मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना से प्रेम चंद ने तैयार कर डाले बागान जंगली जानवरों और बेसहारा पशुओं ने बंजर बना दी थी जमीन

शिमला टाइम, कुल्लू

कुल्लू जिला के नित्थर के दूरदराज ओडीधार गांव के प्रेम चंद के पास खेती-बाड़ी के लिए अच्छी-खासी जमीन है। महीनों की कड़ी मेहनत के  बावजूद घर में एक दाना अनाज का नहीं पहुंच पाता था। जंगली जानवर और आवारा पशु पिछले कुछ सालों से प्रेम चंद और उसके परिवार को चिंता का सबब बने हुए थे। दिन को बंदरों व आवारा मवेशियों से फसल की थोड़ी-बहुत जुगाली कर भी लेते थे तो रात्रि के समय गीदड़, खरगोश, बारहसिंघा या सुअर फसल को बर्बाद कर देते थे। प्रेम चंद ने फसल को न लगाने का मन बना लिया था और जमीन बंजर बनने के कगार पर थी।


प्रेम चंद एक दिन पास के गांव कोयल से गुजर रहे थे। गांव में उन्होंने अनेक जगहों पर खेतों में लहलाती फसलें देखी और सहसा ही उनकी नजर खेतों की सुनियोजित ढंग से की गई बाड़बंदी पर गई। फसलों की रखवाली करते हुए भी लोग उन्हें कहीं पर नजर नहीं आए। वह यह देखकर विस्मित हुए और उनके मन में बाड़बंदी के बारे में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। उन्होंने गांव के एक-दो किसानों से इसके बारे में बात-चीत करके पूरी जानकारी हासिल की। फिर क्या था, वह तुरंत से कृषि अधिकारियों के पास पहुंच गए और अपने खेतों में बाड़बंदी करवाने के लिए आवेदन किया।
कृषि विभाग ने प्रेम चंद के खेतों में सोलर फेंसिंग करवाने के लिए हि.प्र. मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना के तहत कुल चार लाख रुपये की राशि स्वीकृत की। इसमें 3.20 लाख रुपये की सब्सिडी प्रेम चंद को प्रदान की गई और केवल 20 प्रतिशत राशि उसे व्यय करनी पड़ी। विभाग ने सोलर फेंसिंग की सारी प्रक्रिया 15 दिनों में पूरी कर ली। अब प्रेम चंद की जमीन जंगली जानवरों और आवारा पशुओं से पूरी तरह से सुरक्षित हो गई।
प्रेम चंद की बंजर हो चुकी भूमि में आज सेब, अनार, पलम व खुर्मानी के बड़े-बड़े बागान तैयार हो रहे हैं। प्रेम चंद का कहना है कि वह अधिकांश समय अपने बागीचे में व्यतीत करते हैं और वहां अच्छे से मन लगता है। मेहनत अब रंग लाने लगी है। फल बागानों के बीच मटर, आलू, गंदम व साग सब्जियां भी तैयार हो रही है। फसलों को अब जानवरों का कोई भय नहीं रह गया है। परिवार की आर्थिक स्थिति दिनों-दिन बेहतर हो रही है।
क्या है योजना
जिला कृषि उपनिदेशक पंजवीर ठाकुर ने बताया कि मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना फसलों को जंगली जानवरों तथा आवारा पशुओं से बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 में शुरू की गई है। योजना के तहत किसानों को अपने खेतों की बाड़बंदी अथवा सोलर फेंसिंग के लिए कुल लागत पर 80 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाती है। सोलन फेंसिंग के साथ साथ अब कांटेदार तार लगवाने को भी योजना में शामिल करके सब्सिडी प्रदान की जा रही है। योजना का लाभ प्राप्त करने के संबंध में अधिक जानकारी के लिए उपनिदेशक कृषि के कार्यालय दूरभाष संख्या 01902-222215 पर अथवा नजदीकी कृषि प्रसार अधिकारियों से सम्पर्क किया जा सकता है।
क्या है आवेदन की प्रक्रिया
तारबाड़ योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक हिमाचली होना चाहिए और किसान के पास कृषि योग्य जमीन होनी चाहिए। छोटे और सीमांत किसानों को योजना में प्राथमिकता प्रदान की जाएगी। आवेदन की प्रक्रिया काफी सरल है। आवेदक को कुछ दस्तावेज संबंधित विकास खण्ड के माध्यम से  उपलब्ध करवाने होंगे, जिनमें आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक, राशन कार्ड व पासपोर्ट साईज फोटो तथा जमीन के कागजात शामिल हैं। अब आॅनलाईन आवेदन की भी प्रदेश सरकार ने सुविधा प्रदान की है।  

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