विदेशों से आयातित सेब के पौधों में वायरस का खतरा, बागवानों को नहीं मिल रही खाद, कांग्रेस ने लगाया किसान- बागवानों की उपेक्षा का आरोप

शिमला टाइम

प्रदेश कांग्रेस ने विदेशों से आयातित सेब के पौधों में वायरस के खतरे व बागवानों को खाद न मिलने पर चिंता जताते हुए कहा है कि सरकार जानबूझकर कर किसानों व बागवानों की उपेक्षा कर रही है। बागवानों के साथ सरकार का रवैया ठीक नही है। उन्होंने कहा है कि सरकार बागवानों को किसी भी आंदोलन के लिये प्रेरित न करें। अगर किसानों बागवानों के हितों से खिलवाड़ जारी रहा तो कांग्रेस चुप बैठने वाली नहीं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि निजी नर्सरियों में बाहर से आयातित सेब के पौधों की बगैर किसी जांच और बगैर प्रमाणित बेचे जाने से प्रदेश के सेब के पौधों में गम्भीर वारयस का खतरा उत्पन्न हो गया है, जो बहुत ही चिंता का विषय है।
राठौर ने कहा है कि बगैर किसी उचित जांच पड़ताल के इस प्रकार के सेब व अन्य फलों के पौधे बागवानों को बेचा जाना बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। यह प्रदेश में सेब सहित अन्य फलों के अस्तित्व पर एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
राठौर ने सरकार से विदेशों से आयात होने वाले सभी प्रकार के पौधों की वैज्ञानिक जांच करने के बाद नियमों के तहत निर्धारित कवारन्टीन के बाद ही इन्हें आगे बेचने की अनुमति इन नर्सरियों को देने को कहा है।
राठौर ने कहा है कि बागवानों को इस समय खाद की भी बहुत ही आवश्यकता है क्योंकि जमीन पर उपयुक्त नमी होने की वजह से पौधों को खाद बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है।उन्होंने कहा कि पिछले साल भी सरकार ने बागवानों को समय पर खाद उपलब्ध नहीं करवाई और उन्हें मजबूरी में इसकी खुले बाजार से महंगी दरों पर आनन फानन में खरीद करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि इस साल भी सरकार के नकारात्मक रवैये की वजह से प्रदेश में पोटाश व यूरिया खाद का संकट बना हुआ है।
राठौर ने कहा कि हाल ही में बागवानी विभाग द्वारा प्रतिबंधित दवा के छिड़काव की सिफारिश करना भी सरकार की बागवानों व लोगों के प्रति संवेदनहीनता को दिखाता है।

उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित दवा के छिड़काव से जहां आम लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। वहीं बागवानों पर भी इसका कुप्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गम्भीर मसला है और इसकी पूरी जांच होनी चाहिए कि यह निर्णय कैसे व किस आधार पर लिया गया।
राठौर ने एचपीएमसी व हिमफेड द्वारा बागवानों को टीएसओ, ट्री स्प्रेय ऑयल बाजार से मंहगी दरों पर देने पर भी कड़ा एतराज जताते हुए कहा है कि सरकारी एजेंसी की इस प्रकार की बागवानों से खुली लूट सहन नही की जा सकती। उन्होंने कहा है कि सरकार खाद व टीएसओ की दरों में कमी करें।उन्होंने कहा कि पिछले साल खाद के मूल्यों में भारी वृद्धि की गई थी, उसे तुरंत वापिस लेते हुए किसानों बागवानों को सस्ती दरों में इसे उपलब्ध करवाए।

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