमसी में बुधवार को डॉ. शिखा सूद ने टीजेएलबी (ट्रांसजुग्लर लिवर बायोप्सी) की। इस ऑपरेशन में मरीज के गले की नस से जाते हुए दिल के रास्ते से सारे औजार ले जाते हुए जिगर की एक नस में पहुंचकर जिगर से चार टुकड़े निकाल कर बायोप्सी की।
23 वर्षीय अनुपा जो कि चिड़गांव की रहने वाली है, गंभीर अवस्था में आईजीएमसी में दाखिल की गई थी। अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन करके डॉ. शिखा सूद ने पाया कि उनका जिगर व तिल्ली का आकार बेहद बढ़ गया है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। डॉ. शिखा ने एनसीपीएफ (नॉन-सिरोटिक पोर्टल हाईपरटेंशन) का डायगनोज बनाया जिसके लिए मरीज के जिगर की बायोप्सी होनी आवश्यक होती है।
चूंकि तिल्ली के बढ़े होने के कारण मरीज को खून की कमी थी तथा उसका प्लैटलेट काउंट बेहद कम था। अत: साधारण बायोप्सी करने पर उसकी तुरंत मौत हो सकती थी। डॉ. शिखा सूद ने मरीज का टीजेएलबी करना तय किया। यह एक जटिल ऑपरेशन है जिसमें बिना चीर-फाड़ किए मरीज की गले की नस से जाते हुए, सारे औजार दिल से गुजारते हुए, जिगर में पहुंचाया जाता है तथा जिगर से बायोप्सी की जाती है। यहां याद दिला दें कि हाल ही में डॉ. शिखा सूद एम्स नई दिल्ली से गैस्ट्रो इंटरस्टाइनल रेडियोलॉजी में फैलोशिप करके आई हैं तथा उन्होंने ऐसे कई प्रकार के जटिल ऑपरेशन करने में महारथ हासिल की है। इससे पहले ऐसे सभी आॅपरेशनों के लिए हिमाचल के मरीजों को पीजीआई चंडीगढ़ या एम्स नई दिल्ली जाना पड़ता था। डॉ. शिखा सूद ने मरीज का सारा हार्डवेयर नई दिल्ली से मंगवाया और सफलतापूर्वक यह ऑपरेशन किया। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इस जटिल ऑपरेशन में मरीज पूरी तरह से होश में रहता है, डॉक्टर से बातें करता रहता है तथा अपना ऑपरेशन होते हुए मॉनिटर पर स्वयं देख सकता है। आॅपरेशन के बाद पेशेंट स्वयं चलकर अपने वार्ड में गए।

आईजीएमसी के इतिहास में इस तरह का ऑपरेशन पहली बार किया गया है तथा बातचीत में डॉ. शिखा सूद ने बताया कि अब आईजीएमसी में इस तरह के ऑपरेशन आसानी से हो सकेंगे। मरीजों को इसके लिए अब हिमाचल से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। बता दें कि पिछले दो माह में डॉ. शिखा सूद ने 32 मरीजों की जान बचाई है। इस ऑपरेशन के वक्त डॉ. शिखा सूद ने अपने पीजी स्टूडेंट्स को पढ़ाया और उन्हें इसको लेकर विस्तृत जानकारी भी दी। इस ऑपरेशन के समय रेडियोग्राफर तेजेंद्र, सिस्टर दौपदा भी मौजूद रहीं।