शिमला टाइम, शिमला
महिला सुरक्षा विषय पर अभियोजन निदेशालय शिमला द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला आज सम्पन्न हो गई। कार्यशाला का समापन निदेशक अभियोजन एन.एल. सेन ने किया। कार्यशाला में प्रदेश भर के जिला न्यायवादी, उप-जिला न्यायवादी और सहायक जिला न्यायवादियों ने हिस्सा लिया। इन्हें विभिन्न रिर्सोस पर्सन द्वारा महिला अपराध व सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मामलों जैसे- घरेलू हिंसा, शारीरिक शोषण, पीड़िता को मुआवजा, गवाहों की सुरक्षा, साईबर क्राइम, महिला तस्करी, आॅन-लाईन क्राइम, डिजिटल सबूत एकत्र करना, फाॅरेंसिक साईंस का प्रयोग करना और डीएनए सहित अन्य विभिन्न मामलों की जानकारी दी गई।
हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के प्रशासनिक अधिकारी गौरव महाजन ने प्रतिभागयिों को पीड़ित मुआवजा व गवाह सुरक्षा संबंधी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा इस कार्यशाला का लाभ न्यायलयों में महिला अपराध व सुरक्षा से जुड़े विभिन्नि मामलों को सुलझाने में मिलेगा। इसके अलावा राज्य फाॅरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला जुन्गा के निदेशक डाॅ. अरूण शर्मा ने कार्यशाला में हिस्सा लेने वाले प्रदेशभर के सभी प्रतिभागयिों को फाॅरेंसिक सिस्टम से अवगत करवाया।
कार्याशाला के समापन अवसर पर निदेशक अभियोजन निदेशालय एन.एल. सेन ने बताया कि इस कार्यशाला का आयोजन प्रदेश के सभी जिला न्यायवादी, उप-जिला न्यायवादी और सहायक जिला न्यायवादियों को कानूनों में आ रहे बदलाव से अवगत करवाना था। इस तरह की कार्यशालाएं भविष्य में भी आयोजित की जाएंगी ताकि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि महिलाओं से जुड़े विभिन्न मामलों को कानूनी पहलू के साथ-साथ मानवता के पहलू से सभी देखा जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी के साथ-साथ समाज के प्रति भी हमारी कुछ जिम्मेदारी व कत्र्तव्य है जिनका निर्वहन भी हम सभी को करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि समय-समय पर कानून में बदलाव आ रहे है और हम सभी को उनसे अपडेट रहने की जरूरत है और इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित कर जिला न्यायवादी, उप-जिला न्यायवादी और सहायक जिला न्यायवादियों को काननों में होने वाले बदलाव की जानकारी दी जा सकती है। इस तरह की कार्यशालाओं से कार्य करने का नजरिया बदलता है। कार्यक्रम के समापन के अवसर पर उन्होंने प्रतिभागयिों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए।