रिश्वतखोरी मामला- सीएम बढ़ाए जांच का दायरा, निदेशक के पीछे छिपे चेहरों से भी हटाया जाए नकाब

शिमला टाइम

महामारी में स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद फरोख्त में भ्रष्टाचार सामने आना चिंता का विषय है।  मानवता जब संकट में है उस समय भाजपा भ्रष्टाचार करने में लगी है। पहले राष्ट्रीय स्तर पर रैपिड टेस्ट किट खरीद में घोटाला हुआ। हिमाचल की बात करें तो बिलासपुर में पीपीई किट के नाम पर रेन कोट बांट दिए। सचिवालय में सेनिटाइजर घोटाला हुआ। अब भ्रष्टचार का भंडाफोड़ होने पर निदेशक की गिरफ्तारी हुई है। कांग्रेस ने आरोप लगाए है कि इसमें बड़े राजनीतिक नेता संलिप्त है। अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने सीएम से मांग की कि जांच का दायरा बढ़ाया जाए। वो लोग भी सामने लाये जाएं जो निदेशक के पीछे है। उनके चेहरे से भी नकाब हटाया जाए। मामले बढ़ने से सीएम दबाव में है। विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस अपना कर्तव्य पूरा कर रहा है। 
कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि केंद्र हो या राज्य सरकार जो भी फैसले लिए गए है कारगर सिद्ध नहीं हुए है। मजदूर वर्ग पैदल चल रहे है दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे है जिससे यही भावना मन में आती है कि क्या हम लोकतंत्र में रह रहे है। जब गरीब मजदूरों को सरकार की जरूरत थी तो मदद नहीं की। सरकार का होम क्वारन्टीन करने का निर्णय गलत था। सरकार को बॉर्डर पर इंस्टीट्यूशनल क्वारन्टीन की उचित व्यवस्था पहले ही करनी चाहिए थी। वर्तमान में खाली भवनों में इंस्टीट्यूशनल क्वारन्टीन सेंटर है, उन्होंने मांग की कि सरकार बॉर्डर पर स्थित होटलों को इंस्टीट्यूशनल क्वारन्टीन सेंटर बनाये। ताकि भविष्य में बाहर से आने वालों की संख्या बढ़ने पर कम से कम रहने कहने पीने की उचित व्यवस्था हो सके।
उन्होंने कहा कि छोटे कारोबारियों के बिजली पानी के बिल माफ होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सूचना के मुताबिक सरकार बिजली बिल बढ़ाने की तैयारी में है। कांग्रेस ने परिवहन सेवाएं शुरू करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार बसों का भी भारी भरकम किराया बढ़ाने की तैयारी में है। 


हिमाचल में पेट्रोल व डीज़ल के दाम में सैस लगाने का फैसले को भी कांग्रेस ने गलत ठहराया। डीजल की कीमतें बढ़ने से महंगाई बहुत अधिक बढ़ेगी। इसलिए कांग्रेस ने मांग की है कि एचआरटीसी बसों में किराया पहले से कम होना चाहिए। भले ही पीएम ने 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है लेकिन बड़े बड़े अर्थशास्त्री इसको नहीं समझ पा रहे हैं। सरकार को चाहिए था कि लोगों की जेब में पैसा डालते। ऐसे में जब कर्ज की प्रकिया जटिल होगी। कर्मचारियों के वेतन काटे जा रहे है। स्वास्थ्य कर्मियों के पास पीपीई किट नहीं है। उद्योग फिर से कैसे शुरू होंगे सरकार की  इस पर कोई नीति नहीं है। मामले पर कांग्रेस ने एक्पर्ट कमेटी बनाई थी, जिन्होंने आर्थिक, स्वास्थ्य व शिक्षा को सुदृढ़ करने हेतु रिपोर्ट बनाई है जिसे सरकार को सौंपा जाएगा।

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