कम पानी से हो जाती है मोटे अनाज की खेती, किसान कमा सकते हैं अच्छा लाभ


उपायुक्त कार्यालय में आयोजित किया महिला सशक्तिकरण नेतृत्व शिविर, 144 महिला किसानों ने लिया भाग
 
महिला किसानों को प्रदान की मोटे अनाज की किट, बताए स्वास्थय लाभ

शिमला टाइम
 
अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष-2023 के तहत जिला कृषि विभाग (आत्मा परियोजना) किन्नौर द्वारा आज यहां उपायुक्त कार्यालय के सभागार में पोषण युक्त मोटे अनाज संबंधित महिला सशक्तिकरण नेतृत्व शिविर का आयोजन किया गया जिसमें जिला कि 144 महिला किसानों ने भाग लिया। इस दौरान महिला किसानों को मोटे अनाज की किट वितरित की गई और इससे संबंधित जानकारी भी प्रदान की गई।
शिविर की अध्यक्षता करते हुए परियोजना अधिकारी, एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना, लक्ष्मण सिंह कनेट ने कहा कि वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया गया है जिसके फलस्वरूप किसान पारम्परिक मोटे अनाज की खेती कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने महिला किसानों से आवाह्न करते हुए कहा कि मोटे अनाज को उगाने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है इसलिए रासायनिक खेती को कम करते हुए प्राकृतिक खेती को अपनाए और मोटे अनाजों की खेती को बढावा दें। उन्होंने कहा कि आज के समय में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हैं, इसलिए मोटे अनाज की खेती करने पर किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है तथा इसके सेवन से रक्तचाप, मधुमेह जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
लक्ष्मण सिंह कनेट ने सभागार में उपस्थित महिला किसानों से वितरित किए गए मोटे अनाज के बीजों का उपयोग खेती कर इन फसलों को बढ़ावा देने का आग्रह किया ताकि आधुनिकता के इस जीवन में हम अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकें और निरोग जीवन व्यतीत कर सकें।
परियोजना निदेशक (आत्मा) डाॅ. सोमराज नेगी ने महिला किसानों को मोटे अनाज जैसे कोदा, कांगनी, चैलाई, साँवा, फाफड़ा, ओगला इत्यादि की उपयोगिता बारे विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की तथा इनसे बनने वाले पकवानों के महत्व बारे भी बताया। उन्होंने कहा कि इन पारंपरिक अनाजों में विटामिंस होते हैं तथा इनके सेवन से विभिन्न बीमारियों से लड़ने हेतु शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
उन्होंने बताया कि कोदा का सेवन रक्त सुधार, मधुमेह, एनीमिया नियंत्रण, कब्ज दूर करने व अच्छी नींद आने में सहायक सिद्ध होते है। चैलाई के सेवन से दस्त रोग की बीमारी, पेचिश नियंत्रण होता है तथा साँवा मधुमेह, यकृत, गुर्दे की बीमारी को ठीक करता है। इसी प्रकार कांगनी विटामिंस से भरपूर होता है जो बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी है।
शिविर में उप-परियोजना निदेशक (आत्मा) डाॅ. बलबीर सिंह ठाकुर ने मोटे अनाजों के पकवानों से हाने वाले लाभ से उपस्थित जनों को अवगत करवाया। इस दौरान रागी के लड्डू, रागी प्याज चपाती, साँवा की खीर, काँगनी खीर, कोदो पुलाव इत्यादि पकवानों को बनाने बारे भी महिलाओं को जानकारी प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि महिला किसान अपने प्राकृतिक उत्पादों को टापरी बाजार स्थित दुकान नम्बर 8 पर बेच सकते हैं जिसका संचालन महिला किसान गंगा सरणी द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करने वालों को इस दुकान पर उनके उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा उपदान भी दिया जाता है।
इस अवसर पर कृषि विभाग के आत्मा परियोजना के अधिकारियों, जिला की महिला किसानों सहित अन्य उपस्थित रहे।

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