शिमला टाइम
मुख्यमंत्री के बजट भाषण में किसान आंदोलन और गौ रक्षा मुहिम का असर साफ सुनाई दिया। हालांकि कुल मिलाकर किसान हताश हुए।
भारतीय किसान यूनियन सरकार को इस बजट में 100 में से जीरो अंक ही देती है। इस बजट में किसानों को हो रही खाद की कमी के लिए कोई बात नही बोली गई ना प्रावधान किया गया। इस वर्ष केंद्र सरकार ने खाद सब्सिडी को 30% तक काम कर दिया है जिसके कारण पूरे देश के साथ हिमाचल के किसानों को समय पर कोई खाद नहीं मिली। जहां गेहूं की बिजाई बिना 12.32.16 खाद के करनी पड़ी वहीं सेब बागवानी को तोलिए में डालने को पोटाश नहीं मिली जो सेब की फसल के लिए बहुत जरूरी थी। किसानों के बिना यह प्रदेश अधूरा है पर सरकार इनको भूल गई। किसानों के ट्रैक्टर और अन्य उपकरणों पर सब्सिडी है पर वह केवल प्रभावशाली लोगों तक मिलती है इसकी संख्या बढ़ाने की जरूरत थी। किसी ने कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर की घोषणा नहीं की गई और किसानों की फसलों को बरबाद कर रहे बेसहारा पशुधन और जंगली जानवरों से बचाव के लिए कोई बजट और स्कीम की घोषणा नहीं की गई। गौशाला के लिए उपदान 500 से 700 प्रति गौवंश किया गया जो इस महंगाई में नाकाफी है। मक्की की फसल खरीद कर उसका आटा जनता तक डिपो के माध्यम तक पहुंचाने के लिए मात्र 2 करोड़ का प्रावधान किया गया तो उंट के मुंह में जीरा है। किसी सरकारी क्षेत्र के सीए स्टोर या प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की घोषणा नहीं की गई। कुल मिलाकर इस बजट ने किसानों मजदूरों व्यापारी कर्मचारी बेरोजगार सबको निराश ही किया है। आगे सरकार को भी किसान ईवीएम से ऐसा ही जवाब देंगे।