शिमला टाइम
प्रदेश की सांस्कृतिक नीति का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित और जीवंत रखते हुए इसे जन-जन तक पहुंचाना होगा। भाषा, कला एवं संस्कृति मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक नीति बनाने के लिए गठित समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को इस नीति का प्रारूप समयबद्ध तैयार करने के निर्देश दिए।
गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि इस नीति में प्रदेश के समृद्ध इतिहास के मौखिक रूप को कलमबद्ध करने के साथ-साथ उसे प्रचारित करने का भी प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक नीति के माध्यम से प्रदेश की बहुमुखी संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस नीति में हिमाचल प्रदेश की विभिन्न सांस्कृतिक विधाओं, बोलियों, लोक नाट्य, लोक गीतों का युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से इन विधाओं के विशेषज्ञों की सेवाएं लेने का भी प्रावधान रखा जाएगा। प्रदेश के ऐतिहासिक अभिलेखों को संरक्षण प्रदान किया जाएगा और प्रत्येक जिले में शोध केंद्र, पांडु लिपि शोध केंद्र स्थापित करने की दिशा में कार्य किया जाएगा।
गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि अन्य प्रदेशों की फिल्म सिटी की तर्ज पर प्रदेश में भी फिल्म सिटी की स्थापना की दिशा में कार्य किया जाएगा। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों की कला संस्कृति के संवर्द्धन तथा प्रसार की दिशा में विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। यहां के सभी मंदिरों को सूचिबद्ध करने के साथ-साथ, मंदिरों के जीर्णोद्धार की दिशा में विशेष कार्य किया जाएगा और इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि उनकी पुरातन काष्ठ शैली को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे। प्रदेश की कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को पर्यटन के साथ जोड़ा जाएगा, ताकि इस दिशा में निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा प्रदान किया जा सके।
उन्होंने कहा कि हिमाचल की कला एवं संस्कृति के प्रति बच्चों में रूझान पैदा करने के उद्देश्य से हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड को भी इस कार्य में सम्मिलित किया जाएगा।
इस बैठक में निदेशक भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग कुमुद सिंह, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति कुलदीप चंद अग्निहोत्री सहित समिति के सरकारी और गैर सरकारी सदस्यों ने भाग लिया।