सीएम साहब ‘दृष्टि पत्र’ में किए अपने वायदे क्या भूल गए, याद रखें सरकार का प्रोग्रेस कार्ड कर्मचारी ही करते है तय


शिमला टाइम

भाजपा ने सत्ता में आने से पहले अपने दृष्टि पत्र में कर्मचारियों से जुड़े कई वायदे किए थे जिन्हें अब सरकार पूरा करना तो दूर किसी मंच से चर्चा तक नहीं कर रही है। जिससे कर्मचारी वर्ग में रोष व्याप्त है। साथ ही मुख्यमंत्री को याद दिलाया है कि किसी भी सरकार का प्रोग्रेस कार्ड कर्मचारी ही तय करते है। इस बजट में भी सरकार ने कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं किया तो कर्मचारी संघर्ष का रास्ता अपनाएगा। ऐसे में जब अगला बजट तो वैसे भी चुनावी होगा। मामले को लेकर हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने भी सवाल उठाए हैं और इस बजट में उनकी मांगों को पूरा करने की घोषणा की मांग की है।  

हिमाचल में आदर्श स्कूल केवल नाम के है। अब तक एक भी ऐसा स्कूल नहीं जो आदर्श विद्यालय की कसौटी पर खरा उतरता हो। इसी तरह प्री नर्सरी क्लासेज तो शुरू कर दी लेकिन अध्यापको के नाम पर कुछ नहीं। एक-एक अध्यापक पांच -पांच कक्षा को पढ़ा रहे हैं। जबकि अब नर्सरी व प्री नर्सरी की क्लासेज भी शुरू हो गई है। और जहां अभी ये नर्सरी, प्री नर्सरी शुरू नहीं हुआ है वहां इन कक्षाओं को शुरू करने की मांग हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने की है। साथ ही अध्यापकों की नियुक्ति की मांग भी की है। 
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने मांग की है कि  
शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश की कुल जीडीपी का कम से कम 6 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर खर्च करने का प्रावधान किया जाए। संघ को शंका है कि कहीं प्रदेश सरकार भी केंद्र सरकार के कदमों पर चलकर इसे गत्त वर्ष के बजट से नीचे न ले आए।
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कर्मचारियों की 30 मांगों को गिनाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश का छठा वेतन आयोग जो 1-1-16 से देय है को 5 वर्ष की अवधि बीत जाने पर भी सरकार द्वारा अभी तक इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया गया। संघ ने सरकार से आग्रह किया है कि  जब हम सेवा व वित्त नियमों पर केंद्र का अनुसरण करते है तो हिमाचल को भी केंद्रीय वित्त आयोग का अनुसरण करना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि स्वर्णिम दृष्टि पत्र में किए वादे को पूरा करते हुए सरकार टाइम स्केल 4-9-14 के लाभ जारी करें। दृष्टि पत्र के अनुरूप सीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करे जिससे 2003 के उपरांत नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत लाया जा सके। प्रदेश के कर्मचारियों को भत्तों का भुगतान केंद्रीय कर्मचारियों की तर्ज पर किया जाए। 

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने प्री बोर्ड परीक्षाओं पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। साथ ही 2016 तक के प्रधानाचार्यों को नियमित किया है उसी तरह 2017 के उपरांत प्रधानाचार्यों की पदोन्नतियां भी शीघ्र नियमित की जाए और अनुबंध कार्यकाल 3 से 2 साल किया जाए। उन्होंने सरकार को 31 मार्च का अल्टीमेटम दिया है। यदि प्रधानाचार्य, डीपी और प्रवक्ता की पदोन्नतियां नहीं होती है तो मजबूरन संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ेगा।

वीरेन्द्र चौहान ने 43 सूत्रीय ज्ञापन का जिक्र किया और कहा कि इन मांगों पर सरकार 31 मार्च से पहले एजेंडा मीटिंग तय करें।

3 साल में नहीं हुई एक भी जेसीसी बैठक

हिमाचल प्रदेश अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि सरकार का रवैया कर्मचारियों के प्रति उदासीन है। 3 सालों में एक भी जेसीसी मीटिंग नहीं हुई। यहां तक कि कर्मचारियों से संवाद भी नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर बार मान्यता के लिए सरकार के पास गिड़गिड़ाना पड़ता है। इस बार तो बार बार आवेदन करने के बाद मवो भी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि सरकार कुछ ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे कर्मचारी नेता चुनाव से चुन कर आये और समय -समय पर पदाधिकारियों की सरकार से वार्ता होती रहे।

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