शिमला टाइम
देशभर में पत्रकारों की लगातार हो रही हत्याओं और उत्पीड़न के खिलाफ नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया ने दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन और यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के साथ मिलकर 29 अगस्त को संसद पर प्रदर्शन करने की घोषणा की है। इसमें बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी भाग लेंगे।
एनयूजे के अध्यक्ष रास बिहारी ने कहा उत्तर प्रदेश में लगातार पत्रकारों कि हत्या हो रही है पर सरकार और प्रशासन खामोश है। इससे असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद हो रखे हैं। उन्होंने कहा, हमने कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय विक्रम जोशी के परिवार को एक करोड़ रुपए की सहायता देने की मांग की थी। साथ ही उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी देने और बेटियों की शिक्षा का व्यवस्था करने का अनुरोध भी किया गया था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब हम पत्रकार स्वर्गीय रतन सिंह के परिवार को भी एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने की मांग करते है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे बनाकर जेल भेजा जा रहा है। नैनीताल हाई कोर्ट ने पत्रकार शिवप्रसाद सेमवाल की गिरफ्तारी पर सरकार को फटकार भी लगाई है।
एनयूजे के अध्यक्ष रास बिहारी, दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश थपलियाल, महासचिव के पी मलिक और उपजा के अध्यक्ष रतन दीक्षित ने कहा कि बलिया जिले में पत्रकार रतन सिंह की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई, पत्रकार की हत्या से मीडिया जगत में भारी रोष व्याप्त है। प्रदेश में पुलिस तंत्र पूरी तरह से विफल हो चुका है, खराब कानून व्यवस्था के कारण और उतर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली के कारण ही पत्रकारों पर लगातार हमले बढ़ रहे है। समाचार चैनल के पत्रकार रतन सिंह को दो दिन पूर्व बलिया जिले के फेफना में गोली मारी गई थी।
एनयूजे अध्यक्ष रास बिहारी ने पत्रकार रतन सिंह की हत्या की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से तत्काल मामले का संज्ञान लेते हुए उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन और लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई और मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग की।
एक माह पूर्व देश की जब राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पत्रकरों की हत्या से मीडिया जगत में भारी रोष व्याप्त है। प्रदेश में पुलिस तंत्र पूरी तरह विफल हो चुका है। खराब कानून व्यवस्था के कारण ही पत्रकारों पर हमले हुए हैं। डीजेए अध्यक्ष राकेश थपलियाल ने अपील की है कि पत्रकारों की हत्या और उनके उत्पीड़न के खिलाफ संसद पर प्रदर्शन में ज्यादा से ज्यादा मीडियाकर्मी शिरकत करें। डीजेए महासचिव के पी मलिक ने कहा कि दोनों संगठनों की तरफ से प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा।