जयराम दूसरे ऐसे CM हुए जिन्होंने कर्मचारियों को प्रताड़ित किया, कर्मचारी विरोधी सरकार का हुआ अंत, एक नए सूर्य का हुआ उदय, कर्मचारियों में आस जगी: वीरेंद्र चौहान

शिमला टाइम

हिमाचल प्रदेश कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि पिछले पांच साल में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही और उसके पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा जिस तरह से कर्मचारियों का उत्पीड़न किया गया और कर्मचारियों से अभिव्यक्ति की आजादी छीनने का प्रयास किया गया। पूर्व सरकार ने कुछ चाटुकार नेताओं की एक फौज खड़ी कर रखी थी जो गैर मान्यता प्राप्त तरीके से कर्मचारियों की आवाज़ को दबाने तथा सरकार को अंधेरे में रखने का काम करने में लगे रहे।

वहीं दूसरी ओर मान्यता प्राप्त संगठनों के नेताओं को जिसमें हिमाचल राज्य अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सहित कुछ पदाधिकारियों पर कई बार चार्जशीट तैयार की गई और अनेकों शो कॉज नोटिस दिए गए और झूठी एफआईआर तक की गई ताकि कर्मचारियों के मुद्दों को दबाया जा सके जब उसमें भी सरकार का दिल नहीं भरा तो एक कोने से दूसरे कोने तक संगठन के लोगों का स्थानांतरण किया गया। जिसमें संयुक्त कर्मचारी महासंघ जो हमने बनाया था जिस के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान बनाए थे उनको और उनके संगठन के लोगों को चांजू, उत्तरांचल की बाउंड्री और तलेहन के लिए स्थानांतरण किया गया लेकिन संगठन के जांबाज सिपाहियों ने ना तो हार मानी और ना ही गूंगी बहरी सरकार के आगे झुकने का निर्णय लिया सभी अपने गंतव्य स्थान पर अपनी सेवाएं देने चले गए और वहां से भी सरकार के खिलाफ और कर्मचारी हित में अपनी मुहिम जारी रखी। जिसका परिणाम आज यह कि हिमाचल प्रदेश में कर्मचारी विरोधी सरकार का अंत हुआ है और एक नए सूर्य का उदय हुआ है जिसमें कर्मचारियों की आस जगी है हमें उम्मीद है कि यह सरकार जिसमें दो बड़े चेहरे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की जोड़ी बहुत ही विवेकशील है और संगठन से उठे हुए लोग हैं जिनका नाता आम जनमानस से जुड़ा है वह अवश्य ही हिमाचल प्रदेश की आम जनता के लिए और विशेषकर कर्मचारी व शिक्षक एवम बच्चों के हित में निर्णय लेंगे।

