विधानसभा के बाहर गरजे सैंकड़ों मजदूर, बोले – मजदूरों का दर्द नहीं समझ रहा मिस्त्री का बेटा

शिमला टाइम

मज़दूरों की मांगों को लेकर प्रदेश भर से आए विभिन्न श्रमिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने विधानसभा के बाहर खूब प्रदर्शन किया व सरकार की नीतियों के खिलाफ हल्ला बोला।  जनसभा में मज़दूरों का न्यूनतम वेतन 21 हज़ार करने, मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करने, मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी लागू करने व 200 दिन रोज़गार लागू करने, तीन कृषि कानूनों को वापिस लेने, ओल्ड पेंशन को लागू करने, आंगनबाड़ी, मिड डे मील वर्कर, आशा वर्कर,आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने व 12 घण्टे काम के नए कानून को वापिस करने की मांग उठाई गई।

मीडिया से बातचीत के दौरान सीटू नेता कश्मीर सिंह ठाकुर ने बताया कि केंद्र व राज्य सरकारें मज़दूरों के हितों के साथ खिलबाड़ कर रही है यदि सरकार मज़दूर विरोधी नीतियों में बदलाब नही करेगी तो जनता सरकार को बदल देगी। ये जनसैलाब सत्ता बदलाब के लिए है जो कि उम्मीद से ज़्यादा उमड़ा है।उन्होंने कहा कि आज केंद्र व प्रदेश सरकार नित नए मजदूर विरोधी कानून ला रही है और केवल पूंजीपतियों के हितों के लिए कार्य कर रही है ।यदि उनकी मांगों पर गौर नही किया गया तो वे अपने आंदोलन को ओर उग्र करेंगे। जिसकी ज़िम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि आज केवल सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया जा रहा है लेकिन यदि सरकार ने उनकी मांगों पर गौर नही किया तो वे श्रम कार्यलय के बाहर धरने प्रदर्शन पर बैठ जायँगे। मुख्यमंत्री मिस्त्री के बेटे है पर मजदूरों का दर्द नही समझ रहे हैं।

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