शिमला टाइम
वर्ष 2010-11में प्रदेश के विभिन्न स्थानों में रिहायशी प्लॉट्स के आबंटन के लिए 5000 रूपये की अग्रिम धनराशि बुकिंग के लिए मांगी गई थी जिसके अंतर्गत 72848 व्यक्तियों द्वारा राशि जमा की गई है।
विधानसभा बजट सत्र में प्लॉट्स आबंटन को लेकर बिलासपुर के विधायक सुभाष ठाकुर द्वारा पूछे गए तारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी गई है। जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2007 में हिमुडा द्वारा धर्मपुर, सोलन इत्यादि स्थानों में रिहायशी प्लॉट्स के आबंटन के लिए आवेदन नहीं मांगे गए थे अपितु वर्ष 2010-11 में प्लॉट्स के लिए बुकिंग राशि ली गई थी।
हिमुडा के पास प्लॉट्स के लिए कुल 72848 आवेदन आये थे। अभी तक डिमांड सर्वे के अंतर्गत 201 व्यक्तियों को प्लॉट्स आबंटित किये गए हैं, 16187 आवेदकों को उनकी बुकिंग राशि वापिस कर दी गई है तथा 56460 आवेदकों की राशि अभी हिमुडा के पास लंबित है, हिमुडा द्वारा समय समय पर जो प्लॉट खाली चल रहे थे उनकी जानकारी हिमुडा की वेबसाइट पर डाल दी गई थी जिसमें से 201 प्लॉट डिमांड सर्वे के आवेदकों ने खरीदे हैं।
अभी भी हिमुडा में कुछ स्थानों पर प्लॉट खाली चल रहे हैं लेकिन इच्छुक आवेदक आवेदन नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा हिमुडा द्वारा तीन चार स्थानों जैसे शिमला में जाठिया देवी, ऊना में छेत्रा, सिरमौर में सोहाला तथा धर्मशाला में नगरोटा में जमीन खरीदी है जिसकी प्लानिंग का काम चल रहा है। प्लानिंग और प्लॉट बंदी इत्यादि उपरांत डिमांड सर्वे के इच्छुक आवेदकों व अन्य लोगों को विज्ञापन के बाद प्लॉट फ्लैट आबंटित किये जाएंगे।
आशियाना की चाह रखने वाले लोगों का कहना कि हजारों लोग दशकों से अपना आशियाना बनाने की चाह रख रहे है लेकिन सरकार बिल्डर्स के दबाव में न प्लॉट्स न फ्लैट्स आबंटित कर रही हैं। क्योंकि बिल्डर्स को मोटी कमाई करने का जरिया जो मिल जाता है। ऐसे में प्रदेश के लोगों का आशियाना बनाने का सपना कभी पूरा होगा भी या नहीं इस पर संशय है। लोगों का कहना है कि यदि हिमुडा आवेदकों को प्लॉट्स आबंटित करने में सक्षम नहीं तक हिमुडा के अस्तित्व का कोई लाभ नहीं। इसे बंद कर दिया जाना चाहिए।