वीरेंद्र ने कहा कि पिछले 5 सालों में हमने लगातार शिक्षकों और कर्मचारियों के मुद्दे जिसमें छठे वेतन आयोग की अनियमितताओं के ऊपर लगातार संघर्ष किया और पे कमीशन की एनोमली, राइडर की बहाली, 4-9-14 की बहाली, पे एरियर की बहाली सहित अनेकों मुद्दों पर जिला बार धरने प्रदर्शन किए और उसके बाद 3 मार्च को विधानसभा में पुरानी पेंशन बहाली के लिए एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जिसमें सयुक्त कर्मचारी महासंघ का बहुत बड़ा योगदान रहा है उसके बाद उसी कड़ी में संयुक्त कर्मचारी महासंघ के 10 पदाधिकारियों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई करते हुए उनका स्थानांतरण एक कोने से दूसरे कोने में किया,उसके बाद भी संयुक्त कर्मचारी महासंघ और हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के मंच से लगातार सरकार का घेराव किया गया और अपनी मांगों को हम प्रमुखता से रखते रहे जिसका नतीजा आज आपके समक्ष है कि सरकार के मुखिया जो कहते थे कि आपको अगर पेशन चाहिए तो नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ो । कर्मचारियों ने चुनाव तो कम लड़ा लेकिन यह चुनाव इतने अच्छे से लड़ाया कि मुख्यमंत्री को सत्ता से बाहर होना पड़ा।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में यह दूसरे ऐसे सीएम हुए हैं जिन्होंने कर्मचारियों को ललकारा है और प्रताड़ित किया है और उनका शोषण किया है और हिमाचल प्रदेश में कर्मचारी विरोधी मुख्यमंत्री होने का इतिहास भी इन्हीं के नाम रहेगा। हिमाचल प्रदेश के सभी कर्मचारियों और शिक्षकों को बधाई देना चाहता हूं कि जिन्होंने अपने अस्तित्व के लिए एकजुट होकर वोट किया और एहसास दिलाया कि कर्मचारी वास्तव में हिमाचल प्रदेश में अपना अस्तित्व रखता है और वह आज भी कायम है लेकिन मैं दुख के साथ यह भी कह रहा हूं कि एक जिले में हमारा प्रभाव थोड़ा कम रहा वहां के कुछ चाटुकार नेता कर्मचारियों को डराते रहे और इस के कारण हमें कुछ मायूसी का सामना करना पड़ा लेकिन बाकी जिलों में कर्मचारियों का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है इसमें कोई शक नहीं है कि हमें अपने विवेक से काम करने की आवश्यकता है कुछ चाटुकार नेता पिछली सरकार में थे कुछ चाटुकार नेता इस सरकार में भी आगे आएंगे और केवल और केवल अपने ही फायदे के लिए काम करेंगे जिससे कर्मचारियों के मुद्दों को प्राथमिकता से उठाने में उन्हें हल करने में वही स्थिति पैदा हो सकती है क्योंकि जो नेता 5 साल में कहीं नजर नहीं आए वह सरकार का क्या और कर्मचारियों का क्या भला कर सकते हैं l
अध्यापक संघ का अध्यक्ष होने के नाते शिक्षा विभाग में जो अनियमितताएं चल रही है और जिस तरह से शिक्षा निदेशक उच्च ने एक एजेंट के रूप में विभाग का दुरुपयोग किया और शिक्षा विभाग और तंत्र को एक भ्रष्ट तंत्र बनाकर इसकी छवि को धूमिल किया है। इसकी छवि हमने नहीं बल्कि शिक्षा विभाग में कार्यरत संयुक्त निदेशक प्रशासनिक सोनिया ठाकुर जी ने सरकार को शिकायत के माध्यम से कहा था कि विभाग में निदेशक द्वारा खरीद-फरोख्त में बहुत सी धांधली की गई है इसके अतिरिक्त स्काउट एंड गाइड में भी बहुत अनियमितताएं पैसों को लेकर हुई है इन सब की जांच करने की आवश्यकता है जिस तरह से शिक्षा विभाग में शिक्षकों की ट्रांसफर खुलेआम बिकी है और इस विभाग को एक ट्रांसफर इंडस्ट्री बनाया गया है उसका भी खुलासा कर उसकी जांच होने की आवश्यकता है क्योंकि विभाग में 50000 से 100000 तक की ट्रांसफर के रेट कुछ चाटुकार नेताओं के द्वारा रखे गए थे जिसका हम शीघ्र ही खुलासा करने वाले हैं यह सब भ्रष्टाचार शिक्षा निदेशक उच्च के संरक्षण में हुआ है इसलिए इसके लिए किसी ना किसी की जवाबदेही तो बनती है इसलिए संघ पूरी जाँच की मांग करता है ।इसके अतिरिक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड के अंदर भी एक बहुत अनियमितताओं और अराजकता का माहौल 5 सालों में बना रहा जिसमें मशीनरी का दुरुपयोग कर बोर्ड को छात्र हित कम मानकर पैसा हित ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया। बच्चों से दो सौ गुणा फीस बढ़ाई गई वह भी करोना काल में और मनमर्जी से परीक्षाओं को term 1 और term 2 सिस्टम पर किया गया नतीजा यह कि जो पेपर term 1 के दसवीं और बारहवीं कक्षाओं के सितंबर में लिए गए हैं उनका परिणाम आज तक भी नहीं आया है और जल्दी आने की संभावना भी नजर नहीं आ रही। बोर्ड के चेयरमैन ने केवल और केवल पैसे इकट्ठे करने का काम किया और बिना संगठनों को कॉन्फिडेंस में लिए हुए निर्णय लेने का काम किया जिसका खामियाजा हमारे देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे भुगत रहे हैं इसके अतिरिक्त बोर्ड में जो स्टेशनरी व किताबों की खरीद प्रोख्त की गई उसमें भी बहुत से घोटाले किए गए हैं इन सब की भी जांच करने की आवश्यकता है इन सब मुद्दों पर पिछले कल भी संगठन के द्वारा चर्चा की गई और आने वाले समय में सरकार के समक्ष सभी मुद्दों को संगठन उठाता रहेगा। संघ सरकार से ऐसे संगठन जो बिना पंजीकरण के और बिना किसी चुनाव के सरकार के इशारे पर काम कर रहे थे और स्पेशल लीव सहित अन्य सुविधाओं का आनंद ले रहे थे उन सब के ऊपर भी कार्रवाई करने का सरकार से आग्रह करता है ताकि कर्मचारियों को सरकार के पिट्ठू लोगों से बचाया जा सके।

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