शिमला टाइम
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) ने वामपंथी पार्टियों के द्वारा महंगाई के विरुद्ध 25 से 31मई तक देशव्यापी अभियान के तहत आज शिमला में उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया तथा लोअर बाज़ार होते हुए नाज तक रैली निकाली गई। इस प्रदर्शन में संजय चौहान, जगत राम, विजेन्द्र मेहरा, जगमोहन ठाकुर, बालक राम, किशोरी डटवालिया, विनोद बिसरांटा, अनिल ठाकुर, हिम्मी देवी, जयशिव ठाकुर, अमित ठाकुर, महेश वर्मा, रमन थारटा, विवेक राज, नेहा आदि ने भाग लिया।
माकपा नेता संजय चौहान ने कहा कि गत 8 वर्षों में मोदी की बीजेपी सरकार के द्वारा लागू की जा रही नीतियों के चलते देश में महंगाई, बेरोजगारी व कृषि का संकट तेजी से बड़ा है। इससे देश की आम जनता विशेष रूप में मेहनकश वर्ग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और उसके रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। देश मे बीजेपी के नेतृत्व में मोदी सरकार के द्वारा लागू की जा रही नीतियों के कारण आज देश में महंगाई बढ़ने की दर कई दशकों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल माह में थोक महंगाई दर 15.08% व खुदरा महंगाई दर 7.79% रही है। जोकि अत्यंत चिंताजनक स्थिति है। देश में पेट्रोलियम पदार्थों, खाद्य व अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमते आसमान छू रही है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, सरसों का तेल, आटा, दूध, सब्जियां व अन्य आवश्यक वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हुई है।
केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों में एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि कर लोगों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। जहाँ 2014 में पेट्रोल पर 9.48₹ प्रति लीटर व डीजल पर 3.56₹ प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी ली जाती थी, वहीं सरकार द्वारा अब भी पेट्रोल व डीज़ल की कीमतों में कटौती के बावजूद पेट्रोल पर 19.90₹ प्रति लीटर व डीज़ल पर 15.80₹ प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी ली जा रही है। वर्ष 2021 में पेट्रोल पर 32.90₹ प्रति लीटर व डीज़ल पर 31.80₹ प्रति एक्साइज ड्यूटी सरकार द्वारा ली गई है। वर्ष 2014 में घरेलू गैस का सिलिंडर जहाँ 414₹ का था आज वही 1100₹ का हो गया है तथा कमर्शियल सिलिंडर 2300₹ का मिल रहा है। वर्ष 2014-15 में सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी से 99 हजार करोड़ रुपए एकत्र किए वहीं कोविड महामारी के दौरान वर्ष 2020-21 में 3.73 लाख करोड़ रुपए एकत्र किए। गत 8 वर्षों में 2014 से लेकर सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों से 18.23 करोड़ रुपए एकत्र किए गये है। पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में वृद्धि से मालभाड़े में भी वृद्धि हुई जिससे खाद्य वस्तुओं व अन्य वस्तुओं के दामों में भी भारी वृद्धि हुई है और महंगाई बड़ी है।
बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की मोदी सरकार में गत 5 वर्षों में खाद्य वस्तुओं में भारी वृद्धि हुई है। इस दौरान आटे के दाम 28 प्रतिशत, सरसों का तेल 71 प्रतिशत, वनस्पति तेल 112 प्रतिशत, सूरजमुखी का तेल 107 प्रतिशत तथा पाल्म तेल 128 प्रतिशत से अधिक बड़ा है। इसके अतिरिक्त दूध, सब्जियों आदि के दामों में भी भारी वृद्धि हुई है।
सरकार की किसान विरोधी नीतियों के बावजूद देश के किसानों ने खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि की है। वर्ष 2014 में जहां 23.48 करोड़ टन अनाज का उत्पादन हुआ वहीं गत वर्ष 28.52 करोड़ टन का उत्पादन किया गया। इसी तरह इस दौरान दालों के उत्पादन में भी 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बावजूद इसके सरकार महंगाई पर लगाम लगाने में विफल रही है और आज गौदामो में करोड़ों टन अनाज पड़ा है जिसे सरकार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली(PDS) के तहत सस्ता राशन सभी को उपलब्ध करवाना होगा तभी इस महंगाई पर रोक सम्भव है।
मोदी सरकार देश के सार्वजनिक क्षेत्र को कौड़ियों के भाव मे कॉरपोरेट घरानों व पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। आज सरकार के द्वारा चेहते कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों के साथ ही साथ श्रम कानूनों में भी बदलाव कर रही है। जिससे देश में मजदूर, किसान व आम जनता का शोषण बढ़ रहा है। इन नीतियों के कारण देश में रोजगार समाप्त हो रहा है और सरकार की नीतियों के चलते अमीर और अमीर हो रहा है और गरीब और गरीब हो रहा है।
बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने के लिए पार्टी की सरकार से मांगे
- खाद्य व अन्य आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी व मुनाफाखोरी पर तुरन्त रोक लगाई जाए।
2.पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी में तुरन्त कटौती की जाए।
3.सार्वजनिक वितरण प्रणाली(PDS) के तहत सभी को सस्ता राशन दिया जाए तथा इसमे खाद्य तेल, दूध, सब्जियों,चाय, मसालों आदि को भी शामिल किया जाए।
4.रसोई गैस की कीमतों पर नियंत्रण करे तथा इस पर सब्सिडी बहाल करे।
5.सरकार गैर आयकरदाताओं के खाते में हर माह 7500 रुपये डाले। - मनरेगा के अंतर्गत रोजगार के दिन बढ़ाए जाए तथा शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार गारंटी योजना तुरन्त प्रभाव से लागू करे।
सीपीएम जनता से आह्वान करती है कि मोदी सरकार की महंगाई, बेरोजगारी व कृषि संकट बढ़ाने वाली इन आमजन विरोधी नवउदारवादी नीतियों को पलटने के संघर्ष तेज़ करे।