सेब के लिए चिलिंग आवर पूरे, विशेषज्ञ की राय सुपर विशेषज्ञ न बनें बागवान 

शिमला टाइम

प्रदेश में जनवरी और फरवरी महिने की बर्फबारी सौगात बन कर बरसी है। इससे न केवल सेब के चिलिंग ऑवर पूरे हो गए है। बल्कि सेब के पौधे सड़न, स्कैब व माइट जैसी अन्य बीमारियों से भी बचेंगे। विशेषज्ञों की माने तो जनवरी व फरवरी ऐसे महीने है इस समय हुई बर्फबारी सेब के पौधों के लिए वरदान साबित होती है। क्योंकि इस समय की बर्फबारी जमीन पर अधिक देर टिकने से जहां सेब के चिलिंग ऑवर पूरे होते है। वहीं लंबे समय तक मिट्टी में नमी रहने से कई फायदे होंगे। खासकर फ्लावरिंग अच्छी होगी।  सेब की अच्छी फसल के साथ ही फिर चाहे गर्मी में पानी के चश्में निकलना हो या सूखे नदी नालों को संजीवनी मिलना। 

चिलिंग ऑवर कब होते है पूरे

अच्छी बर्फबारी से सेब को अतिरिक्त चिलिंग ऑवर मिल चुके है। विशेषज्ञ बागवानी एसपी भारद्वाज का कहना है कि सेब की पुरानी वेरायटी में चिलिंग ऑवर पूरे होने के घंटे 1100 से 1200 हैं। जबकि नई वेरायटी में चिलिंग ऑवर 800 से 1100 घंटे में जल्दी पूरे हो जाते है। चिलिंग ऑवर के लिए सामान्य तापमान शून्य से 7 डिग्री सेल्सियस रहने की आवश्यकता होती है।

सौजन्य- आज़ाद डिमरी


बागवान विशेषज्ञ की राय

विशेषज्ञ एसपी भारद्वाज का कहना है कि पौधों की कांट छांट के लिए अच्छा समय है। प्रूनिंग के साथ ही पौधों पर नीला थोथा व चूना के घोल का छिड़काव किया जा सकता है। इसके 2 किलो नीला थोथा व 2 किलो साधारण चूने को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। पौधों में समस्या है या नहीं, यह छिड़काव सभी बागवान कर सकते हैं। इस छिड़काव से रोगों के प्रकोप से पौधे बचेंगे। खास कर के पौधे की खाल इससे साफ रहेगी जो कि अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है। 

बागवान विशेषज्ञ, एसपी भारद्वाज

सुपर विशेषज्ञ न बने बागवान

विशेषज्ञ एसपी भारद्वाज का कहना है कि कई  बागवानों में जागरूकता नहीं है। जिस कारण वह मनमर्जी से पौधों पर छिड़काव कर लेते है। ऐसे भी मामले है कि कई बागवान कीटनाशकों, फंफूदनाशकों व पोषण तत्वों का मिश्रण एक साथ मिलाकर छिड़काव कर लेते है। जो कि फायदा कम और नुकसान ही अधिक करता है। सही समय में सही मात्रा में ही इन कीटनाशकों, फंफूदनाशकों व पोषण तत्वों का छिड़काव करना चाहिए। बागवानी विश्वविद्यालय नौणी द्वारा स्वीकृत कीटनाशकों, फंफूदनाशकों व पोषण तत्वों का ही छिड़काव करें। उनका कहना है कि जितने फूल है और उन सब में फल लगेंगे तो फसल मात्रा में तो अधिक होगी लेकिन गुणवत्ता नहीं होगी। यह ध्यान रहे कि पूरे पौधे में से आधे बीमे जरूर खाली रहें। जिससे अगले वर्ष भी गुणवत्ता फसल की पैदावार हो सके, एक बीमे के सभी फूलों में फल लगता है तो सेप्रेटर से पितु फल की प्राप्ति हो पाती है, 4 फल लगने पर पितु से एक्स्ट्रा स्मॉल, 3 फल लगने पर मिडियम साइज व 2 सेब के फल लगने से लार्ज साइज की प्राप्ति की संभावना अधिक होती है। यदि जितने फूल व उतने फल बगैर बीमा खाली छोड़े हुए लगते हैं तो बोरी का ही माल निकलेगा। इसलिए बागवानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। यह हम भी जानते हैं कि फल का आकार, रंग अच्छा होगा तो बाजार में अच्छे दाम होंगे। बागवान विशेषज्ञ से जरूर सलाह लें।

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