शिमला टाइम
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को सदन ने हिमाचल प्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम 2017 को संशोधित करने के लिए लाए विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया। माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी इस दौरान पक्ष रखा। इसके जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पूरे देश में करों में एकरुपता बनाए रखने के लिए भी संशोधन करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 राज्य के भीतर माल और सेवाओं पर कर लगाने तथा संग्रहण करने हेतू अधिनियमित किया गया था। इस और अधिक प्रभावी व सरल बनाने के उद्देश्य से जी.एस.टी. काउंसिल की सिफारिशों के अनुसार संशोधित किया जा रहा है। केंद्र सरकार के द्वारा इस संबंध में केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में पहले की संशोधन किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. काउंसिल की संस्तुतियों के अनुसार उक्त अधिनियम में संशोधन करना आवश्यक है और इस संबंध में संविधान के आर्टिकल 279 (ए) में स्पष्ट प्रावधान है। जब जी.एस.टी. काउंसिल द्वारा इस सारे विषय पर चर्चा करने के बाद इसका पारण कर दिया है, यह लागू हो गया और एक कानून का रूप इसने पूरे राष्ट्रीय स्तर पर ले लिया तो यह हमारे लिए एक औपचारिकता है, जिसको हमें पूरा करना है। यह हमारे लिए एक प्रकार की बाध्यता है और इस बाध्यता के साथ हमें आगे बढऩा है। उन्होंने कहा कि विधायक की मंशा अच्छी है। सुधार हो तो अच्छा हो और इसको करने की हम कोशिश कर रह हैं।
गौर हो कि मुख्यमंत्री ने बीते बुधवार को सदन में संशोधित करने के लिए विधेयक लाया था। एक्ट को पहले से प्रभावी, व्यवहारिक व सरल बनाने के लिए संशोधन लाया गया था। इसमें किसी भी व्यक्ति पर यदि अधिनियम के मापदंडों के अनुरूप कार्रवाई की जाती है तो उससे पहले उसे सुनवाई का हक दिया जाएगा। संशोधित विधेयक वार्षिक लेखों को संपरीक्षित करवाने और समाधान विवरण को प्रस्तुत करने की अनिवार्य अपेक्षा को हटाने का भी उपबंध करता है। यह आयुक्त को कर-दाताओं के वर्ग को वार्षिक विवरणी को दाखिल करने की अपेक्षा से छूट देने हेतू भी सशक्त करता है।
2021-08-14