शिमला टाइम
प्रदेश में किसानों को आय के अतिरिक्त साधन सृजित करने तथा स्थानीय युवाओं को स्वरोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से मत्स्य पालन को व्यापक बढ़ावा देने की कार्य योजना बनाई गई है ताकि प्रदेश में ‘नील क्रान्ति’ लाई जा सके। प्रदेश के जलाश्यों में मत्स्य पालन विशेषकर प्रदेश की ठण्डी नदियों में ट्राउट पालन को बढ़ावा देने की योजना तैयार की गई है। इस योजना के तहत मत्स्य पालन से जुड़े परिवारों को ट्राउट पालन अपनाने के प्रति प्रेरित किया जा रहा है तथा उन्हें अनेक प्रोत्साहन भी प्रदान किए जा रहे हैं।
प्रदेश में इस वर्ष 100 अतिरिक्त ट्राउट इकाइयां तथा कार्प फिश के उत्पादन के लिए 10 हेक्टेयर में तालाब निर्मित करने का लक्ष्य रखा गया है जिससे लगभग 550 लोगों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे। प्रदेश में ट्राउट मछली के बीज की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र में दो ट्राउट हैचरी भी स्थापित की जाएंगी। पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि प्रदेश में इस वर्ष सभी जल स्रोतों से लगभग 171.57 करोड़ रुपये की मूल्य की लगभग 13402 टन मछली उत्पादन हुआ है। विभागीय ट्राउट फार्मों से 8.34 मीट्रिक टन ट्राउट का उत्पादन भी किया गया है। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष निजी क्षेत्र में लगभग 25.21 करोड़ रुपये मूल्य की 560 मीट्रिक टन ट्राउट का उत्पादन किया गया है।वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि प्रदेश में ‘रेनबो’ ट्राउट के सफलतापूर्वक प्रजनन के परिणामस्वरूप अब कुल्लू ज़िला के अलावा शिमला, मण्डी, कांगड़ा, किन्नौर, चम्बा व सिरमौर ज़िलों में भी निजी क्षेत्र में ट्राउट इकाइयों की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2022 तक ट्राउट मछली का 1000 मीट्रिक टन उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि इस प्रदेश में ‘नील क्रान्ति’ के माध्यम से युवाओं को रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर सृजित किए जा सकें। राज्य सरकार के प्रयासों व मछली पालन गतिविधियों में लोगों की बढ़ती रूचि के परिणामस्वरूप, राज्य के मुख्य जलाश्यों में 6098 मछुआरों को पूर्णकालिक स्वरोज़गार प्रदान किया गया है, जिसमें 2054 लोगों को गोविन्द सागर में, 2674 को पौंग बांध में, 129 को चमेरा में, 42 को महाराजा रणजीत सागर और 111 को कोल बांध में रोज़गार उपलब्ध करवाया गया है। इन मछुआरों द्वारा 8.52 करोड़ रुपये की लागत से 659.98 मीट्रिक टन मछली उत्पादन किया गया है, जिससे मछुआरों की आर्थिकी सुदृढ़ करने में सहायता मिली है।राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के युवाओं को मत्स्य गतिविधियों को अपनाने के लिए विभिन्न योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। प्रदेश में मत्स्य इकाइयां स्थापित करने के लिए सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत अनुदान और अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं को 60 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। इस योजना के अंतर्गत हैचरिज, मछली फॉर्म, छोटे और बड़े मत्स्य तालाब और ट्राउट इकाइयां स्थापित करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार निजी क्षेत्र की सहभागिता से कुल्लू में ‘स्मोकड ट्राउट’ और ‘फिलेट केनिन’ सेंटर स्थापित कर रही है। प्रदेश के कांगड़ा, चम्बा और शिमला ज़िला में एक-एक ‘आउटलेट’ भी स्थापित किए जाएंगे ताकि लोगों को बेहतर विपणन सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। मत्स्य पालन के निदेशक सतपाल मेहता के अनुसार नोर्वेजन तकनीक की सहायता और रेनबोट्राउट के सफल प्रजनन को देखते हुए प्रदेश सरकार राज्य में सात अतिरिक्त ट्राउट इकाइयां कुल्लू, शिमला, मण्डी, किन्नौर, कांगड़ा, चम्बा और सिरमौर में स्थापित कर रही है।उन्होंने कहा कि राज्य के 12,650 किसान और मछुआरों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमवाईबीवाई) के अंतर्गत लाया गया है। प्रदेश में ऑफ सीजन के दौरान सरकार द्वारा मछुआरों को 80.73 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है जिसमें मौसम के दौरान तीन हजार रुपये की दो किश्तें मछुआरों को प्रदान की गई है। केन्द्र प्रायोजित आदर्श मछुआ आवास योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सभी मछुआरों को 100 प्रतिशत आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है और अब तक 60 मछुआरों को लाभान्वित किया गया है। केन्द्रीय तकनीकी संस्थान कोच्चि की तकनीकी सहायता से प्रदेश सरकार राज्य में भाखड़ा (गोविन्द सागर), खटियार (पौंग बांध), कथौड़ कलान (ऊना) और रतयौड़ (सोलन) में चार मत्स्य प्रसंस्करण इकाइयां भी स्थापित कर रहा है। इन इकाइयों द्वारा बाजार में मछली से बने उत्पाद जैसे मछली का आचार, फिश फिलिट्स, फिश बाऊल्स, फिश फिंगर, पापड़ आदि उपलब्ध करवाए जाएंगे। इन उत्पादों को बनाने में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक से उत्पादों को उत्पादकता तिथि से एक वर्ष से अधिक तक प्रयोग में लाया जा सकेगा।
मछुआरों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सभी मछली फार्मों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है और निजी क्षेत्रों में भी हैचरी तैयार की जा रही है ताकि मछली के बीज की आवश्यकता को पूरा किया जा सके। राज्य मछली उत्पाद के क्रय-विक्रय के लिए केन्द्रीय मछली तकनीकी संस्थान कोच्चि केरल के सहयोग से फिश मार्केट इंफॉरमेशन सिस्टम (एफएमआईएस) के अंतर्गत आनलाइन प्रणाली विकसित की जा रही है। यह आनलाइन पोर्टल शीघ्र ही आरम्भ किया जाएगा। इससे खरीददारों को अपनी मांग के अनुरूप तथा विक्रेताओं को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने की सुविधा भी होगी।