अर्थशास्त्र प्रवक्ता के रूप में न कभी सरकार का विरोध किया न ही उनकी नीतियों का, किया है तो शिद्दत से पठन पाठन: वीरेन्द्र

शिमला टाइम

विभाग द्वारा वीरेंद्र चौहान को नोटिस जारी होने के बाद उन्होंने स्पष्टीकरण दिया है कि उन्होंने प्रवक्ता अर्थशास्त्र के रूप में कभी भी ना तो सरकार का विरोध किया और ना ही नीतियों का विरोध किया और ना ही सरकार के खिलाफ कोई नारेबाजी की है। एक प्रवक्ता के रूप में उन्होंने बड़ी शिद्दत से पठन-पाठन के कार्य में रुचि के साथ कार्य किया है और हमेशा ही बच्चों के साथ न्याय किया है ।
राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि एक संगठन का मुख्य होने के नाते जहां लगा सरकार या विभाग छात्रों, शिक्षक व कर्मचारी के साथ न्याय नहीं कर रही है। वहां हमेशा अपनी आवाज उठाई है और सरकार को अपना विरोध दर्ज कराया है। जहां सरकार ने शांतिपूर्ण तरीके से हमारी बात को नहीं सुना। वहां पर संवैधानिक तौर पर पंजीकृत कर्मचारी संगठनों को सरकार के खिलाफ विरोध करने का नैतिक अधिकार है और उस अधिकार के दायरे में ही हम विभाग और सरकार का विरोध भी करते आए हैं लेकिन यह पहली बार इस सरकार में देखा जा रहा है कि जो संगठन या कर्मचारी नेता सरकार का विरोध करता है। वह सरकार विरोधी व प्रदेश विरोधी हो जाता है सरकार उससे बात करना तक पसंद नहीं करती हैं । ना ही उस कर्मचारी नेता को पसंद किया जाता है यहां तक की उसके खिलाफ अनेकों षड्यंत्र के तहत घेरने का प्रयास किया जाता है। यह व्यवस्था एक लोकतांत्रिक प्रणाली में किसी भी रुप से सही नहीं ठहराया जा सकता। इसे दमनकारी और कर्मचारी विरोधी नीति तो अंग्रेजों के समय में भी नहीं हुआ करती थी सरकार को ऐसी व्यवस्था से बचना चाहिए।

यह पहला मौका नहीं है कि उन्हें शो कॉज नोटिस दिया गया है इससे पहले भी इस सरकार में अनेकोबार मुझे शिक्षकों एवं कर्मचारियों के मुद्दे उठाने पर विभाग द्वारा शोकॉज नोटिस दिए जा चुके हैं और यहां तक की 2-2 चार्जशीट भी उनके खिलाफ विभाग द्वारा तैयार की गई है ताकि वह कर्मचारियों की आवाज ना बन सकें। उनका कहना है कि लेकिन यह सब चीजें हमारे जुनून को रत्ती भर भी कम नहीं कर सकती है।

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