शिमला टाइम
सीएण्डवी अध्यापक संघ ने सरकार से आग्रह किया हैै कि शिक्षा विभाग से सही आंकड़े जुटाने के बाद ही टीजीटी पदनाम पर कोई निर्णय ले। क्योंकि सीएण्डवी अध्यापक15% कोटा के आधार पर हर वर्ष सीएण्डवी से टीजीटी पदोन्नत होते है। वर्ष 2021 में केवल 42 सीएण्डवी अध्यापक जो अपनी योग्यता बीएड तथा टैट पास थे। जिसमें शास्त्री ,भाषा अध्यापक के अलावा कला अध्यापक और शारीरिक शिक्षक भी शामिल है। जितने भी शास्त्री व भाषा अध्यापक बीए बीएड है वो तो पदोन्नत हो चुके है। अब कितने शास्त्री व भाषा अध्यापक हैं जिन्हें सरकार टीजीटी पदनाम देने जा रही हैै।
स्पष्ट करे या अब आनन फानन में सरकार किसे टीजीटी पदनाम देने जा रही है समझ से परे है। क्या अनुभव के आधार पर सभी शास्त्री व भाषा अध्यापकों को टीजीटी पदनाम दिया जाएगा। प्रदेश में शास्त्री अध्यापकों के स्वीकृत पद 4991 तथा भाषा अध्यापकों के स्वीकृत पद 3088 है। जिला मण्डी के अध्यक्ष दयाराम ठाकुर का कहना है कि सभी भाषा व शास्त्री अध्यापकों को अनुभव के आधार पर टीजीटी पदनाम दिया जाए अन्यथा अध्यापको को आपस में विघटन करने का काम सरकार न करे।
शिक्षा विभाग 15% कोटे के आधार पर हर वर्ष योग्यता के आघार पर’ सभी सीएण्डवी अध्यापकों को टीजीटी पदोन्नत करती हैै तो जो कला व शारीरिक शिक्षक बीए बीएड है उन्हें टीजीटी पदनाम क्यों नहीं दिया जा रहा है। वो भी टीजीटी पदनाम लेने की पुरी योग्यता रखते है। उन्हे भी टीजीटी पदनाम दिया जाए। जब हर वर्ष 15% कोटे में सीएण्डवी अध्यापक टीजीटी पद पर पदोन्नत होते हैै तो टीजीटी पदनाम देने की आवश्यता क्यो पड़ रही है। संघ ने सरकार से आग्रह किया है कि सभी सीएण्डवी अध्यापकों को योग्यता तथा अनुभव के आधार पर टीजीटी पदनाम दिया जाए।