शिमला टाइम
राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मंगलवार को लेखिका और वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. रचना गुप्ता, जो हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की सदस्य भी हैं, की पुस्तक ‘देवधराः हिमाचल प्रदेश’ का विमोचन किया। यह पुस्तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा प्रकाशित की गई है।
इस अवसर पर, राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक पाठकोें को हिमाचल के बारे में सूचना, ज्ञान, शोध, अन्वेषण का एक नया मार्ग प्रशस्त करेगी। उन्होंने कहा कि अच्छी पुस्तकें पढ़ना जरुरी है और यह एक अभियान बनना चाहिए। किसी घर में रखी पुस्तकें-पत्रिकाएं नई पीढ़ी के चरित्र निर्माण में सहायक होती हैं। उन्होंने कहा कि क्यों न हम सभी महीने में एक बार किसी विद्यालय में जा कर लोगों को पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल राज्य के लोगों के लिए, बल्कि राज्य में विभिन्न प्रयोजन से आने वाले लोगों के लिए भी एक त्वरित संदर्भ पुस्तिका है। उन्होंने इस पुस्तक के विमोचन को एक मणिकांचन योग निरुपित किया क्योंकि यह देश की स्वतन्त्रता का अमृत महोत्सव और हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व के स्वर्ण महोत्सव का युग्म हैं।
आर्लेकर ने कहा कि इस पुस्तक को उन्होंने पढ़ा है और इसमें अब तक की विकास यात्रा से लेकर यहां के इतिहास, विभिन्न घटनाओं, सभी जिलों की विशेषताएं, भूगोल, इतिहास, संस्कृति की स्पष्ट जानकारी दी गई है। उन्होंने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास को राज्य में पुस्तक के प्रकाशन के लिए बधाई दी तथा कहा कि यहां के इतिहास और धरोहर से लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ों ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया। यह थोपी गई धारणाएं स्थायी न बनें, इसके लिए प्रयास होने चाहिए। हमेें इतिहास को संजोकर रखना है लेकिन भविष्य में विकास कैसे सुनिश्चित होगा, इस पर विचार किया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि पुस्तकें ही हमारी सच्ची मित्र और मार्गदर्शक होती हैं। इसलिए नई पीढ़ी में पढ़ने की आदत डालने की आवश्यकता है अन्यथा वे नशे की ओर आकर्षित होंगे। आज देश में ‘चरित्र का संकट’ है। इसलिए संस्कार देने की आवश्यकता है, जो हमें घर से और अच्छी पुस्तकों को पढ़ने से मिलते हैं। युवा पीढ़ी क्या सोचती है, उसी पर देश का भविष्य निर्भर करता है।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष प्रो. गोविन्द प्रसाद शर्मा ने कहा कि किस तरह किसी किताब का विमोचन महज लेखक ही नहीं बल्कि पाठक, प्रकाशक और आलोचक सभी के लिए आनंद का अवसर होता है। उन्होंने कहा कि पुस्तकों का संसार ही अलग होता है- यह फ्रेंड, फिलोसोफर और गाईड होती हैं। पुस्तकें विचारों के विकल्प प्रस्तुत करती हैं। प्रजातान्त्रिक समाज सदैव विकल्पों की तलाश में रहता है और पुस्तकें विकल्पों की पूर्ति करती हैं।
हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने इस अवसर पर कहा कि यदि किसी पुस्तक का प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट से हो रहा है तो यह उसकी सार्थकता और सामयिकता का प्रमाण है। उन्होंने राज्य की पिछले 50 वर्षों की विकास यात्रा को अतुलनीय बताते हुए आने वाले दस सालों में राज्य की जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण में महत्पूर्ण भूमिका का उल्लेख किया।
पुस्तक की लेखिका डाॅ. रचना गुप्ता ने इस सृजन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गत बीस साल के पत्रकारिता जीवन में उन्होंने महसूस किया कि हर दिन ख़बरों की खाई से कुछ नया निकलता है लेकिन अगले दिन वह गुम हो जाता है। उन्होंने अपने ऐसे ही अनुभवों को पुस्तक के रूप में ढालने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की विकास यात्रा बेहद कठिन दौर से आगे बढ़ी है और इसमें सभी दौर की सरकारें, राजनेता, नौकरशाही की सामान महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेखिका ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री डाॅ. वाई.एस. परमार की कई स्मृतियाँ साझा कीं।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक युवराज मलिक ने कहा कि इस पुस्तक की खूबसूरती इसकी सरलता है और इसे कोई भी आम आदमी को समझने में सहजता होगी। पिछले 65 वषों से नेशनल बुक ट्रस्ट 50 से अधिक भाषाओं में देश के हर आयु वर्ग के लिए उत्कृष्ट पुस्तकें प्रकाशित कर देश के ‘नाॅलेज पार्टनर’ के रूप में अपनी भूमिका निभाता रहा है।
इस पुस्तक में हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व की 50वीं वर्षगांठ की महत्ता को रेखांकित करते हुए उसकी नैसर्गिक और अर्जित विशेषताओं तथा हासिल उपलब्धियों का एक तटस्थ विश्लेषण किया गया है। इसमेें विगत की आदिम, पौराणिक, ऐतिहासिक, सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक तथा मनोवैज्ञानिक, प्रवृत्तियों-रूझानों और लोकतांत्रिक तौर-तरीकों का विश्लेषण किया गया है।
हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अजय कुमार, पुलिस महानिदेशक संजय कुण्डू, विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष, प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहे।