नियम ताक पर- तहबाज़ारी के लिए बनी दुकानों को चहेतों को देने की तैयारी, BJP शासित नगर निगम का गरीब विरोधी चेहरा हुआ उजागर

शिमला टाइम
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) ने नगर निगम शिमला द्वारा लिफ्ट के समीप तहबाजारी करने वालो के लिए आजीविका भवन में बनाई गई सभी दुकानें तहबाजारी करने वालों को न देने के निर्णय की कड़ी निंदा की है। नगर निगम का यह निर्णय आजीविका भवन की परियोजना के लिए तय नियमों की अवहेलना करता है तथा इससे भाजपा शासित नगर निगम का गरीब विरोधी चेहरा भी उजागर हुआ है। पार्टी ने मांग की है कि नगर निगम अपने इस गरीब जनविरोधी निर्णय को तुरन्त निरस्त करे तथा सभी दुकानों को शहर में रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी करने वाले पात्र को ही आबंटित किया जाए। यदि नगर निगम अपने इस निर्णय को नहीं बदलती है तो सीपीएम नगर निगम के इस गरीब जनविरोधी चेहरे को बेनकाब करेगी और इसके विरुद्ध आंदोलन चलाएगी।
पूर्व नगर निगम ने वर्ष 2015 में शहरी गरीब के प्रति सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए शहर में सड़कों पर रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी लगाने वालों के पुनर्वास के लिए एक महत्वकांक्षी परियोजना बनाई थी जिसमें लिफ्ट के समीप पुराने जर्जर बेकरी भवन को तोड़कर यहाँ पर तहबाजारी करने वालों को बसाने के लिए 3.93 करोड़ रुपए की लागत से आजीविका भवन बनाकर इसमें 222 दुकानें व 12 बेकरी बनाई जानी थी। इस परियोजना को सदन में स्वीकृत कर केंद्र सरकार से शहरी गरीब को रोजगार व पुर्नवास योजना के अंतर्गत चेलेंज फण्ड से इसके लिये 2.5 करोड़ रुपए व राज्य सरकार से 50 लाख का प्रावधान करवा कर 2016 में इसका निर्माण आरम्भ करवाया था तथा इसे दिसम्बर, 2017 तक पूर्ण कर इन दुकानों को तहबाजारी करने वालों को आबंटित करने का लक्ष्य रखा गया था। इसका प्रारूप इस प्रकार से तैयार करवाया गया था कि यह विश्व की आधुनिकतम बाजारों में एक हो तथा इसमें दो लिफ्ट व 45 गाड़ियों की पार्किंग व अन्य सभी आधुनिक सुविधाओं का प्रावधान किया गया था।
परन्तु जून, 2017 में भाजपा के नगर निगम में सत्तासीन होने के पश्चात इसका निर्माण कार्य बिल्कुल धीमी गति से चलाया गया तथा इस परियोजना में लगभग पांच वर्षों की देरी की गई जिससे इसकी लागत कीमत भी बढ़ गई और सड़क पर रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी करने वालों को समय रहते अपना रोजगार सुरक्षित व चैन से करने की सुविधा से वंचित रहना पड़ा है।

माकपा नेता संजय चौहान ने बताया कि अब जब यह भवन बनकर तैयार हो रहा है और इसमें दुकानों के आबंटन का कार्य करना है तो नगर निगम शिमला इस परियोजना को बनाते समय भवन निर्माण व सामाजिक दायित्व के निर्वाहन को देखते हुए तय किये गए सभी नियमों को दरकिनार कर अब इसमें 71 दुकानों को खुली नीलामी से देने व अपना कार्यालय खोलने के निर्णय से सड़क पर गरीब रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी करने वालों के हक़ पर भी डाका डाल रही है। इससे स्पष्ट है कि अब भाजपा शासित नगर निगम गरीब के हक़ को नजरअंदाज कर नियमों की अवहेलना करते हुए साधन सम्पन्न व अपने चेहतों को इन दुकानों को आबंटित कर जनविरोधी कार्यों को अंजाम दे रही है। इसके साथ ही नगर निगम भवन निर्माण के तय नियमों को दरकिनार कर पार्किंग को व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल करने का निर्णय लेकर स्वयं नियमन संस्था होते हुए भी नियमों की अवहेलना कर रही है। क्योंकि भवन निर्माण के नियमों के तहत किसी भी चिन्हित पार्किंग में व्यवसायिक गतिविधि निषेध है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है।


सीपीएम ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि नगर निगम शिमला के द्वारा नियमों को ताक पर रखकर लिए गये इस गरीब विरोधी निर्णय को बदलने के लिए तुरन्त हस्तक्षेप करे तथा नगर निगम के इस गरीब विरोधी निर्णय को निरस्त कर आजीविका भवन में बनी सभी दुकानों को शहर में रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी करने वाले पात्र को ही आबंटित करने के निर्देश जारी कर शहरी गरीब जनता के प्रति अपने दायित्व का निर्वाहन करे। यदि प्रदेश सरकार तुरन्त कार्यवाही कर शहर में रह रही गरीब जनता के हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाती तो पार्टी सरकार व नगर निगम की इन गरीब विरोधी नीतियों के विरुद्ध जनता को लामबंद कर आंदोलन करेगी।




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