शिमला टाइम
हिमाचल प्रदेश प्रशिक्षित बेरोजगार संघ ने राज्य सरकार को चेताया है कि अगर प्रदेश सरकार ने एसएमसी शिक्षक नीति मामले पर उच्च न्यायालय के निर्णय को लागू नहीं किया तो संघ राज्य स्तर पर उग्र आंदोलन शुरू करेगा तथा आत्मदाह जैसे कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। जिसकी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार पर होगी। संघ ने प्रदेश सरकार से इस निर्णय के आधार पर एसएमसी शिक्षक भर्ती को रदद कर भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के आधार पर शिक्षकों की भर्ती करने की मांग की है। पत्रकारों को संबोधित करते हुए संघ के प्रदेशाध्यक्ष किशोरी लाल एवं महासचिव लेख राम सहित अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सात आठ वर्ष पहले प्रदेश के जनजातीय जिलो में स्टाप गैप अरेंजमेंट के आधार पर एसएमसी शिक्षको की भर्तियां की थी। लेकिन तब से लेकर आज तक सरकार इन शिक्षकों का सेवा विस्तार बढ़ा रही है। जबकि आज भी 2003 से पहले के बेरोजगार प्रशिक्षित शिक्षक रोजगार पाने के लिए इधर उधर भटक रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब प्रदेश उच्च न्यायालय ने एसएमसी शिक्षकों की भर्तियो को रदद करने का आदेश दिया है तो सरकार इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी कर रही है जिसे संघ कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। इन पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश के जनजातीय जिलों किन्नौर, चंबा व लाहौल स्पीति में कुल 792 एसएमसी शिक्षक नियुक्त हुए थे और मैदानी जिलों में भी 580 शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि संघ ने इस मुददे पर एसडीएम व एडीएम के माध्यम के कई बार ज्ञापन प्रेषित किया व अवगत करवाया। परंतु सरकार के कानों पर आज तक जूूं नहीं रेंगी है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि पीटीए शिक्षकों के नियमतिकरण में भी रोस्टर को अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने संघ की मांगों पर गौर नहीं किया तो संघ से जुडे बेरोजगार शिक्षक वर्ष 2022 के चुनावों में प्रदेश सरकार के मिशन रिपीट को मिशन डिफिट करेगा।