80 स्कूल्ज में एक भी छात्र ने नहीं लिया दाखिला, 6127 में छात्र 20 से कम, सदन में गूंजा मामला

एप्पल न्यूज़, शिमला
विधानसभा में  प्रश्नकाल के दौरान ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने पूछा कि प्रदेश में कितने स्कूल ऐसे है जिनमें बच्चों की संख्या 10 से कम है? पूछा कि क्या इनका समायोजन किया जाएगा यदि हाँ तो जब तक? नहीं तो कारणों सहित ब्यौरा दें? इस शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने जवाब में कहा कि  प्रदेश में 4994 राजकीय प्राथमिक पाठशालाएं 1092 राजकीय माध्यमिक पाठशालाये, 32 उच्च तथा 09 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं है जहां पर विद्याथियों की संख्या 20 से कम है।  हिमाचल प्रदेश प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्रदान करने हेतु प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। इसलिये प्रदेश की भौगोलिक स्थिति के दृष्टिगत 20 से कम विद्यार्थियों की संख्या वालेस्कूलों के समायोजन का वर्तमान में कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं हैं। साथ ही कहा कि पूर्व सरकार में राजनीतिक मकसद से स्कूल खोले गए थे। जिसकी वजह से ऐसी स्थिति बनी। इस पर किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने अनुपूरक प्रश्न पूछा कि क्या राजनीतिक मकसद से खोले गए स्कूलों को क्या बंद किया जाएगा? जिस पर शिक्षा मंत्री ने विपक्ष की तरफ इशारा करते हुए कहावत कह दी। जिस पर विपक्ष उठकर नारेबाजी करने लगा और कहा कि मंत्री विपक्ष के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। विपक्ष के सदस्यों ने इन शब्दों को वापिस लेने की मांग की। जिस पर सीएम ने भी कहा कि पूर्व में भी वरिष्ठ सदस्यों द्वारा कहावतों का इस्तेमाल किया जाता था। जिस पर विपक्ष शोर मचाने लगा और अपनी मांग पर अड़ा रहा। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रोसिडिंग देखर व्यवस्था देखी जाएगी पर विपक्ष नहीं माना। जिसके बाद सदन की कार्यवाही से मंत्री व नेता विपक्ष की तरफ से कही गई कहावतों को हटा दिया गया। इसके बाद सदन की कार्यवाही सामान्य चलना शुरू हुई और शिक्षा मंत्री ने जवाब में कहा किआरटीई एक्ट के मुताबिक डेढ़ किलोमीटर दायरे में खुले स्कूलों में 25 विद्यार्थी की अनिवार्यता लगी है। 80 स्कूल ऐसे है जिनमें नामांकन शून्य हो गया है। जिन स्कूलों के अध्यापकों को दूसरी जगह भेज दिया गया है। किन्नौर, कांगड़ा, मंडी व शिमला में ऐसे स्कूल्स अधिक है। जिनमें छात्र न होने के कारण स्कूल्स स्वतः ही बंद हो गए है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने21 कॉलेज एक महीने में एक साथ खोल दिये। प्रदेश में कुल 129 कॉलेज में 50 प्रतिशत कॉलेज एक साल में खोले गए। स्कूल खोले हमें कोई एतराज नहीं। लेकिन अपने बच्चे तो निजी स्कूलों में पढ़ाए जा रहे हैं और गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोले जा रहे हैं जहां छात्रों की संख्या ही पूरी नहीं हो रही और शिक्षा की गुणवत्ता भी उस स्तर पर नहीं मिल रही। महाविद्यालयों में भी ऐसी स्थिति है। पिछली सरकार ने राजनीतिक आधार पर शिक्षण संस्थान खोले। लेकिन हमारी सरकार गुणवत्ता और काम कर रही है। जिन स्कूल्स में शून्य विद्यार्थी है ऐसे स्कूल अपने आप ही बंद हो गए है। जहाँ छात्रों की संख्या कम है उनमें युक्तिकरण किया जाएगा और सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर काम कर रही है। 

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