शिमला टाइम
जेओए आईटी पोस्ट कोड 965 का पेपर लीक हो गया है। विजिलेंस ने कर्मचारी चयन आयोग में सेवारत महिला अधिकारी को पेपर लीक करते हुए ढाई लाख रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। जबकि पेपर की डील 4 लाख में हुई थी।
रविवार 25 दिसंबर को पोस्ट कोड 965 जूनियर ऑफिस अस्सिटेंट इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी (जेओए आईटी) के पदों के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाना था। इससे पहले विजिलेंस ने महिला अधिकारी को पेपर लीक करते हुए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है।
हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग में सेवारत एक महिला अधिकारी को विजिलेंस ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। अभी इस मामले में विजिलेंस की कार्रवाई जारी है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश की बागडोर संभालने के पहले ही दिन यह स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकार प्रदेश की जनता को पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी प्रशासन प्रदान करना सुनिश्चित करेगी। यह बात मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि विभिन्न एजेंसियों द्वारा राज्य में होने वाली सभी परीक्षाएं पारदर्शी और उत्तरदायी तरीके से करवाई जाएं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की इस प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए पुलिस विभाग सभी परीक्षाओं पर कड़ी निगरानी रख रहा है।
प्रधान सलाहकार (मीडिया) ने कहा कि आज एक बड़ी सफलता तब मिली जब अभिलाष की शिकायत पर संजय नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, जिसने उसे इस महीने की 25 तारीख को होने वाली जेओए (आईटी) परीक्षा का हल प्रश्नपत्र 2.50 लाख रुपये में उपलब्ध कराने की पेशकश की थी।
नरेश चौहान ने कहा कि राज्य पुलिस ने तथ्यों का सत्यापन किया तथा यह पर्याप्त पाए गए और आज एक स्वतंत्र गवाह के साथ एक ट्रैप टीम का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि दलाल (संजय) ने फिर से शिकायतकर्ता से एनआईआईटी हमीरपुर में मिलने के लिए संपर्क किया, जो उसके साथ उमा आजाद (वरिष्ठ अधीक्षक गोपनीयता शाखा एचपीएसएससी) के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी स्थित घर गए, जिन्होंने अपने बेटे निखी आजाद के साथ पहले से ही हल प्रश्न पत्र प्रदान किए। उन्होंने बताया कि टीम ने दोपहर 1 बजकर 20 मिनट पर उन्हें पकड़ लिया और हल प्रश्न पत्र तथा पैसे बरामद किए।
उन्होंने कहा कि यह सब राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए सक्रिय दृष्टिकोण और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा लाखों युवाओं के विश्वास को बनाए रखने के लिए परीक्षा प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही को अपनाने और सुनिश्चित करने के संकल्प के कारण संभव हो पाया है।