संवाद सत्र में हिमाचल प्रदेश विधानसभा “बाल सत्र” के प्रत्याशियों ने सीखा राजनीति में क़ानूनी दाव पेंच का इस्तेमाल

शिमला टाइम
रविवार 21 मई को हिमाचल प्रदेश विधानसभा “बाल सत्र” के प्रत्याशियों ने राजनीति में क़ानूनी शिक्षा की अहमियत जानी. यह मौका था डिजिटल बाल मेला द्वारा आयोजित बच्चों की सरकार कैसी हो? अभियान के तहत हुए विशेष संवाद सत्र का. जहां देश भर के बच्चों से मुख्य अतिथि के तौर पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सबसे युवा विधायक श्री चैतन्य शर्मा जुड़े. इस सत्र में उन्होंने बाल दावेदारों से “राजनीति में क़ानूनी दांवपेच, एवं युवा जोश में तालमेल एवं चुनौतियाँ” विषय पर चर्चा की.

दोपहर 12 बजे आयोजित इस सत्र की शुरुआत में गगरेट विधायक चैतन्य शर्मा ने अपनी राजनीति के शुरूआती दिनों एवं निजी जीवन के कुछ किस्से बच्चों से साझा किये एवं बताया कि वह राजनीति में कैसे आये. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के विकास हेतु और एक जागरूक नागरिक होने के नाते बच्चों को कम से कम एक बार संविधान पढ़ना ही चाहिए या संविधान के भाग 3 और 4 की जानकारी रखनी ही चाहिए. इस सत्र में हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान, बिहार, एवं उत्तर प्रदेश से बच्चे मौजूद थे. सत्र में मौजूद बच्चों ने अपने – अपने के सवाल मुख्य अतिथि से किये और उनके जवाब जाने.

बच्चों द्वारा पूछे गए कुछ सवाल-
सवाल- हिमाचल से अनुष्का बुशहरी ने पूछा भारत में कानून कौन बनाता है और कानून कैसे कार्य करता है?
जवाब- इसका जवाब देते हुए विधायक चैतन्य शर्मा ने कहा कि कानून बनाने का जिम्मा देश की संसद और राज्य की विधानसभा का होता है. कानून व्यवस्था बनाये रखने का काम कार्यपालिका देखती है वहीं कानून का उल्लंघन होने पर न्यायपालिका दोषियों की सजा तय करती है. लोकतंत्र के यह सभी स्तंभ भारत के संविधान से बंधे होते है और इसके अंतर्गत ही कार्य करते है.

सवाल- हिमाचल से कामाख्या कौंडल ने गगरेट विधायक के उत्तरप्रदेश में हो रही बुलडोज़र और एनकाउंटर की राजनीति पर विचार जाने?
जवाब- इस सवाल का उत्तर देते हुए युवा विधायक चैतन्य शर्मा ने बताया कि हालांकि मैं हिमाचल प्रदेश से विधायक हूँ और हिमाचल एक शांतिप्रिय राज्य है. परन्तु हो सकता है की उत्तरप्रदेश  सरकार को अपने राज्य में बढती अराजकता के कारण बुलडोज़र और एनकाउंटर की राजनीती को अपनाना पड़ा हो. साथ ही हमारे राज्य में भी आज नशा हावी है इसके लिए हमारी सरकार भी सख्त कदम उठा रही है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाना व्यर्थ है और यह कदम गलत है या सही यह फैसला वहां की न्यायपालिका को करना है.

गौरतलब है कि इस प्रश्न से प्रभावित होकर विधायक चैतन्य शर्मा ने कामाख्या कौंडल को सत्र का लीडर घोषित किया. सत्र में मुख्य अतिथि ने बच्चों को राजनीति के प्रति जागरूक करने और बच्चों को अभिव्यक्ति का मंच देने के लिए डिजिटल बाल मेला को एक सराहनीय प्रयास बताया और शुभकामनाएं दी.

डिजिटल बाल मेला की को-फाउंडर प्रिया शर्मा ने बताया कि यह संवाद सत्र हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के तत्वावधान में आयोजित बच्चों की सरकार कैसी हो? अभियान का 13वा सत्र था. इसके पहले भी कई विधायक, मंत्री एवं कलाकार बच्चों से जुड़ चुके है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों की राजनीतिक जागरूकता बढ़ाने के लिए एल.आई.सी द्वारा प्रायोजित इस अभियान के तहत 12 जून को हिमाचल विधानसभा बाल सत्र का आयोजन होना है. इस विशेष बाल सत्र का हिस्सा 68 बाल प्रतिनिधि बनेंगे, जिनका मनोबल बढ़ाने हेतु एच.पी विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सत्र में मौजूद रहेंगे. बता दें कि इस संवाद सत्र के बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्य संसदीय सचिव राम कुमार 22  मई को बच्चों से संवाद करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *