मांग – सरकार अपना सकारात्मक पक्ष रख कर भर्ती प्रक्रिया शीघ्र करे शुरू, सीएंडवी अध्यापक संघ बोला- 5 सालों से नहीं भरा एक भी पद
शिमला टाइम
स्कूलों में शारीरिक शिक्षक बनने का सपना देखने वाले सैंकड़ों युवा इन दिनों सरकार से आस लगाए बैठे है। उम्मीद यही कि सालों से नौकरी की बाट जोह रहे बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों को भी अपनी पढ़ाई व डिग्री का कुछ फल मिलेगा। हिमाचल के स्कूलों में जहां 1841 पद शारीरिक शिक्षकों के रिक्त चल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर प्रशिक्षित बेरोजगार युवा सालों से शिक्षक बनने की चाह में नौकरी लगने की अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष भी अब पूरी करने वाले है। ऐसे में सवाल यह है कि बैच वाइज भर्ती का इंतज़ार कर रहे युवाओं का भविष्य क्या अंधकार में होगा सरकार कुछ सकारात्मक कदम उठाकर इनके भविष्य को उज्ज्वल करेगी। ऐसे में जब सरकार ने कुछ महीने पहले 870 पदों को भरने हेतु प्रक्रिया शुरू करने को सभी जिला उप निदेशकों को आदेश जारी किए थे।
वर्ष 2000 बैच के बेरोजगार शारीरिक शिक्षक विनोद राजपूत का कहना है कि सरकार के भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के आदेशों के बाद कुछ उम्मीद जगी थी। मगर अब मामला कोर्ट में होने के कारण लगता है कि नौकरी लगने की अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष भी पूरी कर देंगे। बेरोजगार युवाओं के भविष्य को देखते हुए सरकार कोर्ट में अपना सकारात्मक पक्ष रखें और जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करवाई जाए। ताकि बेरोजगार युवाओं को राहत मिल सके।
संघ ने उठाई सरकार से कोर्ट में सकारात्मक पक्ष रखने की मांग…
सीएण्डवी अध्यापक संघ के चीफ पैटर्न चमन लाल शर्मा ने कहा कि जिन शारीरिक शिक्षकों ने सीपीएड का एक वर्ष का डिप्लोमा किया है। उन्हे शिक्षा विभाग शारीरिक शिक्षक के पद के लिए पात्र नहीं मान रहा है। उसके पश्चात अभयर्थी हाई कोर्ट गये तथा कोर्ट ने इन्हे भी समान लाभ देने के आदेश जारी किये थे। सोलन जिले में सीपीएड वालों को नियुक्ति दी गई तथा मण्डी जिले में काउंसलिंग तो कर दी लेकिन रिजल्ट अभी तक नहीं निकाला। संघ ने सरकार व शिक्षा विभाग से आग्रह किया है कि कोर्ट में अपना सकारात्मक पक्ष रख कर इनकी भर्ती प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए। क्योंकि 2017 के बाद एक भी पद शारीरिक शिक्षको के नहीं भरे गए है।
यह है मामला….
बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों की याचिका पर हिमाचल सरकार को पद न भरने के आदेश दिए हैं। 1997 -98 बैच के बेरोजगार शारीरिक शिक्षा शिक्षकों ने 2014 में उनके साथ भेदभाव कर जूनियर बेरोजगारों को शारीरिक शिक्षा शिक्षकों के पद पर नियुक्ति देने की याचिका उच्च न्यायालय में दायर की है। उनका कहना है कि प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने भेदभाव किया है। बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों का आरोप है कि नियमों को दरकिनार कर 1998 वर्ष के बेरोजगारों को शारीरिक शिक्षा शिक्षकों के पद पर नियुक्त कर दिया, जबकि 1997 बैच के 20 व 1998 बैच के बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों को नियुक्ति नहीं दी गई है। उस समय उच्च न्यायालय ने बेरोजगारों को भी समान लाभ देने के आदेश जारी किए। तब विभाग ने काउंसलिंग तो ले ली लेकिन मंडी जिले में परिणाम आज तक नहीं निकाला गया। जबकि सोलन में काउंसलिंग कर बेरोजगार शारीरिक शिक्षा शिक्षक को नियुक्ति दे दी। इस अन्याय के खिलाफ बेरोजगार 7 साल से न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं लेकिन अभी तक मिली तो सिर्फ मायूसी, राहत न जाने कब मिलेगी, बस इसी इंतजार उम्र निकलती जा रही है। कई प्रशिक्षित शिक्षक तो 45 पर भी हो गए। अब उम्मीद सरकार से है कि अपना सही पक्ष रखकर बेरोजगारों के साथ न्याय हो तो युवाओं के दशकों पूर्व खर्च हुए लाखों रुपये बर्बाद न जाएं और उन्हें भी कुछ वर्ष ही सही रोजगार का अवसर मिल सके।