सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने, कंप्यूटर व SMC शिक्षकों को स्थायी नीति बनाने सहित शिक्षक महासंघ ने 21 सूत्रीय मांग पत्र सरकार को सौंपा

शिमला टाइम

हिमाचल शिक्षक महासंघ (हि० प्र०) ने 21 सूत्रीय मांग पत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, शिक्षा मन्त्री, मुख्य सचिव, वित सचिव, शिक्षा सचिव, उच्च एवं प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक को प्रदेश के सभी संवर्गों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के विभिन्न ज्वलंत मुददों के बारे में माँग पत्र भेजा है। महासंघ ने मांग की है कि हिमाचल शिक्षक महासंघ को यथाशीघ्र बैठक के लिए आमंत्रित किया जाए। ताकि वार्तालाप से सभी मुददों का हल निकल सके।

हिमाचल शिक्षक महासंघ के प्रदेश प्रधान डॉ प्रेम शर्मा, मुख्यसंरक्षक प्रो. यशवंत सिंह राणा, कार्यकारी प्रधान पवन गांधी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील दत्त, अनिल नेगी, महासचिव लायक राम शर्मा, पवन मिश्र, जनमेजय गुलरिया, मुख्य संगठन सचिव रमेश सरैक, संगठन सचिव नरोत्तम शर्मा, संयुक्त सचिव विनोद मांटा, कार्यालय सचिव महेन्द्र चौहानआदि शिक्षक नेताओं ने कहा कि नई पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए। शिक्षकों एवं कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को पंजाब वेतन आयोग की तर्ज पर अक्षरशः लागू किया जाये तथा भत्तों को भी पंजाब व केंद्र सरकार की तर्ज संशोधित किया जाए।
हिमाचल प्रदेश के लाखों पेंशनरों को छठे वेतन आयोग के अन्तर्गत सभी वितीय लाभ पंजाब की तर्ज यथाशीध्र जारी किए जाए।

हिमाचल प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष की जाये। प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को 04-09-14 का टाइम स्केल पुनः बहाल किया जाए तथा दो वर्ष का राइडर समाप्त किया जाए।
अनुबंध आधार पर नियुक्त 1994–1998 की आठ वर्ष की अनुबंध नीति के तहत नियुक्त शिक्षकों को आठ वर्ष की नियमितीकरण की नीति का लाभ प्रदान किया जाए, जबकि इन शिक्षकों को दस वर्षों से अधिक समयावधि के बाद नियमित किया गया था तथा इन शिक्षकों को पुरानी पेंशन सुविधा व अन्य वितीय लाभ आठ वर्ष की सेवा अवधि से दिए जाएं।
शिक्षा विभाग में विगत 24 वर्षों से कार्यरत योग शिक्षकों/प्रवक्ताओं के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को संशोधित कर के इन्हें जिला योग अधिकारी, सहयक निदेशक योगा, उप निदेशक योगा के पद पर पदोन्नति प्रदान की जाए तथा लम्बित वितीय लाभ प्रदान किए जाएं।
प्रदेश में कार्यरत कंप्यूटर शिक्षकों व एसएमसी शिक्षकों की सेवाओं को पैरा, पैट, पीटीए की तर्ज़ पर स्थाई नीति बना कर नियमित किया जाए। प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत लेफ्ट आउट ई०जी०स०शिक्षकों को ग्रामीण विद्या उपासकों की तर्ज पर नियमित किया जाए। एनटीटी बेरोज़गार प्रशिक्षण प्राप्त अध्यापकों को नीति बनाकर नर्सरी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए नियुक्ति प्रदान की जाए। बाल सेविकाओं व सहायिकाओं को नर्सरी टीचर के पदों पर नियुक्ति प्रदान की जाए जो कि शिशु पालना केन्द्रों में 25 वर्षों से अपनी सेवाएं नाममात्र के मानदेय पर दे रहीं हैं।
प्रदेश के लगभग 1100 स्कूलों व महाविद्यालयों में दो हज़ार वोकेशनल अद्यापकों के लिये स्थाई नियमित नीति बनाकर कंपनियों के शोषण से निजात दिलाई जाए।

सरकारी पाठशालाओं में मध्याहन भोजन योजना के अंतर्गत कार्य कर रहे हजारों भोजन पाचकों के लिए भी नियमितीकरण की स्थायी नीति बनाकर नियमितिकरण किया जाए। हिमाचल प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों व शिक्षकों के लिए ठोस व स्थाई नीति बनाकर इनकी सेवाओं को नियमित किया जाए।प्रदेश के स्कूलों में कार्यरत शास्त्री व भाषा अध्यापकों को टीजीटी पदनाम दिया जाय। स्कूलों में कार्यरत डीपीई को प्रवक्ता पदनाम दे कर सभी वितीय लाभ दिए जाए। राजकीय वरिष्ठ माद्यमिक पाठशालाओं में वर्ष 2018 से प्लेसमेंट पर कार्यरत प्रधानाचार्यों को नियक्ति तिथि से नियमित कर सभी वितीय लाभ देय तिथि से जारी किए जाएं।
हिमाचल शिक्षक महासंघ के प्रदेश प्रधान डॉ प्रेम शर्मा ने सरकार से आग्रह किया है कि उपरोक्त सभी समस्याओं का समाधान निश्चित अवधि में किया जाए ताकि प्रदेश के लाखों शिक्षकों व कर्मचारियों को न समयबद्व न्याय मिल सके ।

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