देश की दिशा व दशा तय करेगी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति : डा. रत्न


शिमला टाइम

राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की दिशा व दशा तय करेगी। उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपनी भाषाओं का तिरस्कार करके आगे नहीं बढ़ सकता। पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने की बात कही गई है। ये विचार प्रसिद्ध लेखक व टीवी पैनलिस्ट डा. रतन शारदा ने हिमाचल फोरम द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और किसान बिल विषय पर स्तंभकार वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता रखे। उन्होंने कहा कि इस नीति में शिक्षार्थियों को विषय चुनने की आजादी है न कि उन पर विषयों को थोपा जाएगा। शिक्षा ही किसी राष्ट्र का आधार होती है और राष्ट्र निर्माण में शिक्षा सबसे अहम तत्व है।
डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए इसे छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत को न केवल महत्व दिया गया है बल्कि इतिहास जैसे विषयों को पढ़ने का माध्यम संस्कृत विषय को रखने का भी विकल्प दिया है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति क्रिटिकल थिंकिंग को विकसित करती है। जबकि पुरानी शिक्षा पद्यति में छात्र को निर्धारित विचारकों तक ही सीमित कर दिया गया था।
वहीं डा. संध्या जैन ने बताया कि कृषि संशोधन बिल का से विभिन्न राज्यों में राजनीतिक शरण प्राप्त बडे़ किसानों का एपीएमसी पर से एकाधिकार समाप्त होगा। जिसका बड़ा उदाहरण पंजाब और हरियाणा राज्य में भी देखने को मिलता है। जबकि कई प्रदेशों में नीजि मंडियां बेहतर तरीके से चल रही है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि किसानों तक व्यापारियों से सीधे पहुंच से किसानों अधिक मोल भाव कर ज्यादा कीमत में अपनी फसल बेच सकेंगे।


इस अवसर पर वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि लेखक व स्तंभकार फेलो एनएमएमएल दिल्ली डा. संध्या जैन, विशिष्ट अतिथि लेखक, विचार व स्तंभकार और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष प्रो. सोमदेव शर्मा उपस्थित रहे। वेबिनार में प्रदेश भर से स्तंभकारों शामिल हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *