हिमाचल में लंपी रोग के मामले घटे, बीमारी पर राजनीति करने वाली कांग्रेस की चिंता बढ़ी: वीरेन्द्र कंवर

शिमला टाइम

हिमाचल प्रदेश में लंपी रोग के मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है और जल्द ही पशुपालन विभाग की सक्रियता से इस बीमारी पर नियंत्रण पा लिया जाएगा। यह बात पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कही। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में रोगी पशुओं के उपचार के लिए दवाइयां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। साथ ही पशुपालन विभाग इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से साप्ताहिक समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही हैं।

पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि पशुपालकों के लिए राहत की बात यह भी है कि हमारे वैज्ञानिकों ने लंपी रोग के लिए स्वदेशी वैक्सीन तैयार कर ली है। जल्द ही ये बाजार में भी उपलब्ध हो जाएगी। और हम इस रोग से पूरी तरह से मुक्त हो पाएंगे। पशुपालन मंत्री ने कहा कि सभी जिलों से इस रोग के बारे में प्रतिदिन सूचना एकत्रित करके भारत सरकार को भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि लंपी वायरस को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने पहले दिन से जरूरी कदम उठाए हैं।

मंत्री ने कहा कि प्रदेश में अब तक 2 लाख 27 हजार 748 पशुओं का टीकाकरण हो चुका है। हिमाचल में लंपी बीमारी के 83 हजार 645 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें से अधिकतर ठीक हो गए हैं। मंत्री ने कहा कि लंपी रोग से प्रदेश में 5 हजार 19 पशुओं की मौत हुई है जबकि37 हजार 201 पशुओं का इलाज किया जा रहा है।

पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कवंर ने कहा कि देश के अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल में पशुधन को अधिक नुकसान नहीं हुआ है। प्रदेश के किन्नौर, लाहौल-स्पीति और कुल्लू जिले में लंपी का कोई मामला नहीं हैं। इस बीमारी को रोकने के लिए विभाग की ओर से सभी तरह के जरूरी एहतियात बरते जा रहे हैं। साथ ही लंपी रोग से ग्रसित पशुओं के इलाज के लिए किसानों को कोई भी खर्चा नहीं देना पड़ रहा।

राजस्थान सरकार को सलाह क्यों नहीं देते कांग्रेस नेता?
वीरेंद्र कवंर ने कहा कि लंपी वायरस को लेकर राजनीति कर रहे कांग्रेस नेताओं के पास कोई फॉर्म्यूला है तो उन्होंने राजस्थान में अपनी सरकार को क्यों नहीं बताया? राजस्थान में तो हालात गंभीर हैं। वहां 60 हजार से ज्यादा पशुओं की जान चली गई है। वहां के मुख्यमंत्री पशुओं की चिंता करने के बजाय गांधी परिवार के इशारे पर कांग्रेस का डमी अध्यक्ष बनने में जुटे हैं। जबकि हिमाचल सरकार इस बीमारी की गंभीरता को समझती है और समय रहते जरूरी कदम उठाए गए हैं जिससे अब इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।

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