शिमला में लगातार बढ़ रही पानी की समस्या, शिमला नागरिक सभा ने जल प्रबंधन निगम कार्यालय के बाहर किया धरना प्रदर्शन

शिमला टाइम

शिमला शहर में पानी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। लोगों को तीन दिन बाद भी पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। जिससे शिमला के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पानी की किल्लत को लेकर शिमला नागरिक सभा ने शिमला जल प्रबंधन निगम के यूएस क्लब कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया।

माकपा नेता व नगर निगम शिमला के पूर्व महापौर संजय चौहान ने पानी की इस समस्या के लिए नगर निगम शिमला की लचर व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासन में पूर्व में भी पानी का संकट विकराल रूप ले चुका है। इस बार भी अगर व्यवस्था को सुधारा नही गया तो परिणाम गम्भीर हो सकते हैं। शिमला में पानी पर्याप्त मात्रा में आ रहा है बावजूद इसके पानी की राशनिंग की जा रही है। पानी को निजी कम्पनी के हाथों में देने से यह दिक्कतें हो रही है। नगर निगम को प्रतिदिन पानी उपलब्ध करवाना होगा अगर ऐसा नही होता है तो शहर की जनता को लामबन्द करके लगातार धरना दिया जाएगा।


उन्होंने कहा कि जबसे बीजेपी सरकार व नगर निगम में सत्तासीन हुई है तबसे शिमला शहर में पानी का संकट निरन्तर बढ़ा रहा है। वर्ष 2018 में शिमला शहर के पेयजल संकट ने शहर को विश्वभर में बदनाम किया तथा इससे पर्यटन व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है। वर्ष 2018 में सरकार के दबाव में नगर निगम ने पेयजल की व्यवस्था के लिए संविधान में दिए गए दायित्व से पीछे हटते हुए पेयजल की व्यवस्था के निजीकरण के लिए कंपनी का गठन किया। जिसके चलते आज शहर की चुनी हुई सरकार का अब इस कंपनी पर कोई भी नियंत्रण नही रहने के कारण आज शहर की पेयजल व्यवस्था चरमरा गई है। आज 37 MLS से लेकर 46 MLS तक हररोज पानी होने के बावजूद भी लोगों को 3, 4 या 6 दिन के बाद पानी की आपूर्ति की जा रही है। जबकि हकीकत ये है कि यदि 3 लाख लोगों को प्रति व्यक्ति 100 लीटर पानी प्रतिदिन भी दिया जाए तब भी 30 MLS पानी की ही आवश्यकता होगी। बावजूद इसके आज शहर की जनता पानी के लिए त्रस्त है। इससे स्पष्ट है कि या तो कंपनी द्वारा पानी की आपूर्ति के आंकड़े झूठे पेश किए जा रहे हैं या फिर पानी के वितरण में हेराफेरी की जा रही है।
शिमला नागरिक सभा बीजेपी की सरकार व नगर निगम शिमला के शहर के पीने के पानी के निजीकरण के निर्णय का कड़ा विरोध करती है और मांग करती है कि सरकार तुरन्त SJPNL कंपनी को भंग कर पेयजल की व्यवस्था नगर निगम शिमला को वापिस सौंपी जाए। क्योंकि नगर निगम शहर की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार है तथा संविधान के 74वें संशोधन के अनुसार शहर में पेयजल की व्यवस्था करने का दायित्व नगर निगम का ही है। सरकार व नगर निगम शिमला का पेयजल की व्यवस्था के लिए कंपनी बनाने का निर्णय असंवैधानिक है।
संजय चौहान ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान SJPNL के महाप्रबंधक से माँगो पर बातचीत हुई। जिसमें महाप्रबंधक ने माना कि कल से पूरे शहर में हररोज समय सारिणी के अनुसार पानी की आपूर्ति की जाएगी। जहाँ तक भारी भरकम पानी के बिलों व इनमे अनियमितताओं का मसला है उसे सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग(DIT) से समाधान हेतू 18 अप्रैल से पहले बैठक बुलाई जाएगा और नागरिक सभा के प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल होंगे। बाकि मांगे जिसमें पानी की दरों में हर वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि, 30 प्रतिशत सीवरेज सेस समाप्त करने आदि अन्य मांगों को सर को भेजा जाएगा।

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