राष्ट्र की सेवा में समर्पित 25 नशामुक्ति उपचार सेवा केन्द्र (एटीएफ)
पुनर्वास केन्द्रों में परामर्श और उपचार सुविधाओं पर बल देते हुए यह अभियान ड्रग्स के उपयोग के बढ़ते ट्रेंड के लिए आरंभ से अंत तक एक संकल्प है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अम्ब्रेला स्कीम नशीली दवा की मांग में कमी की राष्ट्रीय कार्य योजना निवारक शिक्षा, जागरूकता, पुनर्वास उपचार, समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को वापस लाने तथा गरिमा जीवन जीने के लिए पर्याप्त सहायता प्रदान करने हेतु राज्य सरकारों, संघ राज्य क्षेत्रों, एनजीओ/अन्य स्वैच्छिक संगठनों, जिला और सरकारी अस्पतालों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। ड्रग्स के साथ संघर्षरत लोगों को नि:शुल्क सुविधाएं प्रदान करते हुए देश में नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों हेतु 341 एकीकृत पुनर्वास केन्द्र (आईआरसीए), 49 समुदाय आधारित संगतिपरक इंटरवेंशन (सीपीएलआई), 72 आउटरिच और ड्रॉपइन केन्द्र (ओडीआईसी) तथा 14 जिला नशामुक्ति केन्द्र (डीडीएसी) हैं। लाभवंचितों, उनके परिवारों तथा सामाजिक दायरे को चुनौतयों की जानकारी देने में सहायता करनातथा उनके लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करना।
प्रगति के इस दौर में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय राष्ट्रीय ड्रग्स निर्भता (एनडीडीटीसी) एम्स, नई दिल्ली के सहयोग से नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों के लिए 25 उपचार सुविधाएं (एटीएफ) प्रदान करने को तैयार हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अभियान, नशामुक्त भारत अभियान के बैनर के तले राष्ट्र को नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों के लिए 25 उपचार सुविधाएं समर्पित की । ये 25 नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों के लिए उपचार सुविधाएं देशभर में सरकारी अस्पतालों में स्थित है इन्हें देश के अधिकतर शहरों तथा जिलों को कवर करने के लिए बढ़ाया जाएगा। सिमडेगा, झारखंड अथवा आजमगढ़, उत्तर प्रदेश में जिला अस्पतालों से लेकर सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज, विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश अथवा शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान, बैनमिना, कश्मीर जैसी बढ़ी अकादमिक संस्थाएं इसमें शामिल हैं।
ये नशीली दवाओं के दुरूपयोग के पीडि़तों हेतु उपचार सुविधाएं (एटीएफ) 25 जिलों के सरकारी अस्पतालों में स्थापित की जाएंगी तथा सामान्य स्वास्थ्य देखभाल ढांचे के रूप में नशीली दवाओं के दुरूपयोग के रोगियों का उपचार करेगी। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग इस स्कीम को पूरी तरह से वित्तपोषित करता है तथा प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों, नि:शुल्क दवाओं एवं टिकाऊ अवसंरचना सहायता सेवाओं के प्रावधान में भाग लेने वाले सरकारी अस्तपालों की सहायता करता है।
जैसा कि गृह मंत्री ने संसद में कहा, ‘’हमारी सरकारी नीति बहुत स्पष्ट है, जो ड्रग का सेवन कर रहे हैं वे पीडि़त हैं। हमें उनके प्रति संवेदनशील होना चाहिए तथा पीडि़तों को उनके पुनर्वास हेतु अनुकूल माहौल देना चाहिए’’। नशीले पदार्थों के दुरूपयोग का मुद्दा अत्यधिक महत्वपूर्ण सामाजिक समस्या है जो आयु समूहों, लैंगिक भिन्नता, समुदायों एवं क्षेत्रों में समाज के वर्गों में कटौती करता है तथा परिवारों एवं व्यक्तियों की व्यक्तिगत वृद्धि को प्रभावित करता है। पुनर्वास के अवसर प्रदान करते हुए इससे पीडि़तों से जुड़े कलंक को समाप्त करने तथा युवाओं में ‘ड्रग्स को पहली बार न छूना’ के विचार को प्रभावी रूप से अंतगृहीत करते हुए नशीले पदार्थों के मामले के समाधान के लिए बहुआयामी कार्यनीति आवश्यक है। अभियान सफलतापूर्वक इन विचारों को आकर्षित करता है तथा ‘नशा मुक्त भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे आने हेतु जनता का समर्थन चाहता है।
यह लेख सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार द्वारा लिखा गया है।